भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन– जून 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन– जून 2025
आज, रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का जून 2025 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य (06 जून 2025), दो भाषण, पाँच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। पांच आलेख इस प्रकार हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत के लिए वित्तीय स्थिति सूचकांक: एक उच्च आवृत्ति दृष्टिकोण; III. मौद्रिक नीति संचरण का तुलन-पत्र चैनल: भारतीय विनिर्माण फर्मों से अंतर्दृष्टि; IV. सीडी निर्गम के चालक: एक अनुभवजन्य मूल्यांकन; और V. भारत में सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान लगाना: सांख्यिकीय और मशीन लर्निंग मॉडल के 'समूह’ से पूर्वानुमानों का संयोजन। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था उतार-चढ़ाव की स्थिति में है, जो व्यापार नीति अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों में वृद्धि के दोहरे आघातों से जूझ रही है। उच्च वैश्विक अनिश्चितता की इस स्थिति में, मई 2025 के लिए विभिन्न उच्च आवृत्ति संकेतक भारत में औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में आघात-सह आर्थिक गतिविधि की ओर इशारा करते हैं। कृषि क्षेत्र ने 2024-25 के दौरान अधिकांश प्रमुख फसलों के उत्पादन में वैविध्यपूर्ण वृद्धि दिखाई। मई में लगातार चौथे महीने हेडलाइन मुद्रास्फीति के लक्ष्य से नीचे रहने के कारण घरेलू कीमतों की स्थिति सौम्य बनी हुई है। वित्तीय स्थितियाँ, दरों में कटौती को ऋण बाजार में कुशल संचरण की सुविधा के लिए अनुकूल बनी हुई हैं। II. भारत के लिए वित्तीय स्थिति सूचकांक: एक उच्च आवृत्ति दृष्टिकोण पुलस्त्य बैनर्जी, अवनीश कुमार, पंकज कुमार और इंद्रनील भट्टाचार्य द्वारा यह आलेख भारत के लिए दैनिक आवृत्ति पर वित्तीय स्थिति सूचकांक (एफ़सीआई) बनाने का प्रयास करता है, जिसमें मुद्रा, जी-सेक, कॉर्पोरेट बॉण्ड, इक्विटी और विदेशी मुद्रा बाजारों से चुनिंदा संकेतकों का उपयोग किया जाता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य एक समग्र संकेतक का निर्माण करना है जो उच्च आवृत्ति पर वित्तीय बाजारों में समग्र स्थितियों को ट्रैक करता है। मुख्य बातें:
III. मौद्रिक नीति संचरण का तुलन-पत्र चैनल: भारतीय विनिर्माण फर्मों से अंतर्दृष्टि भावेश सालुंखे, सपना गोयल, अमित कुमार, प्रीतिका, कुणाल प्रियदर्शी और सत्यानंद साहू द्वारा मौद्रिक नीति, तुलन-पत्र चैनल- एक ऐसा तंत्र जहां ब्याज दर में परिवर्तन फर्म के वित्तीय स्वास्थ्य (नकदी प्रवाह और निवल मालियत) को प्रभावित करता है - जो बदले में, इसकी उधार लेने की क्षमता और निवेश निर्णयों को प्रभावित करता है, के माध्यम से विनिर्माण फर्मों की अचल आस्तियों में निवेश को प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस आधार पर, यह अध्ययन भारत में मौद्रिक नीति संचरण के तुलन-पत्र चैनल की मौजूदगी की जांच करता है। मौद्रिक नीति, तुलन-पत्र चैनल- एक ऐसा तंत्र जहां ब्याज दर में परिवर्तन फर्म के वित्तीय स्वास्थ्य (नकदी प्रवाह और निवल मालियत) को प्रभावित करता है - जो बदले में, इसकी उधार लेने की क्षमता और निवेश निर्णयों को प्रभावित करता है, के माध्यम से विनिर्माण फर्मों की अचल आस्तियों में निवेश को प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस आधार पर, यह अध्ययन भारत में मौद्रिक नीति संचरण के तुलन-पत्र चैनल की मौजूदगी की जांच करता है।
IV. सीडी निर्गम के चालक: एक अनुभवजन्य मूल्यांकन अंशुल, प्रियंका प्रियदर्शनी और दीपक आर. चौधरी द्वारा यह आलेख भारत में जमा प्रमाणपत्र (सीडी) बाजार के सूक्ष्म ढांचे की जांच करता है, जिसमें निर्गमकर्ता और निवेशक के प्रोफ़ाइल तथा सीडी निर्गम के संभावित चालकों का आकलन शामिल है। यह पाया गया है कि ऋण वृद्धि और सख्त चलनिधि की स्थिति सीडी निर्गम को बढ़ावा देती है, जबकि बाजार में उतार-चढ़ाव और ब्याज दरों में मौजूदा और अपेक्षित वृद्धि सीडी निर्गम को कम करती है। मुख्य बातें:
V. भारत में सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान लगाना: सांख्यिकीय और मशीन लर्निंग मॉडल के एक ‘समूह’ से पूर्वानुमानों का संयोजन रंजीत मोहन, साकिब हसन, सयोनी रॉय, सुवेंदु सरकार और जॉइस जॉन द्वारा यह अध्ययन, सांख्यिकीय, मशीन लर्निंग (एमएल) और डीप लर्निंग (डीएल) मॉडल के संयोजन का उपयोग करके भारत में हेडलाइन और मूल सीपीआई (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान हेतु एक पद्धति विकसित करता है। सभी प्रकार के मॉडलों से पूर्वानुमानों को संयोजित करने के लिए कार्य निष्पादन-भारित पूर्वानुमान संयोजन दृष्टिकोण को लागू करके, यह पद्धति प्रत्येक मॉडल की की क्षमता का अपयोग करती है। मुख्य बातें:
बुलेटिन आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/589 |