आरबीआई बुलेटिन– अक्तूबर 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन– अक्तूबर 2024
आज, रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का अक्तूबर 2024 अंक जारी किया। बुलेटिन में मौद्रिक नीति वक्तव्य (7-9 अक्टूबर) 2024-2025, छह भाषण, सात आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। सात आलेख इस प्रकार हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत में मौद्रिक नीति संचरण: हालिया अनुभव; III. भारत में खाद्य मुद्रास्फीति का तात्कालिक अनुमान: मशीन लर्निंग के माध्यम से मूल्य और मूल्य से इतर संकेतों का लाभ उठाना; IV. भारतीय बैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कैसे अपना रहे हैं?; V. कोविड-19 और भारत में एमएसएमई क्लस्टरों का कार्य-निष्पादन; VI. भारत के लिए नकदी उपयोग संकेतक; तथा VII. नई डिजिटल अर्थव्यवस्था और उत्पादकता का विरोधाभास। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 की पहली छमाही में आघात-सह बनी रही, जिसमें घटती मुद्रास्फीति ने घरेलू व्यय को सहारा दिया। मौद्रिक नीति में ढील के बीच संवृद्धि की स्थिर गति अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में प्रचलित विषय बन रही है। भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद, भारत की संवृद्धि की संभावना को मजबूत घरेलू इंजनों का समर्थन प्राप्त है। हालाँकि, कुछ उच्च आवृत्ति संकेतकों ने 2024-25 की दूसरी तिमाही में गति में मंदी दिखाई है, जो आंशिक रूप से अगस्त और सितंबर में असामान्य रूप से भारी बारिश जैसे विशिष्ट कारकों के कारण है। आगे चलकर, निजी निवेश, प्रमुख संकेतकों के संदर्भ में कुछ उत्साहजनक संकेत दिखा रहा है, जबकि त्योहारी सीजन में उपभोग व्यय में सुधार हो रहा है। लगातार दो महीनों तक लक्ष्य से नीचे रहने के बाद, सितंबर में मुद्रास्फीति में उछाल आया, क्योंकि खाद्य मूल्य गति में पुनरुत्थान से प्रतिकूल सांख्यिकीय आधार प्रभाव और बढ़ गया। II. भारत में मौद्रिक नीति संचरण: हालिया अनुभव माइकल देवब्रत पात्र, इंद्रनील भट्टाचार्य, जोय्स जॉन और अवनीश कुमार द्वारा यह लेख भारत में मई 2022 से लागू की गई मौद्रिक नीति सख्ती के प्रभाव का मूल्यांकन करता है, जो वित्तीय बाजारों के स्पेक्ट्रम से वास्तविक अर्थव्यवस्था तक फैल रहा है। मुख्य बातें:
III. भारत में खाद्य मुद्रास्फीति का तात्कालिक अनुमान: मशीन लर्निंग के माध्यम से मूल्य और मूल्य से इतर संकेतों का लाभ उठाना निशांत सिंह और अभिरुचि राठी द्वारा भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में खाद्य पदार्थों की उच्च हिस्सेदारी और उससे जुड़ी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण खाद्य मुद्रास्फीति का सटीक पूर्वानुमान लगाना हेडलाइन मुद्रास्फीति अनुमानों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। सटीक पूर्वानुमानों के लिए एक मूल्यवान इनपुट तात्कालिक अनुमान (नाउकास्ट) - वर्तमान अवधि का मुद्रास्फीति अनुमान, है। विस्तृत डेटा की बढ़ती उपलब्धता का लाभ उठाते हुए, यह अध्ययन भारत में खाद्य मुद्रास्फीति का तात्कालिक अनुमान लगाने के लिए उच्च आवृत्ति मूल्य और मूल्य से इतर संकेतकों की पूर्वानुमान शक्ति का परीक्षण करता है। इसके अलावा, यह अध्ययन पारंपरिक रैखिक बेंचमार्क की तुलना में मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीकों की उपयोगिता का पता लगाता है। मुख्य बातें:
IV. भारतीय बैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कैसे अपना रहे हैं? शोभित गोयल, दीर्घौ के राउत, मधुरेश कुमार, और मनु शर्मा द्वारा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और संबंधित तकनीकों का तेजी से विकास और अपनाया जाना देखा गया है। बैंकिंग क्षेत्र भी सेवा दक्षता और गुणवत्ता में सुधार के लिए एआई के संभावित उपयोग के मामलों की खोज कर रहा है। यह लेख भारत में प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए एआई को अपनाने संबंधी अनुभवजन्य मूल्यांकन प्रदान करता है, जिसमें 2015-16 से 2022-23 तक बैंकों की वार्षिक रिपोर्टों पर टेक्स्ट माइनिंग तकनीकों का उपयोग किया गया है। यह बैंकों द्वारा वित्तीय संकेतकों और एआई अन्वेषण के बीच संबंधों का भी परीक्षण करता है। मुख्य बातें:
V. कोविड-19 और भारत में एमएसएमई क्लस्टरों का कार्य-निष्पादन राजीब दास, धन्या वी, अमरेंद्र आचार्य, रमेश गोलाइत, सिलु मुदुली और अरिजीत शिवहरे द्वारा यह आलेख भारत में चुनिंदा एमएसएमई क्लस्टरों के बीच किए गए प्राथमिक सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग करके कोविड के बाद के परिदृश्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के कार्य-निष्पादन का मूल्यांकन करता है। यह विभिन्न क्लस्टरों में एमएसएमई के औपचारिकीकरण की स्थिति की भी जांच करता है। मुख्य बातें:
VI. भारत के लिए नकदी उपयोग संकेतक प्रदीप भुयान द्वारा नकद भुगतान की अनामिकता, भुगतान के तरीके के रूप में नकदी के उपयोग के प्रत्यक्ष माप में बाधा डालती है। यह आलेख नकदी के उपयोग को मापने के विभिन्न तरीकों की जांच करता है और भारत में भुगतान के तरीके के रूप में नकदी के उपयोग को मापने के लिए एक त्रैमासिक नकदी उपयोग संकेतक (सीयूआई) विकसित करता है। मुख्य बातें
VII. नई डिजिटल अर्थव्यवस्था और उत्पादकता का विरोधाभास साधन कुमार चट्टोपाध्याय, श्रीरूपा सेनगुप्ता और श्रुति जोशी द्वारा डिजिटल प्रौद्योगिकियां अर्थव्यवस्थाओं को बदल रही हैं और अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में कंपनियों की समग्र उत्पादकता को काफी हद तक बढ़ाने की क्षमता रखती हैं। विडंबना यह है कि क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा और रोबोटिक्स के इर्द-गिर्द नई डिजिटल तकनीकों का उदय ओईसीडी देशों में उत्पादकता में गिरावट के साथ हुआ - एक ऐसी घटना जिसे अक्सर 'सोलो उत्पादकता विरोधाभास' के रूप में जाना जाता है। इस पृष्ठभूमि के सापेक्ष, यह आलेख उत्पादकता संवृद्धि में डिजिटलीकरण के योगदान का अनुमान लगाता है और भारत के लिए सोलो उत्पादकता विरोधाभास की जांच करता है। मुख्य बातें:
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1345 |