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भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक उपायों की घोषणा की

30 मार्च 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक उपायों की घोषणा की

हाल की अवधि में मौद्रिक नीति उच्चतर विकास के प्रति अंतरण की व्यवस्था में यह सुनिश्चित करते हुए शामिल रही है कि वास्तविक मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर दबाव को रोक रखा जाए। इस मुकाम पर मूल्य स्थायित्व बनाए रखने और विकास की गति को जारी रखने के लिए मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को स्थिर रखने हेतु पहले ही किए गए उपायों को लागू करना महत्त्वपूर्ण होगा। मौद्रिक नीति की भूमिका स्थायित्व को बनाए रखना और इसी प्रकार लगातार टिकाऊ आधार पर विकास के लिए योगदान करना है।

जैसाकि वर्ष 2006-07 के लिए मौद्रिक नीति के वार्षिक वक्तव्य की तीसरी तिमाही समीक्षा में उल्लिखित है "मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण नीतिगत निगरानी और कार्रवाई की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है (पैराग्राफ76)।" तथापि, "मौद्रिक नीति उद्देश्यों को समनुदेशित भारों का एक न्यायसंगत संतुलन लगातार आधार पर विकास की सहायता के लिए स्थायित्व को प्राथमिकता देगा" (पैराग्राफ 82)। तदनुसार, यह आवश्यक है कि विश्वसनीय नीतिगत निगरानी और कार्रवाई के अनुसार प्रदर्शित प्रतिबद्धता के साथ तीसरी तिमाही समीक्षा के रुझान में यथानिर्धारित मूल्य स्थायित्व और सुस्थिर मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को सुदृढ़ किया जाए। मौद्रिक नीति का संचालन लगातार यह प्रदर्शित करे कि मुद्रास्फीति रिज़र्व बैंक की सहनीय सीमा के बाहर अस्वीकार्य है और मूल्य स्थायित्व को सुनिश्चित करने का संकल्प सर्वदा सामयिक तथा समूचित नीति प्रतिक्रियाओं से समर्थित रहे।

संचयी और मौद्रिक नीति से जुड़े प्रभावों की पहचान के लिए रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2004 के मध्य में राहत को धीरे-धीरे वापस लेना शुरू किया। सितंबर 2004 से ही रिपो/प्रत्यावर्तनीय रिपो दरों प्रत्येक में 150 आधार बिन्दुओं की वृद्धि की गई है, आरक्षित नकदी निधि अनुपात को 100 आधार बिन्दुओं तक बढ़ाया गया है। आवास ऋणों के मामले में जोखिम भारों को (50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत) बढ़ाया गया है, वाणिज्यिक भूसंपदा (100 प्रतिशत से 150 प्रतिशत) और उपभोक्ता ऋण (100 प्रतिशत से 125 प्रतिशत) तथा विशिष्ट क्षेत्रों में मानक अग्रिमों के लिए सामान्य प्रावधानीकरण अपेक्षा को मानक अग्रिमों के 2 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। 13 फरवरी 2007 को आरक्षित नकदी निधि अनुपात में पुन: दो चरणों में प्रत्येक को 25 आधार बिन्दुओं से बढ़ाए जाने की घोषणा की जो 17 फरवरी और 3 मार्च 2007 को प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से प्रभावी है। एक अधिक लचीले रूप में खज़ाना बिलों और दिनांकित प्रतिभूतियों को मिलाकर बाज़ार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) के अंतर्गत निर्गम का एक परिवर्धित कार्यक्रम लागू करने के लिए चलनिधि प्रबंध को 2 मार्च 2007 को संशोधित किया गया। बढ़े हुए बाज़ार स्थिरीकरण योजना कार्यक्रम की दृष्टि से तथा बहु अल्पकालीन असंतुलनों को संतुलित करने के लिए एक सुविधा के रूप में चलनिधि समायोजन सुविधा संचालित करने की आवश्यकता हेतु 5 मार्च 2007 से दैनिक प्रत्यावर्तनीय रिपो आमेलनों को अधिकतम 3000 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया। मौद्रिक नीति का रुझान उत्तरोत्तर रूप से विकास के साथ-साथ मूल्य स्थयित्व पर एक समान दबाव से हटकर तात्कालिक मौद्रिक उपायो के साथ मूल्य स्थायित्व लागू करने और उभरती हुई परिस्थितियों की प्रतिक्रियाओं में तत्परता से सभी संभावित उपायों का आश्रय लेने की ओर बढ़ता गया।

13 फरवरी 2007 को मौद्रिक उपायों की घोषणा के बाद से कुछ उल्लेखनीय गतिविधियाँ हुई हैं, जो नामत: इस प्रकार है -

(क) 12 मार्च 2007 को जारी केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी प्रकाशनी के अनुसार अप्रैल 2006-जनवरी 2007 के दौरान औद्योगिक उत्पादन का सामान्य सूचकांक बढ़कर 11 प्रतिशत हो गया जो एक वर्ष पूर्व 8.0 प्रतिशत था।

(ख) आज जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष-दर-वर्ष थोक मूल्य सूचकांक (डब्लूपीआइ) पर आधारित मुद्रास्फीति 17 मार्च 2007 तक क्रमिक रूप से तीसरे सप्ताह के लिए 6.5 प्रतिशत के आस-पास बनी रही है। अलग-अलग स्तर पर प्राथमिक वस्तुओं, इंधन समूह और निर्मित उत्पादों के मूल्य वर्ष-दर-वर्ष बढ़कर 17 मार्च 2007 तक 12.0 प्रतिशत, 1.0 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत हो गए हैं जो एक वर्ष पूर्व 3.7 प्रतिशत, 8.9 प्रतिशत और 1.7 प्रतिशत थे।

(ग) औद्योगिक कामगारों (सीपीआइ-आइडब्ल्यू), शहरी गैर-श्रमिक कर्मचारियों(सीपीआइ-यूएनएमइ), कृषि मजदूरों(सीपीआइ-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआइ-आरएल) के लिए मुद्राफीति आधारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वर्ष-दर-वर्ष बढ़कर फरवरी 2007 में क्रमश: 7.6 प्रतिशत, 7.8 प्रतिशत, 9.8 प्रतिशत और 9.5 प्रतिशत हो गया जो एक वर्ष पूर्व 5.0 प्रतिशत, 4.8 प्रतिशत और 5.0 प्रतिशत तथा 4.7 प्रतिशत था।

(भ) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के खाद्यतर ऋण में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि 16 मार्च 2007 तक 29.5 प्रतिशत थी जो एक वर्ष पूर्व 32.7 प्रतिशत थी।

(V) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सकल जमाराशियों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि 16 मार्च 2007 तक 24.8 प्रतिशत थी जो एक वर्ष पूर्व सर्वाधिक रूप में 18.0 प्रतिशत थी।

(च) 16 मार्च 2007 तक मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 16 मार्च 2007 तक वृद्धि एक वर्ष पूर्व के 16.9 प्रतिशत के बदले 22.0 प्रतिशत थी।

(&र्iीम्ल्ूा) लगातार बढ़ता हुआ बाह्य अंतर्वाह विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधि में जमा होकर 18.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो जनवरी 2007 के अंत में 179.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर से बढ़कर 23 मार्च 2007 तक 197.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

(ज) 1 फरवरी - 30 मार्च 2007 के दौरान 23,894 करोड़ रुपये राशि की अतिरिक्त चलनिधि को बज़ार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) के अंतर्गत आमेलित किया गया।

(झ) विश्व स्तर पर मौद्रिक नीति में राहत की वापसी प्रक्रिया का तेजी से पालन किया जा रहा है। फरवरी 2007 के मध्य से अग्रणी केंद्रीय बैंकों के बीच यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ जापान प्रत्येक ने मुख्य नीति दरों में ने 25 आधार बिन्दुओं तक वृद्धि की है जबकि पीपुल्स बैंक ऑफ चीन ने एक वर्षीय उधार दरों को 27 आधार बिन्दु और आरक्षित अपेक्षाओं को 50 आधार बिन्दुओं तक बढ़ाया है। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व, बैंक ऑफ इंग्लैड, बैंक ऑफ कनाडा, रिज़र्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया और रिज़र्व बैंक ऑफ न्यूजीलैंड की नीति दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है जिनमें सभी ने पहले ही नीतिगत कार्रवाई शुरू कर दी थी।

वर्तमान समष्टि आर्थिक, मौद्रिक और प्रत्याशित चलनिधि स्थितियों के आलोक में मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को रोक रखने की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि एक अत्यावश्यक आधार पर दिखाई देने योग्य और दृढ़ कार्रवाई की जाए। तद्नुसार, मौद्रिक नीति के रुझान के अनुरूप निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं -

  1. यह निर्णय लिया गया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत निर्धारित रिपो दर को तात्कालिक प्रभाव से 25 आधार बिन्दुओं तक बढ़ाते हुए 7.05 प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत किया जाए।
  2. 2 मार्च 2007 को घोषित चलनिधि समायोजन सुविधा के परिचालन से संबंधित अन्य व्यवस्थाएं अगली सूचना तक जारी रहेंगी।
  3. बाज़ार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) के अंतर्गत खज़ना बिलों और दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से चलनिधि के अर्ध-टिकाऊ और टिकाऊ तत्वों की वापसी की नीति जारी रहेगी। तद्नुसार, रिज़र्व बैंक चलनिधि स्थितियों में बदलाव के अधीन सात्पाहिक आधार पर खज़ाना बिलों और दिनांकित प्रतिभूतियों के निर्गम को शामिल करते हुए बाज़ार स्थिरीकरण योजना की नीलामियों की घोषणा करता है। बाज़ार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत खज़ाना बिलों की नीलामी प्रत्येक सत्पाह जारी प्रथा के अनुसार नियमित कैलेंडर के साथ-साथ बाज़ार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत राशियों को अधिसूचित करते हुए जारी रहेगी। रिज़र्व बैंक उत्पन्न परिस्थितियों के प्रक्रिया में समय-समय पर बाज़ार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत नीलामियों की समय-सारणी की समीक्षा के लचीलेपन को बनाए रखेगा।
  4. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), अनुसूचित सहकारी बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 1 प्रतिशत बिन्दु के आधे तक नीचे निर्दिष्ट पखवाड़े से दो चरणों में बढ़ाया जा रहा है:
  5. प्रभावी तारीख
    (अर्थात्, से प्रारंभ पखवाड़ा)

    निवल मांग और मीयादी देयताओं पर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (प्रतिशत)

    14 अप्रैल 2007

    6.25

    28 अप्रैल 2007

    6.50

    आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में उपर्युक्त वृद्धि के परिणाम स्वरूप बैंकों के संसाधन के 15,500 करोड़ रुपये की एक राशि आमेलित की जाएगी।

  6. पात्र आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) शेषों (अर्थात् सांविधिक न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात ओर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित आरक्षित नकदी निधि अनुपात के बीच आरक्षित निधि की राशि) पर लागू ब्याज दर को 14 अप्रैल 2007 से शुरू होनेवाले पखवाड़े से वर्तमान में 1.0 प्रतिशत प्रति वर्ष से घटाकर 0.5 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया जाएगा।

समष्टि आर्थिक, समग्र मौद्रिक और चलनिधि स्थितियों की तत्पर निगरानी जारी रहेगी और सभी मौद्रिक नीति कार्रवाईयों को उत्पन्न स्थितियों की प्रतिक्रिया माना जाएगा।

जी. रघुराज
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/1336

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