भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक और चलनिधि प्रबंध के लिए और उपायों की घोषणा की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक और चलनिधि प्रबंध के लिए और उपायों की घोषणा की
1 नवंबर 2008 भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक और चलनिधि प्रबंध वर्ष 2008-09 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक उल्लेख किया था कि अनिश्चित और अव्यवस्थित वैश्विक स्थितियों तथा हमारी घरेलू अर्थव्यवस्था और हमारे वित्तीय बाज़ारों पर इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव के संदर्भ में वह निकट से तथा निरंतर रूप में स्थितियों की निगरानी करेगा और इन गतिविधियों के प्रति तेजी से तथा प्रभावी रूप से कार्रवाई करेगा। ऐसा करते हुए रिज़र्व बैंक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों उपायों का उपयोग करेगा। वैश्विक वित्तीय स्थितियाँ अनिश्चित और अव्यवस्थित बनी हुई हैं तथा वैश्विक मंदी होने के संकेत पहले ही दिखाई दे रहे हैं। ये गतिविधियाँ संपूर्ण विश्व के शेयर बाज़ारों में तेजी से गिरावट तथा मुद्रा आवाजाही में बढ़ी हुई अस्थिरता के रूप में प्रतिबिंबित हो रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ारों को अभी व्यवस्थित होना और विश्वास प्राप्त करना तथा सामान्य कार्यकलाप की ओर लौटना बाकी है। मध्यावधि समीक्षा में यह उल्लेख भी किया गया था कि मौद्रिक नीति के संचालन के लिए वर्तमान चुनौती वित्तीय स्थिरता के संरक्षण, मूल्य स्थिरता बनाए रखने तथा वृद्धि की गति को जारी रखने के बीच इष्टतम संतुलन स्थापित करना है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) की स्थिति 9 अगस्त 2008 से तेजी से नरम हो रही है और 18 अक्तूबर 2008 को समाप्त सप्ताह में इसमें 10.68 प्रतिशत की गिरावट हुई है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल सहित पण्य वस्तु कीमतों से दबाव घटते हुए दिखाई दे रहे हैं। यदि मुख्य वैश्विक पण्य वस्तु कीमतों में सुधार जारी रहता है तो इससे मुद्रास्फीतिकारी दबावों में और कमी आएगी। वृद्धि के मामले में महत्त्वपूर्ण है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि उत्पादक प्रयोजनों के लिए ऋण आवश्यकताओंं की पर्याप्त रूप से पूर्ति की जाए ताकि अर्थव्यवस्था की वृद्धि की गति में सहायता हो सके। घरेलू वित्तीय बाज़ार सामान्य ढंग से कार्य कर रहे हैं। विवेकपूर्ण विनियामक निगरानी तथा प्रभावी पर्यवेक्षण ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारा वित्तीय क्षेत्र मज़बूत रहा है और मज़बूत बना रहेगा। तथापि, वैश्विक वित्तीय हलचल ने हमारे वित्तीय बाज़ारों पर आकस्मिक प्रभाव डाले हैं जिससे वित्तीय स्थिरता संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का महत्त्व पुन: बढ़ गया है। रिज़र्व बैंक ने वर्तमान और उभरती हुई समष्टि आर्थिक स्थिति तथा वैश्विक और घरेलू वित्तीय बाज़ारों में चलनिधि स्थितियों की समीक्षा की है। इस समीक्षा के आधार पर इसने निर्णय लिया है कि निम्नलिखित और उपाय किए जाएं -
रिज़र्व बैंक वैश्विक और घरेलू वित्तीय बाजारों में इन गतिविधियों की निकट से निगरानी करता रहेगा तथा यथोचित रूप से त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करेगा। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/603 |