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आरबीआई बुलेटिन - मई 2023

22 मई 2023

आरबीआई बुलेटिन - मई 2023

आज रिजर्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का मई 2023 अंक जारी किया। बुलेटिन में दो भाषण, पांच लेख और वर्तमान आंकड़े शामिल हैं।

इसमें पांच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. निर्यात समानता सूचकांकों के माध्यम से भारत की निर्यात क्षमता का पता लगाना; III. भारत की स्थिर साम्य मुद्रास्फीति: पुनर्मूल्यांकन; IV. भारत और सीओपी-26 प्रतिबद्धताएं: खनन क्षेत्र के लिए चुनौतियां; और V. अंतिम पड़ाव पर बुनियादी और डिजिटल वित्तीय साक्षरता: ग्रामीण पश्चिम बंगाल की एक झलक।

I. अर्थव्यवस्था की स्थिति

वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति की विपरीत धाराओं में फंसी हुई है, और वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक असहज शांति बनी हुई है क्योंकि वे बैंकिंग विनियमन और पर्यवेक्षण, तथा जमा बीमा की रूपरेखा पर नीति निर्माता प्राधिकारियों से स्पष्ट संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अप्रैल और मई 2023 की पहली छमाही में, घरेलू आर्थिक स्थितियों ने 2022-23 की अंतिम तिमाही में देखी गई गति को बनाए रखा है। नवंबर 2021 के बाद पहली बार अप्रैल 2023 में हेडलाइन मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से नीचे आ गई। कंपनियों की आय सर्वसम्मत उम्मीदों को मात दे रही है, सुदृढ़ क्रेडिट वृद्धि से समर्थित बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों ने मजबूत राजस्व का प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में वृद्धि निजी खपत, ग्रामीण मांग में सुधार और इनपुट लागत के दबाव में कमी के कारण विनिर्माण क्षेत्र में फिर से उछाल होने की उम्मीद है।

II. निर्यात समानता सूचकांकों के माध्यम से भारत की निर्यात क्षमता का पता लगाना

देबा प्रसाद रथ, अभिलाषा, मोनिका सेठी और रशिका अरोड़ा द्वारा

यह आलेख निर्यात समानता सूचकांक (ईएसआई) के माध्यम से प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों और बड़े बाजारों में भारत की निर्यात क्षमता की जांच करता है।

प्रमुख बिन्दु:

  • भारत की निर्यात संरचना तेजी से दुनिया की मांग के साथ अपने आप को संरेखित कर रही है, जो कि दर्शाता है कि भारत अपेक्षाकृत अधिक अंतरराष्ट्रीय मांग वाले सामानों और सेवाओं में विशेषज्ञता हासिल कर रहा है।

  • विश्व निर्यात के साथ भारत के व्यापारिक निर्यात पैटर्न का यह बढ़ता संरेखण भारत को दुनिया के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने में मदद करने में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की भूमिका का प्रमाण है।

III. भारत की स्थिर साम्य मुद्रास्फीति: पुनर्मूल्यांकन

आर. के. सिन्हा द्वारा

यह आलेख सूक्ष्म-स्तर पर प्रसंभाव्य संक्रमण का उपयोग करके 2014-22 की अवधि में मुद्रास्फीति के लिए स्थिर स्तर का अध्ययन करता है। मुद्रास्फीति पर अलग-अलग (उत्पाद-समूह) स्तर के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, यह पूर्व-महामारी अवधि और पूर्ण नमूने दोनों के लिए भारत की मुद्रास्फीति के स्थिर स्तर का अनुमान लगाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • पूर्व-कोविड अवधि के लिए लगभग 4.3 प्रतिशत अनुमानित स्थिर मुद्रास्फीति ने कोविड के बाद की अवधि के दौरान एक क्षणिक तेजी का प्रदर्शन किया।

  • कम मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र में संक्रमण की मात्रा और गति आर्थिक गतिविधि को मजबूत करने की गति और आघात की प्रकृति और संभावित दृढ़ता के आधार पर होगी।

IV. भारत और सीओपी-26 प्रतिबद्धताएं: खनन क्षेत्र के लिए चुनौतियां

वी. धन्या, गौतम और अर्जित शिवहरे द्वारा

सीओपी26-ग्लासगो में, भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50 प्रतिशत पूरा करने और 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस संदर्भ में, यह पेपर ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत के भविष्य के मार्ग और खनन क्षेत्र पर इसके प्रभाव की जांच करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत ने नवीकरणीय स्थापित क्षमता में महत्वपूर्ण प्रगति की है और मार्च 2023 में कुल स्थापित क्षमता में इसकी हिस्सेदारी 41.3 प्रतिशत (बड़े हाइड्रो सहित) है। 2021-22 में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश भी दोगुना से अधिक हो गया।

  • स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के साथ, खनन क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले से अन्य आवश्यक खनिजों की ओर धीरे-धीरे बदलाव देखने की संभावना है।

  • कोबाल्ट, निकेल और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के वैश्विक भंडार में भारत की हिस्सेदारी कम है। वर्तमान स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां खनिज गहन हैं, जिनकी आपूर्ति कुछ देशों में केंद्रित है। नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में खनिज आवश्यकताओं को कम करने के लिए वैश्विक समन्वय और तकनीकी नवोन्मेष लागत प्रभावी टिकाऊ सतत संक्रमण प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

V. अंतिम पड़ाव पर बुनियादी और डिजिटल वित्तीय साक्षरता: ग्रामीण पश्चिम बंगाल की एक झलक

साक्षी अवस्थी, राखे बालचंद्रन, बरखा गुप्ता, राजस सरॉय, आशीष खोबरागड़े, गुनवीर सिंह, रेखा मिश्रा, शरत चंद्र ढल द्वारा

वित्तीय साक्षरता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि वित्तीय समावेशन, विशेष रूप से सुदूरवर्ती गांवों में, आर्थिक कल्याण को बढ़ाता है। यह आलेख पश्चिम बंगाल के आठ यादृच्छिक रूप से चुने गए गांवों में वित्तीय साक्षरता के मौजूदा स्तर का दस्तावेजीकरण करता है। आलेख अनुभवजन्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय साक्षरता के प्रमुख सामाजिक आर्थिक वाहकों की पहचान करता है और लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप का प्रस्ताव करता है।

प्रमुख बिन्दु:

  • वित्तीय साक्षरता सुदूरवर्ती क्षेत्रों में विभिन्न वित्तीय पहलुओं और जनसांख्यिकीय समुदायों में विविधता प्रदर्शित करती है।

  • मूलभूत वित्तीय अवधारणाओं को यथोचित रूप से समझा जाता है, तो ऐसी स्थिति में डिजिटल वित्त, शिकायत अग्रेषण प्रणाली और समग्र वित्तीय ज्ञान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की संभावना है।

  • घरेलू वित्तीय मामलों में निर्णयकर्ता ऐसे युवा जो आर्थिक रूप से संपन्न, शिक्षित और स्मार्टफोन तक पहुंच रखते हैं, उनके पास उच्च स्तर की वित्तीय साक्षरता होने की अधिक संभावना है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/262

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