आरबीआई बुलेटिन – सितंबर 2020 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन – सितंबर 2020
11 सितंबर 2020 आरबीआई बुलेटिन – सितंबर 2020 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन के सितंबर 2020 के अंक को जारी किया। बुलेटिन में एक भाषण, तीन लेख और वर्तमान आँकड़े शामिल हैं। तीन लेख हैं: I. माइक्रोफाइनेंस: पिरामिड के नीचे तक पहुंचना; II. हाल ही में मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं से व्युत्पन्न मुद्रास्फीति पूर्वानुमान: एक पूर्व कार्योत्तर (पोस्ट फैक्टो) विश्लेषण; तथा III. आयात उपायों की प्रभावकारिता: चुनिंदा वस्तुओं का विश्लेषण। I. माइक्रोफाइनेंस: पिरामिड के नीचे तक पहुंचना माइक्रोफाइनेंस आर्थिक पिरामिड के निचले हिस्से में लोगों की ऋण जरूरतों को पूरा करता है और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है। पिछले कुछ वर्षों में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र विकसित हुआ है, जिसने पिछले कुछ समय में ऋण और तरलता के संकट का सामना किया है। यह लेख भारत में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का अवलोकन प्रदान करता है और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) के ऋण अवगुणों (डेलिनक्वेंसी) और निधीयन ढांचे का अध्ययन करता है। यह कोविड-19 द्वारा उत्पन्न नई चुनौतियों और माइक्रोफाइनेंस के लिए इसके निहितार्थों की जांच करने का भी प्रयास करता है। मुख्य विशेषताएं:
II. हाल ही में मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं से व्युत्पन्न मुद्रास्फीति पूर्वानुमान: एक पूर्व कार्योत्तर (पोस्ट फैक्टो) विश्लेषण रिज़र्व बैंक के परिवारों की मुद्रास्फीति अनुमान संबंधी सर्वेक्षण में द्वि-मासिक आधार पर अठारह शहरों में लगभग 6,000 परिवारों की मध्यम अवधि की मुद्रास्फीति मनोभावों को शामिल किया जाता है। यह प्रतिक्रियादाताओं द्वारा अपेक्षित निकटवर्ती मुद्रास्फीतिकारी दबावों पर निदेशात्मक जानकारी प्रदान करता है और अपने स्वयं के उपभोग पैटर्न को प्रतिबिंबित कर सकता है। इसलिए, उन्हें मुद्रास्फीति पर परिवार मनोभाव के रूप में माना जाना चाहिए। यह लेख हालिया मुद्रास्फीति के अनुभवों, विशेष रूप से उनकी जनसांख्यिकीय विशेषताओं द्वारा अभिलक्षित, उनके व्यवहार संबंधी पहलुओं पर जोर देने के साथ परिवारों के मनोभाव में भिन्नता को दर्शाता है। परिवारों के अनुमान का उपयोग करते हुए हाल ही में मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के तरीकों का अनुभवजन्य रूप से पता लगाया गया है और एक तुलनात्मक तस्वीर प्रस्तुत की गई है। मुख्य विशेषताएँ :
III. आयात उपायों की प्रभावकारिता: चुनिंदा वस्तुओं का विश्लेषण ग्लोबल ट्रेड अलर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कार्यान्वित कुल व्यापारिक संरक्षणवादी उपायों में से लगभग 15 प्रतिशत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के उत्पाद के व्यापार को प्रभावित करते हैं। भारत ने मुख्य रूप से व्यापार भागीदारों द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ अपनाई गई अन्य अनुचित व्यापार प्रथाओं के जवाब में कई आयात-संबंधित उपाय किए हैं। इस प्रवृत्ति से प्रेरित होकर, यह लेख इस बात की जांच करने का प्रयास करता है कि इन आयात शुल्क और गैर-शुक्ल उपायों ने भारत के आयात की मात्रा और मुद्रास्फीति को प्रभावित किया है या नहीं। मुख्य विशेषताएं:
अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/323 |