आरबीआई बुलेटिन - जनवरी 2022 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन - जनवरी 2022
17 जनवरी 2022 आरबीआई बुलेटिन - जनवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी मासिक बुलेटिन का जनवरी 2022 का अंक जारी किया। बुलेटिन में दो भाषण, चार आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। इसके चार आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारतीय कृषि: उपलब्धियां और चुनौतियां; III. भारत में उपभोक्ता विश्वास पर कोविड-19 महामारी का प्रभाव; और IV. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बदलती गतिकी। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति नए वर्ष के आगमन के साथ ही, ओमीक्रॉन के कारण संक्रमण में तीव्र वृद्धि से अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तरह भारत को बहाली के पथ में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, आशावादी उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास और बैंक ऋण में वृद्धि के बीच कुल मांग की स्थिति आघात-सहनीय बनी हुई है, जबकि आपूर्ति के पक्ष पर, रबी फसलों की बुवाई पिछले साल के स्तर और सामान्य क्षेत्रफल से अधिक हुई है। विनिर्माण और सेवाओं की कई श्रेणियों का विस्तार जारी है। हाल ही में, इस प्रत्याशाओं ने कि ओमीक्रॉन कोविड की लहर न हो कर केवल एक फ्लैश फ्लड हो सकती है, आने वाले समय की संभावनाओं को सकारात्मक कर दिया है। II. भारतीय कृषि: उपलब्धियां और चुनौतियां इस आलेख में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है और यह मूल्यांकन किया गया है कि नई उभरती चुनौतियों के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ-साथ दूसरी हरित क्रांति की आवश्यकता है। प्रमुख बिन्दु:
III. भारत में उपभोक्ता विश्वास पर कोविड-19 महामारी का प्रभाव अधिकांश देशों में जब कोविड-19 महामारी ने पहली बार उनके तटों पर दस्तक दी उस समय उपभोक्ता विश्वास में बड़ी गिरावट देखी गई लेकिन उसके बाद उसमें धीरे-धीरे वृद्धि हुई, हालांकि अधिकांश देशों में यह अभी तक पूर्व-महामारी के स्तर तक नहीं पहुंचा है। यह आलेख भारत में उपभोक्ता विश्वास पर महामारी के प्रभाव का विश्लेषण करता है, जैसा कि रिज़र्व बैंक के उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस) द्वारा अनुमान लगाया गया है। प्रमुख बिन्दु:
IV. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बदलती गतिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) किसी भी देश के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और बचत-निवेश के अंतर को कम करके पूंजी घाटे वाली अर्थव्यवस्था की निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने के द्वारा आर्थिक वृद्धि का समर्थन करता है। विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने एफडीआई पर सूचना आधार बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं, जहां मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण घटक है। भारत में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के समन्वित प्रत्यक्ष निवेश सर्वेक्षण (सीडीआईएस) के कार्यान्वयन और विदेशी संबद्ध व्यापार सांख्यिकी (एफएटीएस) के संकलन के साथ इस संबंध में प्रमुख प्रगति हुई है। प्रमुख बिन्दु:
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1558 |