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केवल स्टेपल न किये गये नोट ही स्वीकारने की रिज़र्व बैंक की जनता से अपील

केवल स्टेपल न किये गये नोट ही स्वीकारने की
रिज़र्व बैंक की जनता से अपील

5 जून 2003

प्रिंट मिडिया के कुछ हिस्सों ने 5 जून 2003 के अपने संस्करणो में इस आशय के समाचार प्रकाशित किये हैं जो केवल स्टेपल न की गयी स्थिति में ही नकद रूप में प्राप्तियों और भुगतान स्वीकार करने के बारे में 7 नवम्बर 2001 के भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेश के पालन न किये जाने में कुछेक कठिनाइयों और समस्याओं तथा दिखावटी कारणों के बारे में हैं।

चूंकि यह समाचार तथ्यों पर आधारित नहीं है और बेकार के इस भ्रम को दूर करने के लिए रिज़र्व बैंक ने यह स्पष्ट किया है कि इसने नवम्बर 2001 में निदेश और परिचालन दिशानिर्देश जारी किये थे। अपने इस निदेश में बैंकों से अन्य बातों के साथ साथ यह कहा कि वे नोट गिनने वाली और नोटों को बैण्ड से बांधने वाली मशीनें खरीदें। इस तरह से, रिज़र्व बैंक ने बैंकों को ज़रूरत से अधिक समय दिया कि वे ज़रूरी आधारभूत सुविधाएं जुटाये और क्रियाविधियां अपनायें। नोट बैण्डिग मशीनें नोट पैकेटो पर सुरक्षित रूप से स्ट्रैप लगा देती हैं और उनपर आड़े और तिरछे, दोनों तरफों से इस तरह से बंडल कों बांध देती हैं कि उनमें से एक भी नोट निकलना नामुमकिन हो जाता हैं। संयोग से, लेकिन उल्लेखनीय रूप से, रिज़र्व बैंक के साथ लेनदेन करने वाले सभी सरकारी विभाग, जैसे रेलवे, डाक विभाग, सीमा शुल्क, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, एश्यूरेंस रजिस्ट्रार, कोलकाता कलेक्टरेट ने पहले से ही इन अपेक्षाओं को पूरा कर लिया है और वे केवल स्टेपल न की गयी हालत में ही रिज़र्व बैंक में नोट प्रस्तुत करते हैं।

यह भी, कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि कोलकाता में रिज़र्व बैंक कार्यालय ही स्वयं नोटों के पैकेटों की अनस्टेपलिंग के बारे में इस निदेश का पालन नहीं करता। दरअसल, सच तो यह है कि पूरे रिज़र्व बैंक में ही समस्त नकदी लेनदेन केवल अनस्टेपल नोटों में ही किया जा रहा है। यहां तक कि रिज़र्व बैंक द्वारा गैर फ्रैश लेकिन फिर से जारी किये जाने योग्य नोट भी काउंटरों से अनस्टेपल हालत में ही, नोट पैकटों पर क्रॉस बैंडिंग करके जारी किये जा रहे हैं। यह इस दिशा में लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि दूसरे बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम इस उपायों को अपने लेनदेनों में और सरकारी विभागों तथा जनता के साथ अपने लेनदेनों में पूरी तरह से अपना सकें। इस विषय पर जारी किये गये विचार अनावश्यक हैं और इनके पीछे कोई आधार नहीं है।

इनके अलावा, यह भी नोट किया जाये कि नोटों की स्टैप्लिंग की प्रथा समाप्त करने का फैसला भारत सरकार और रिज़र्व बैंक द्वारा 1995 में संयुक्त रूप से लिया गया था और इसे 1996 से क्रमिक रूप से लागू किया जा रहा है। इसी पृष्ठ भूमि में, यह कहना कि कुछेक सरकारी विभागों ने भारतीय स्टेट बैंक से इस आशय का अनुरोध किया है कि वे सिर्पॅ स्टेपल की हुई हालत में ही नोट जारी करें, उचित नहीं जान पड़ता। बैंकों के अध्यक्षों ने कई बैठकों में, रिज़र्व बैंक को स्वच्छ नोट नीति के तथा रिज़र्व बैंक के निदेश को लागू करने में पूरे दिल से समर्थन देने का आश्वासन दिया है। अब यह जिम्मेदारी स्टेट बैंक और अन्य बैंकों की है कि वे इस तरह से संबंधित विभागों को रिज़र्व बैंक की अपेक्षाओं को पूरा करने के बारे में प्रेरित करें।

रिज़र्व बैंक ने जनता को यह आश्वासन भी दिया है कि जनता को देश भर में नये और फिर से जारी किये जा सकने वाले अच्छी क्वालिटी के नोटों और सिक्कों की भरपूर सप्लाई की गयी है तथा रिज़र्व बैंक ने अपने आधुनिकीकरण के बाद हाल ही के महीनों में परिचलन से लगभग 20 मिलियन गंदे नोट हटाये हैं। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक करेंसी चेस्ट रखने वाले बैंकों से लगातार संवाद बनाये हुए है कि वे इस सप्लाई की चेन को चलते रहने दें।

यह कहना कि कुछ सरकारी तथा निजी उपक्रम, जैसे

WBSEB, CESC, BSNL अभी भी बैंकों में स्टेपल किये हुए नोट जमा कर रहे हैं, ठीक नहीं है, क्योंकि बैंकों से यही अपेक्षा की जा रही है कि वे केवल बिना स्टेपल किये हुए नोट ही स्वीकार करें। सरकारी विभागों तथा ण्एिंण् जैसी अन्य लोकोपयोगी सेवाओं के लिए यह भी ज़रूरी है कि वे सादी बैंडिंग (आड़ी और तिरछी) के ज़रीये कैश का लेनदेन करने वाले अपने विभागों का आधुनिकीकरण करें या सीलबंद पॉलिथीन पाउच इस्तेमाल करें। इस मामले में जनता को शिक्षित किये जाने की ज़रूरत है कि स्टैप्लिंग से नोटों की बरबादी होती है तथा नोटों की उम्र कम हो जाती है। नोट के उत्पादन में कागज़ के आयात के रूप में अच्छी खासी विदेशी मुद्रा देश से बाहर जाती है। बैंकों के पास यह विकल्प तथा चुनने की सुविधा हैं कि वे स्टेपल सीलबंद पोलिथीन पाउच इस्तेमाल करें जिसमें वे स्टेपल किये गये नोटों के बंडल सुरक्षित तरीके से रख सकते हैं। इनके इस्तेमाल में उन्हें खूब उदारता बरतनी होगी।

रिज़र्व बैंक की स्वच्छ नोट नीति जनता के फायदे के लिए है। बैंक ने सीवीपीएस सिस्टम लगाये हैं ताकि नोट बिना स्टेपल की गयी हाल में लिये/दिये जा सकें। ज़रूरत इस बात की है कि सभी स्तरों पर सोच को बदला जाये और मिलजुल कर काम किया जाये।

अजीत प्रसाद
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2002-2003/1246

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