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रिज़र्व बैंक बुलेटिन - मई 2021

17 मई 2021

रिज़र्व बैंक बुलेटिन - मई 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन के मई 2021 के अंक को जारी किया। बुलेटिन में गवर्नर का वक्तव्य, एक भाषण, दो लेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। इस अंक में राज्य सरकारों को अर्थोपाय अग्रिमों पर सलाहकार समिति की रिपोर्ट भी शामिल है।

दो लेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. महामारी के दौरान एनबीएफसी का कार्यनिष्पादन: स्नैपशॉट।

I. अर्थव्यवस्था की स्थिति

मुख्य बातें:

कोविड-19 की दूसरी लहर की भयावहता ने भारत और दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इसके ट्रैक में दूसरे उछाल को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। वास्तविक अर्थव्यवस्था संकेतक अप्रैल-मई 2021 तक सौम्य बने रहे। दूसरी लहर का सबसे बड़ा टोल इन्वेंट्री संचय के अलावा, मांग के झटके- गतिशीलता की हानि, विवेकाधीन खर्च और रोजगार के संबंध में है, जबकि कुल आपूर्ति कम प्रभावित हुई है। कोविड-19 के पुनरुत्थान ने 2021-22 की पहली तिमाही के प्रथमार्ध में आर्थिक गतिविधि को कमजोर किया है लेकिन दुर्बल नहीं किया है। हालांकि इस स्तर पर बेहद अस्थायी है लेकिन उपलब्ध मूल्यांकन की केंद्रीय प्रवृत्ति यह है कि गति का नुकसान एक वर्ष पहले की इसी समय के तरह गंभीर नहीं है।

II. महामारी के दौरान एनबीएफसी का कार्यनिष्पादन: स्नैपशॉट

एनबीएफसी भारतीय वित्तीय मध्यस्थता के क्षेत्र में बैंक ऋण के पूरक, विशिष्ट वित्त पोषण आरंभ करके और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे ही कोविड-19 महामारी ने आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया तो विशेष रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) को बहुत बड़ी आघात पहुंची। पर्यवेक्षी आंकड़े के माध्यम से, यह लेख 2020-21 की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान चुनिंदा एनबीएफ़सी के कार्यनिष्पादन का विश्लेषण करता है।

मुख्य बातें:

  • एनबीएफसी का समेकित तुलन-पत्र 2020-21 की दूसरी और तीसरी तिमाही में धीमी गति से बढा। हालांकि, एनबीएफसी कम दर पर ऋण मध्यस्थता जारी रखने में सक्षम थे, जो इस क्षेत्र के लचीलेपन को दर्शाता है।

  • रिज़र्व बैंक और सरकार ने कोविड-19 व्यवधानों से निपटने के लिए चलनिधि को बढ़ाने हेतु विभिन्न उपाय किए, जिससे बाजार की अनुकूल परिस्थितियों को सुगम बनाया गया जिसका संकेत डिबेंचर निर्गम में बढ़ोत्तरी द्वारा दिया गया है।

  • जिन क्षेत्रों को एनबीएफसी ऋण देते हैं, उनमें औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से सूक्ष्म और लघु और बड़े उद्योग, महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित थे क्योंकि उन्होंने ऋण वृद्धि में गिरावट दर्ज की थी।

  • खुदरा ऋण क्षेत्र में एनबीएफसी वक्र से आगे रहे जो अपेक्षाकृत अपने अल्प चूक द्वारा समर्थित है।

  • 2020-21 की दूसरी और तीसरी तिमाही में क्षेत्र की लाभप्रदता में मामूली सुधार हुआ क्योंकि एनबीएफ़सी के व्यय में आय की तुलना में भारी गिरावट दर्ज की गई। कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए विनियामकीय सहनशीलता के कारण एनबीएफसी की परिसंपत्ति गुणवत्ता में 2019-20 की चौथी तिमाही की तुलना में 2020-21 की दूसरी और तीसरी तिमाही में सुधार हुआ।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/223

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