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प्रोफेसर देवेश कपूर, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, वाशिंग्‍टन, डी.सी. ने पांचवा पी. आर. ब्रह्मानंद मेमोरियल व्याख्यान प्रस्‍तुत किया जिसका शीर्षक था "भारत से अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण और उसके आर्थिक परिणाम"

19 अक्टूबर 2018


प्रोफेसर देवेश कपूर, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, वाशिंग्‍टन, डी.सी. ने
पांचवा पी. आर. ब्रह्मानंद मेमोरियल व्याख्यान प्रस्‍तुत किया जिसका शीर्षक था "भारत से अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण और उसके आर्थिक परिणाम"

भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 अक्टूबर 2018 को मुंबई में पांचवें पी. आर. ब्रह्मानंद मेमोरियल व्याख्यान की मेजबानी की। वाशिंग्‍टन, डी.सी. के जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय में पॉल एच. नाइटज स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) में स्टार फाउंडेशन दक्षिण एशिया स्टडीज प्रोफेसर और एशिया कार्यक्रम निदेशक प्रोफेसर देवेश कपूर द्वारा व्याख्यान प्रस्‍तुत किया गया। गवर्नर डॉ उर्जित आर. पटेल ने मेहमानों का स्‍वागत किया और अर्थशास्त्र, विशेष रूप से मौद्रिक अर्थशास्त्र अनुसंधान में प्रोफेसर पी. आर. ब्रह्मानंद के योगदान और रिजर्व बैंक के साथ उनके लंबे सहयोग के संदर्भ में उनके सम्मान के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2004 में शुरू की गई व्याख्यान श्रृंखला के महत्व पर प्रकाश डाला।


प्रोफेसर ब्रह्मानंद के पास पांच दशकों से अधिक का एक शानदार अकादमिक करियर था। उन्होंने तीस किताबें और छह सौ से अधिक लेख प्रकाशित किए। अर्थशास्त्र में प्रोफेसर ब्रह्मानंद का प्रमुख योगदान था विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए शास्त्रीय अर्थशास्त्र का पुनर्निर्माण। उन्होंने विकासशील देशों में उत्पादन और कीमतों पर कमोडिटी होर्डिंग के प्रभावों के विश्लेषण के माध्यम से मौद्रिक सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बोहम-बावर्क के समय वरीयता के विचार, नवोन्‍मेष और उत्पादकता वृद्धि की शंपेटेरियन अवधारणाओं और वितरण बदलावों के स्राफियन सिद्धांतों को शामिल करते हुए ब्‍याज दर का एक सामान्य सिद्धांत विकसित किया। उन्होंने विकास के क्षेत्रीय परि‍प्रेक्ष्य में गहरी दिलचस्पी ली। समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान और इतिहास की महत्वपूर्ण गतिविधियों के भी वे अच्छे जानकार थे। अपने समय में उन्होंने आर्थिक ढांचा, निवेश प्राथमिकताएं और तकनीक का चयन, ब्याज और विनिमय दर नीतियों, बैंक राष्ट्रीयकरण, सार्वजनिक वित्त, आबादी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में रोजगार नीतियों जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं पर राष्ट्रीय चर्चाओं पर अपनी छाप छोड़ी। रिजर्व बैंक को 1835 से 1900 की अवधि के लिए भारत के मौद्रिक इतिहास को लिखने में इस बुद्धिमानी दिमाग को शामिल करने का लाभ प्राप्त हुआ। प्रोफेसर ब्रह्मानंद ने उन्नीसवीं शताब्दी के लिए मौद्रिक डेटा एकत्र करने के साथ-साथ शास्त्रीय मौद्रिक इतिहास और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांत को रिकॉर्ड करने का चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया। इस ऐतिहासिक योगदान से बाद के वर्षों में भी देश में इन विषयों पर चर्चाएं पुनर्निर्धारित होती रहेंगी। आपके विचारों के क्रिस्टलीकरण ने विचार के एक अंग का आकार धारण किया जिसे लोकप्रिय रूप से 'बॉम्बे स्कूल ऑफ थॉट' के नाम से जाना जाने लगा।

प्रोफेसर देवेश कपूर अनुसंधान और शैक्षिक विश्‍व की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि से सम्‍बद्ध हैं। वे वाशिंग्‍टन, डी.सी. के जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय में पॉल एच. नाइटज स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) में स्टार फाउंडेशन दक्षिण एशिया स्टडीज प्रोफेसर और एशिया कार्यक्रम निदेशक हैं। प्रोफेसर कपूर पहले राजनीति विज्ञान के एक विशिष्ट प्रोफेसर और भारत के उन्नत अध्ययन केंद्र के निदेशक थे जो पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में समकालीन भारत के अध्ययन के लिए मदन लाल सोबती चेयर आयोजित करता था। इससे पहले, वह ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय में सरकार के सहयोगी प्रोफेसर थे, और हार्वर्ड में सरकार के फ्रेडरिक डांजीगर एसोसिएट प्रोफेसर थे। 2005 में, प्रोफेसर कपूर ने हार्वर्ड कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ जूनियर संकाय को प्रदान किया जानेवाला जोसफ आर. लेवेन्सन टीचिंग पुरस्कार प्राप्त किया और अमेरिकी राजनीति विज्ञान संघ द्वारा उन्‍हें राजनीति विज्ञान में उत्कृष्ट टीचिंग पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी पुस्तक, डायस्पोरा, डेमोक्रेसी एंड डेवलपमेंट: द इंपैक्ट ऑफ इंटरनेशनल माइग्रेशन फ्रॉम इंडिया इन इंडिया (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस) ने उन्हें इंटरनेशनल स्टडीज एसोसिएशन के 2012 के विशिष्ट पुस्तक पुरस्कार का हकदार बनाया, जबकि द अदर वन पर्सेंट: इंडियंस इन अमेरिकन 2017 का चॉइस आउटस्‍टँडिंग टाइटल रहा। उनकी अन्य पुस्तकों में शामिल हैं 'गिव अस योर बेस्‍ट एण्‍ड ब्राइटेस्‍ट : द ग्लोबल हंट फॉर टैलेंट एंड इटस् इंपैक्ट ऑन द डेवलपिंग वर्ल्ड'; 'द वर्ल्ड बैंक: इटस् फर्स्‍ट हाफ सेंचुरी'; और 'रिथिंकिंग पब्लिक इंस्‍टीटयूशन्‍स इन इंडिया'।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/930

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