RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

80345584

आरबीआई बुलेटिन – अक्तूबर 2022

17 अक्तूबर 2022

आरबीआई बुलेटिन – अक्तूबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का अक्तूबर 2022 अंक जारी किया। बुलेटिन में एक भाषण, पांच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं।

पांच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत के लिए हरित सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान; III. वित्तीय क्षेत्र में 'बिगटेक': प्रतिस्पर्धा और स्थिरता को संतुलित करना; IV. डेट म्यूचुअल फंड में बाज़ार प्रतिलाभ और प्रवाह; और V. भारत में घरेलू क्षेत्र की वित्तीय देयताएं - एक मूल्यांकन।

I. अर्थव्यवस्था की स्थिति

वित्तीय बाजार के बिक्री के रुख में होने के कारण आक्रामक और समकालिक मौद्रिक सख्ती ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं को और कमजोर कर दिया है, निवेशकों ने डर के कारण जोखिम भरी आस्तियों को बेच दिया है। भारत में, व्यापक आर्थिक गतिविधि आघात-सह बनी हुई है और घरेलू मांग में तेजी के साथ और विस्तार की ओर अग्रसर है क्योंकि संपर्क-गहन क्षेत्रों में सुधार दिख रहा है। मजबूत ऋण संवृद्धि और कॉर्पोरेट और बैंक के मजबूत तुलन पत्र अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान कर रहे हैं। गतिविधियों की सुगमता और अनुकूल आधार प्रभावों के कारण, हेडलाइन मुद्रास्फीति में सितंबर के उच्च स्तर से, यद्यपि धीरे-धीरे, कमी आ रही है। ये कारक विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत की संभावनाओं को प्रभावित करेंगे।

II. भारत के लिए हरित सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान

वर्ष 1971-2019 की अवधि के लिए भारत के, धारणीय विकास संकेतकों और संसाधन खपत संकेतकों से जुड़े परिवर्तियों का उपयोग करते हुए, यह आलेख ग्रीन हरित का अनुमान प्रदान करता है, जो पर्यावरणीय क्षरण और प्राकृतिक संसाधनों की कमी को समायोजित करता है।

प्रमुख बिंदु:

  1. हरित जीडीपी का पथ 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से दृश्यमान सुधारों के साथ ऊर्ध्वगामी गति प्रदर्शित करता है। संसाधन ह्रास, CO2 उत्सर्जन और महत्वपूर्ण फुटप्रिंट, सुधार के बड़े संकेतों की ओर इशारा करते हैं।

  2. वर्ष 2012-2019 के दौरान, भारत में, संसाधन दक्षता, वनीकरण, कार्बन शमन कार्ययोजना और पर्यावरण संरक्षण योजनाओं में सुधार की दिशा में सरकार के प्रयासों के कारण, हरित सकल घरेलू उत्पाद में सुधार हुआ है।

III. वित्तीय क्षेत्र में 'बिगटेक': प्रतिस्पर्धा और स्थिरता का संतुलन

यह आलेख वैश्विक अनुभवों से सबक लेते हुए वित्तीय क्षेत्र में बिगटेक के प्रवेश से होने वाले लाभों और चुनौतियों का विश्लेषण करता है।

प्रमुख बिंदु:

  1. बिगटेक व्यापक वित्तीय समावेशन, अधिक कुशल परिचालन और कम लेनदेन लागत के लाभ के साथ वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। तथापि, वे वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव के साथ प्रतिस्पर्धा को कम करने, डेटा गोपनीयता के प्रति खतरा और विनियमित संस्थाओं के लिए परिचालनगत लचीलेपन को बाधित करने के जोखिम भी उत्पन्न करते हैं।

  2. विश्व भर के विनियामक वित्त में बिगटेक के प्रवेश से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान हेतु विनियामक ढांचों यथा बिगटेक की वित्तीय-सेवा सहायक कंपनियों पर एक होल्डिंग कंपनी संरचना लागू करना, गतिविधि-विशिष्ट लाइसेंस की आवश्यकताएँ निर्धारित करना, डेटा संरक्षण, सुरक्षा, तीसरे पक्ष के एप्लीकेशनों का समान व्यवहार, डेटा सुवाह्यता, आदि को लागू कर रहे हैं।

  3. विनियामक अपने विनियामकीय ढांचे पर संस्था और गतिविधि-आधारित विनियमों के मिश्रण के साथ सुविचार कर रहे हैं, ताकि वित्तीय संस्थानों और प्रौद्योगिकी-कंपनियों के बीच बढ़ते जटिल अंतर्संबंधों के कारण उत्पन्न होने वाली संभावित सुभेद्यताओं को अग्रसक्रिय ढ़ंग से दूर किया जा सके।

IV. डेट म्यूचुअल फंड में बाज़ार प्रतिलाभ और प्रवाह

समय के साथ डेट म्यूचुअल फंड (एमएफ) के आकार और पोर्टफोलियो में बदलाव, निवेशक प्रोफाइल और कर्ज़ एमएफ के प्रवाह के निर्धारकों को ध्यान में रखते हुए, यह आलेख भारत में डेट म्यूचुअल फंड (एमएफ) की संवृद्धि का विश्लेषण करता है।

प्रमुख बिंदु:

  1. अध्ययन से पता चलता है कि भारत में, प्रतिलाभ के पिछले मूल्य से, डेट एमएफ में वर्तमान प्रवाह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है लेकिन इसके विपरीत नहीं।

  2. ऋण अंतराल का प्रवाह के साथ विपरीत संबंध पाया गया और सीपीआई मुद्रास्फीति प्रतिलाभ के साथ विपरीत रूप में जुड़ी हुई पाई गई।

V. भारत में घरेलू क्षेत्र की वित्तीय देयताएं - एक मूल्यांकन

यह आलेख भारतीय घरेलू उधार के निर्धारकों (जीडीपी से ऋण के अनुपात रूप में मापा गया) की पड़ताल करता है और सुभेद्यता सूचकांकों के एक समूह का निर्माण करके आघातों के विभिन्न प्रकरणों में इन उधारों के धरणीयता का मूल्यांकन करता है।

प्रमुख बिंदु:

  1. हाल की अवधि में जीडीपी से घरेलू ऋण अनुपात में वृद्धि हुई है। यह भारित औसत उधार ब्याज दरों, कामकाजी उम्र की आबादी, मुद्रास्फीति और घरेलू ऋण से संबंधित बैंकों के एनपीए के रुझानों से नकारात्मक रूप से संबंधित है तथा जीडीपी से जमाराशि के अनुपात एवं घरेलू व्यय के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है।

  2. अनुमानित सुभेद्यता स्कोर के आधार पर पिछले तीन दशकों के दौरान महामारी सहित कई आघात के प्रभाव के बावजूद इन उधारों के धारणीय होने का मूल्यांकन किया गया है।

बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1055

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?