आरबीआई बुलेटिन - अगस्त 2020 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन - अगस्त 2020
13 अगस्त 2020 आरबीआई बुलेटिन - अगस्त 2020 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने अगस्त 2020 के मासिक बुलेटिन के अंक को जारी किया। बुलेटिन में दूसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2020-21, दो भाषण, तीन लेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। तीन लेख हैं: I. अपतटीय (ऑफशोर) को ऑनशोर (तटवर्तीय) बनाना; II. मौद्रिक नीति और वित्तीय बाजार: ट्विस्ट और टैंगो; और III. मीडिया में नीति दर की उम्मीदें I. अपतटीय (ऑफशोर) को तटवर्तीय (ऑनशोर) बनाना हाल के वर्षों में, विशेष रूप से उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) की कई मुद्राएं, अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए उम्मीदवार बनकर उभरी हैं। पिछले तीन वर्षों में, ईएमई मुद्राओं का कारोबार, नॉन डिलीवरेबल फ़ॉर्वर्ड (एनडीएफ) बाजारों के उदय से एक हद तक संचालित होता है, विदेशी मुद्रा बाजारों में वैश्विक कारोबार को पार कर, अपने वैश्विक हिस्से को बढ़ाता है। बीआईएस त्रैवार्षिक केंद्रीय बैंक सर्वेक्षण, 2019 के अनुसार, ईएमई में, पिछले तीन वर्षों में भारतीय रुपए (आईएनआर) में व्यापार लगभग दोगुना हो गया है। ऑनशोर और ऑफशोर मार्केट्स के बीच के संबंधों और ऑफशोर मार्केट्स की संभावित ऑनशोर पर प्राइस डिस्कवरी के असर को समझते हुए, रिज़र्व बैंक एक व्यापक और लिक्विड ऑनशोर विदेशी मुद्रा मार्केट विकसित करने में लगा हुआ है। इस पृष्ठभूमि को देखते हुए यह लेख ऑफशोर को ऑनशोर बनाने में किए गए हाल के प्रयासों को दर्शाता है । यह लेख एनडीएफ बाजारों का विश्व स्तर पर तुलनात्मक अवलोकन प्रदान करता है और रुपी एनडीएफ बाजार के माइक्रोस्ट्रक्चर में कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इसमें रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए प्रयासों सहित एनडीएफ बाजार में सीमापार देशों के दृष्टिकोण पर भी चर्चा है। मुख्य बातें:
II. मौद्रिक नीति और वित्तीय बाजार: ट्विस्ट और टैंगो भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 से क्रमशः दो विशेष बाजार परिचालन - ऑपरेशन ट्विस्ट (ओटी) और दीर्घकालिक रेपो परिचालन (एलटीआरओ) शुरू किए हैं। इस दो विशेष परिचालन को वित्तीय प्रणाली में संतोषजनक चलनिधि सुनिश्चित करने और मौद्रिक नीति प्रसारण को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह लेख मुद्रा और सरकारी प्रतिभूतियों (जीएसईसी) बाजारों पर इन दो सेटों के विशेष परिचालन के प्रभाव का विश्लेषण करता है। मुख्य बातें:
III. मीडिया में नीति दर की उम्मीदें उच्च आवृत्ति वाले इंटरनेट पर उत्पन्न माइक्रो वोल्यूमिनस आंकड़ों ने आंकड़ो / सूचना के नए स्रोतों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जो नीति निर्माण के लिए वास्तविक समय इनपुट प्रदान करने में मदद करते हैं। टेक्स्ट माइनिंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग तकनीकों जैसे बड़े डेटा टूल इस तरह की असंरचित जानकारी को निर्धारित करने में मदद करते हैं। नीतिगत दर पर केंद्रीय बैंक के निर्णय का अर्थव्यवस्था में विभिन्न हितधारकों द्वारा उत्सुकता से इंतजार किया जाता है और यह प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में व्यापक कवरेज प्राप्त करता है। यह लेख समाचार मदों में निहित असंरचित पाठ को दर्शाता है और नीति दर के निर्णय पर मनोभाव संबंधी सूचक तैयार करता है। रेपो रेट में निदिशात्मक परिवर्तन की तुलना में मीडिया के मनोभावों के मूल्यांकन के लिए एक उपाय, अर्थात्, मनोभाव सकेन्द्रण क्लास (एससीसी) का निर्माण किया गया था। मुख्य बातें:
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/180 |