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रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति और चलनिधि प्रबंधन उपायों की घोषणा की

2 जुलाई 2010

रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति और चलनिधि प्रबंधन उपायों की घोषणा की

मौद्रिक नीति उपाय

मौजूदा समष्टि आर्थिक परिस्थितियों का एक मूल्यांकन करने पर यह निर्णय लिया गया है कि विस्तारित मौद्रिक नीति से एक चरणबद्ध रूप से बाहर निकलने के एक भाग के रूप में निम्नलिखित मौद्रिक नीति उपाय किए जाए :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत रिपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाते हुए उसे तत्काल प्रभाव से 5.25 प्रतिशत से 5.50 प्रतिशत किया जाए।

  • चनलिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिवर्स रिपो दर को 25 आधार अंको से बढ़ाते हुए उसे तत्काल प्रभाव से 3.75 प्रतिशत से 4.0 प्रतिशत किया जाए।

चलनिधि प्रबंध उपाय

मौजूदा चलनिधि परिस्थितियों का एक मूल्यांकन के आधार पर रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित चलनिधि प्रबंधन उपायों को लागू करने का भी निर्णय लिया है :

  1. चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को उनकी निवल माँग और मियादी देयताओं के 0.5 प्रतिशत तक दी गयी अतिरिक्त चलनिधि सहायता जो 2 जुलाई 2010 को समाप्त होने वाली थी उसे अब 16 जुलाई 2010 तक बढ़ाया गया है। इस सुविधा को प्राप्त करने से सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को बनाए रखने में आनेवाली किसी कमी को पूरा कने के लिए बैंक संपूर्ण रूप से अस्थायी उपाय के रूप में दण्ड ब्याज से छूट की माँग कर सकते है।

  2. द्वितीय चलनिधि समायोजन सुविधा 16 जुलाई 2010 तक दैनिक आधार पर आयोजित की जाएगी।

मॉद्रिक नीति उपायों का मूलाधार

अप्रैल 2010 की मौद्रिक नीति वक्तव्य के बाद से उल्लेखनीय समष्टि आर्थिक विकास हुए है। वैश्वक स्तर पर वापसी सुधार मज़बूत हो रहे है। तथापि, यूरो क्षेत्र में दृष्टिकोण निरंतर अनिश्चितता भरा है।

घरेलू स्तर पर वर्ष 2009-10 तथा 2009-10 की चौथी तिमाही के लिए केंद्रीय सांख्यिकीय संस्था (सीएसओ) द्वारा किए गए संशोधित वृद्धि अनुमान यह सुझाव देते है कि वापसी सुधार समेकित है। विनिर्माण क्षेत्र ने अपने निर्यातों को बढ़ाते हुए अन्य की सहायता से हाल ही के महीनों में मज़बूत वृद्धि दर्ज़ की है। पूँजी उत्पाद क्षेत्र में तेज़ वृद्धि, ऋण वृद्धि में बढ़ोतारी और चालू खाता घाटे के बढ़ने से वृद्धि की मज़बूत गति भी दिखाई दी है। मानसून परिस्थिति भी अब तक पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है और इससे अच्छे कृषि विकास की संभावना है। रिज़र्व बैंक ने अपनी अप्रैल की नीति समीक्षा में वर्ष 2010-11 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद को 8 प्रतिशत पर और आगे बढ़ने की संभावना के साथ अनुमान लगाया था। हाल के अद्यतन आँकडे यह सुझाव देते है कि आगे बढ़ने की संभावना सही सिद्ध हुई है। वृद्धि अनुमान की समीक्षा 27 जुलाई 2010 को होने वाली पहली तिमाही समीक्षा में की जाएगी।

तथापि, मुद्रास्फाति की ओर विकास के सामने कई चिंताएं है। समग्र थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फाति अप्रैल 2010 में 9.6 प्रतिशत से मई 2010 में 10.2 प्रतिशत से बढ़ी हैं। खाद्य मूल्य मुद्रास्फाति और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फाति उच्च स्तरों पर बनी हुई है। खाद्य मूल्य मुद्रास्फाति कुछ सामान्य रही है किन्तु खाद्य पदार्थों का मूल्य सूचकांक का बढ़ना जारी है। खासकर हाल ही के महीनों में खाद्येतर विनिर्मित वस्तुओं के मूल्य और ईंधन मदों के मूल्य बढ़े है। वर्ष-दर-वर्ष थोक मूल्य सूचकांक खाद्येत्तर विनिर्मित उत्पादों (भार: 52.2 प्रतिशत) की मुद्रास्फाति जो नवंबर 2009 को (-) 0.4 प्रतिशत थी और मार्च 2010 को 5.4 प्रतिशत थी वह मई 2010 में 6.6 प्रतिशत तक और आगे बढ़ी। वर्ष-दर-वर्ष ईंधन मूल्य मुद्रास्फाति नवंबर 2009 में (-) 0.8 प्रतिशत से मार्च 2010 में 12.7 प्रतिशत से बढ़ी और मई 2010 में 12.1 प्रतिशत से और आगे बढ़ी। हालांकि यह मीयादी राजकोषीय और ऊर्जा संरक्षण उद्देश्यों के अंतर्गत संपूर्णत: विवेकसंगत है। हाल ही, में ईंधन मूल्यों की बढ़ोतरी का तत्काल प्रभाव थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फाति पर लगभग एक प्रतिशत अंक का होगा और आने वाले महीनों में इसके दूसरे दौरा का प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि मई 2010 में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फाति का दो-तिहाई हिस्सा खाद्येतर मदों के कारण था जो यह सुझाव देता है कि मुद्रास्फाति अब अन्य मदों पर भी फ्ठल गयी है और यह कि माँग दबाव दिखाई दे रहा है।

कार्रवाई का समय

नीति कार्रवाई का यह मध्य चक्र उभर रही समष्टि आर्थिक परिस्थिति के कारण हुई है। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि और थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फाति के आँकडे जून 2010 के मध्य तक उपलब्ध हो जाने के बावजूद नीति दरों का बढ़ना उचित नहीं समझा गया क्यों कि तब वित्तीय प्रणाली चलनिधि दबावों से झुज़ रही थी। यह दबाव सरकार की नकदी शेष में अचानक हुई बढ़ोतरी तथा 3 जी स्पेक्ट्रम और ब्रोडबैण्ड वायरलेस ऐक्सस नीलामी वसूली के अनुमानित स्तर से अधिक स्तर का होने के कारण हुआ। जून महीने के दौरान चलनिधि समायोजन सुविधा परिचालनों के अंतर्गत चलनिधि घाटे के मोड में रही। फलस्वरूप माँग दर उल्लेखनीय रूप से बढ़ी जिससे प्रतिलाभ वर्व्र के अल्प अंत पर प्रभावी मज़बूती आयी। अब चलनिधि परिस्थिति सुगम हो रही है।

चलनिधि प्रबंधन उपायों के बढ़ने का मूलाधार

मई 2010 के अंत में 3 ज़ी स्पेक्ट्रम और अग्रिम करों के लिए भुगतानों के फलस्वरूप चलनिधि दबावों की प्रत्याशा में रिज़र्व बैंक ने कतिपय चलनिधि सुगमता के उपाय किए। चलनिधि परिस्थिति में सुगमता आने पर भी इन उपायों को जारी रखा गया क्योंकि चलनिधि के सुगम बने रहने की संभावना है।

संभाव्य परिणाम

उपर्युक्त मौद्रिक उपाय वापसी सुधार प्रक्रिया को हानि पहुँचाए बगैर मुद्रास्फाति को नियंत्रण में रखेगा और मुद्रास्फातिकारी प्रत्याशाओं को और आगे बढ़ने पर काबू पा लेगा। चलनिधि को सुगम बनाना और उसी समय दरों को बढ़ाना असंगत महसूस होता है। इस संदर्भ में इस बात को नोट किया जाना चाहिए कि चलनिधि को सुगम बनाने के उपाय एक अस्थायी और अप्रत्याशित गतिविधियों का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक हो गए है। किसी भी स्थिति में इसे चरणबद्ध रूप से मौद्रिक नीति रुझान के साथ असंगत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह विकास को हानि पहुँचाए बगैर मुद्रास्फाति को नियंत्रित रखने और मुद्रास्फातिकारी प्रत्याशाओं पर काबू पाने पर ध्यान केंद्रीत किए हुए है।

रिज़र्व बैंक समष्टि आर्थिक परिस्थितियों खासकर मूल्य स्थिति पर निगरानी रखना जारी रखेगी और आवश्यकतानुसार आगे कार्रवाई करेगी।

जी. रघुराज
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/22

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