भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – नवंबर 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – नवंबर 2024
आज, रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का नवंबर 2024 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में पाँच भाषण, पाँच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। ये पांच आलेख इस प्रकार हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत के लिए संतुलन विनिमय दरों का अनुमान लगाने के लिए दृष्टिकोण का समूह; III. भारत में मौद्रिक नीति संचार का गतिशील परिदृश्य; IV. भारतीय कृषि में कृषि- प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और नवाचार; और V. भारत के प्रमुख आर्थिक संकेतकों में मौसम-तत्व I. अर्थव्यवस्था की स्थिति कमजोर आत्मविश्वास और बढ़ते संरक्षणवाद के बीच वैश्विक आर्थिक गतिविधि 2024 की चौथी तिमाही के दौरान आघात-सह बनी रही। भारत में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में देखी गई गति में सुस्ती हमारे पीछे रह गई है क्योंकि निजी खपत फिर से घरेलू मांग का चालक बन गई है और त्योहारी खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधि को बढ़ावा दिया है। अमेरिकी डॉलर में लगातार मजबूती के कारण घरेलू वित्तीय बाजारों में सुधार (करेक्शन) देखने को मिल रहा है और लगातार पोर्टफोलियो बहिर्वाह की वजह से इक्विटी पर दबाव है। मध्यम अवधि की संभावना में तेजी बनी हुई है क्योंकि समष्टि- मूलभूत (मैक्रो-फंडामेंटल्स) की सहज मजबूती फिर से उभर रही है। अक्तूबर 2024 में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति, ऊपरी सहन-सीमा बैंड से ऊपर पहुंच गई, जिसमें खाद्य कीमतों की गति में तेज उछाल के साथ-साथ मूल मुद्रास्फीति में वृद्धि भी शामिल है। II. भारत के लिए संतुलन विनिमय दरों का अनुमान लगाने के लिए दृष्टिकोण का समूह माइकल देवब्रत पात्र, धीरेंद्र गजभिए, हरेंद्र बेहरा, सुजाता कुंडू और राजस सरॉय द्वारा यह आलेख, व्यवहारिक संतुलन विनिमय दर (बीईईआर), स्थायी संतुलन विनिमय दर (पीईईआर) और मौलिक संतुलन विनिमय दर (एफईईआर) जैसे विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से भारत की संतुलन विनिमय दर की व्यापक परीक्षण संबंधी विवरण प्रदान करता है। यह भारतीय रुपये के संतुलन मूल्य के निर्धारण में सापेक्ष उत्पादकता अंतर, व्यापार की निवल शर्तें, विदेशी आस्ति की निवल स्थिति और राजकोषीय संतुलन की भूमिका पर प्रकाश डालता है। मुख्य बातें:
III. भारत में मौद्रिक नीति संचार का गतिशील परिदृश्य श्वेता कुमारी और संध्या कुरुगंती द्वारा यह आलेख भारत में मौद्रिक नीति संचार के उद्भव का आकलन करने के लिए प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) तकनीकों का उपयोग करते हुए द्वि-मासिक मौद्रिक नीति संकल्प संबंधी दस्तावेजों का विश्लेषण करता है। यह समय के साथ विषय की व्यापकता की जांच करता है और एक अनुकूलित शब्दकोश का उपयोग करके मुद्रास्फीति और संवृद्धि पर संचार के लहजे को प्राप्त करता है। यह एक घटना-अध्ययन ढांचे का उपयोग करके वित्तीय बाजारों पर कथात्मक संचार के प्रभाव की भी जांच करता है। मुख्य बातें:
IV. भारतीय कृषि में कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और नवाचार डी. सुगंथी, जोबिन सेबेस्टियन और मोनिका सेठी द्वारा यह आलेख भारतीय कृषि-प्रौद्योगिकी परिदृश्य के उद्भव की जांच करता है जिसमें प्रौद्योगिकी अंतर को पाटने के लिए संस्थागत नवाचार के रूप में उभरने की महत्वपूर्ण संवृद्धि क्षमता है। यह भारत में मौजूदा कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप वातावरण का विस्तृत अवलोकन प्रदान करता है, जिसमें इसके चालकों, विविधता, बाधाओं और नीति विकल्पों का विशेष संदर्भ प्रदान किया गया है। इस आलेख में भारत में कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप पर एक प्राथमिक सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग करके धन जुटाने, संवृद्धि और मापनीयता बाधाओं पर कृषि- प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की गई है। मुख्य बातें:
V. भारत के प्रमुख आर्थिक संकेतकों में मौसम-तत्व शिवांगी मिश्रा, अनिर्बान सान्याल और संजय सिंह द्वारा यह आलेख भारत में प्रमुख आर्थिक संकेतकों के मौसमी कारकों का अनुमान प्रदान करता है, जिसमें छह क्षेत्रों - मौद्रिक और बैंकिंग, भुगतान प्रणाली, मूल्य, औद्योगिक उत्पादन, पण्य व्यापार और सेवाएँ - के 78 मासिक संकेतकों के साथ-साथ 25 तिमाही संकेतकों का विश्लेषण किया गया है। मौसमी कारकों के नवीनतम अनुमान (2023-24 के अनुरूप) विस्तृत तालिकाओं के रूप में प्रदान किए गए हैं। मुख्य बातें:
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1540 |