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भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक चेन्‍नै में आयोजित : भारतीय रिज़र्व बैंक देगा खाता एग्रिगेटर एनबीएफसी; वित्‍तीय समावेशन परामर्शदात्री समिति की स्‍थापना के लिए अनुमति

02 जुलाई 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक चेन्‍नै में आयोजित :
भारतीय रिज़र्व बैंक देगा खाता एग्रिगेटर एनबीएफसी;
वित्‍तीय समावेशन परामर्शदात्री समिति की स्‍थापना के लिए अनुमति

फोटोग्राफ

भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की 552वीं बैठक गुरुवार, 02 जुलाई 2015 को चेन्‍नै में संपन्‍न हुई। डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस बैठक की अध्‍यक्षता की। इसमें भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नरों, नामत: श्री हारून आर. खान, डॉ. ऊर्जित पटेल, श्री आर. गांधी और श्री एस.एस. मूंदड़ा के अलावा रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के अन्‍य निदेशक, नामत: श्री वाई.एच. मालेगाम, डॉ. अनिल काकोडकर, श्री किरण कर्णिक, डॉ. नचिकेत मोर, डॉ. इंदिरा राजारामन और श्री वाई.सी. देवेश्‍वर उपस्थित थे।

बाद में पत्रकार सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए गवर्नर ने बताया कि बोर्ड ने अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति की समीक्षा की। उन्‍होंने बताया कि अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार हो रहा है और पूंजीगत निवेशों के बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। सरकार बंद पड़ी परियोजनाओं को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है और अब तक हुई वर्षा का स्‍तर सामान्‍य स्‍तर से ऊपर है। निर्यातों की मात्रा अपेक्षाकृत कम रही, किंतु कई देशों में भी निर्यातों की स्थिति यही है तथा इसकी मुख्‍य वजह कई वैश्विक कारक हैं। गवर्नर ने बताया कि रिज़र्व बैंक आगामी वर्ष में चिरकालीन संवृद्धि हासिल करने की दिशा में प्रयास जारी रखेगा।

मीडिया द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में गवर्नर ने बताया कि ग्रीस एक उभरती परिस्थिति है। रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार की गई कुछ रिपोर्टों के अनुसार ग्रीस से संबंधित भारत के प्रत्‍यक्ष एक्‍सपोज़र की मात्रा सीमित है। वैश्विक निवेशकों द्वारा अपने रुख बदले जाने के जोखिम को देखते हुए लगता है कि ग्रीस में घटित अप्रिय घटनाओं के मद्देनज़र वित्‍तीय बाज़ारों में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। तथापि, उसके बाद समझदार निवेशक भारत की स्थिति के बारे में जान सकेंगे जहां संवृद्धि और स्थिरता का माहौल है। उन्‍होंने यह भी बताया, ‘‘हमारी समष्टि नीतियां सही हैं और हमारे पास पर्याप्‍त मात्रा में बफर उपलब्‍ध है, जिसके अंतर्गत किसी संभावित प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए रखा जाने वाला विदेशी मुद्रा रिज़र्व भी शामिल हैं।’’

गवर्नर ने यह घोषणा भी की कि रिज़र्व बैंक नए रूप की गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनी (एनबीएफसी) की अनुमति देने के लिए विनियामक ढांचा तैयार करेगा। यह एनबीएफसी आम आदमी को एक सामान्‍य फार्मेट में कई वित्‍तीय संस्‍थाओं में रखे जाने वाले अपने सभी खातों को देखने में समर्थ बनाने के लिए एक खाता एग्रिगेटर का कार्य करेगी। ऐसी एनबीएफसी का विचार वित्‍तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) से पैदा हुआ।

उसके बाद उप गवर्नर श्री एस.एस. मूंदड़ा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि रिज़र्व बैंक ने यह प्रस्‍ताव किया है कि वित्‍तीय समावेशन मोर्चे को आगे बढ़ाने के लिए वित्‍तीय समावेशन परामर्शदात्री समिति (एफआईएसी) का पुन: प्रारंभ किया जाए। उन्‍होंने बताया कि वित्‍तीय समावेशन की दिशा में काफी कुछ करना बाकी है और इसके लिए रूपरेखा तैयार करना ज़रूरी है, क्‍योंकि प्रधान मंत्री ने रिज़र्व बैंक की 80वीं वर्षगांठ में बताया था कि इस कार्य को आगे बढ़ाया जाए। प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), जिसमें जन धन खातों, आधार पहचान और मोबाइल फोन (जेएएम) पर ध्‍यान संकेंद्रित किया जाता है, के अंतर्गत बैंक खाते खोलने हेतु किए जा रहे कठिन प्रयासों के चलते इसका महत्‍व और बढ़ गया है। रिज़र्व बैंक नामांकन कार्य के संबंध में वित्‍तीय क्षेत्र के सभी विनियामकों, सरकार, कुछ स्‍व-नियामक संगठनों, अनुसंधान संगठनों, भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) तथा अन्‍य ऐसे स्‍टेक होल्‍डरों से अनुरोध करेगा। उन्‍होंने बताया कि एफआईएसी के लिए एक इनपुट के तौर पर रिज़र्व बैंक संबंधित विभागों को शामिल करते हुए एक आंतरिक समूह का गठन करेगा जो वित्‍तीय समावेशन से संबंधित लक्ष्‍यों की प्राप्ति के लिए सभी वित्‍तीय संस्‍थाओं में उपलब्‍ध संसाधनों को जुटाने की पद्धति का पता लगाकर अगले पांच से दस वर्ष के लिए वित्‍तीय समावेशन हेतु ब्‍लू प्रिंट तैयार करेगा।

उप गवर्नर श्री हारून आर. खान ने एक ऐसी कम-नकदी कम-कागज आधारित भुगतान प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ने के उपायों पर प्रकाश डाला, जिसमें बैंकों द्वारा अधिक संख्‍या में जारी किए जाने वाले प्‍लैस्टिक कार्डों को स्‍वीकार करने वाली बुनियादी संरचना तैयार करने और मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा देने पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा।

बोर्ड ने 2014-15 की वार्षिक रिपोर्ट के मसौदे पर भी चर्चा की। रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में पिछले वर्ष में की गई योजनाओं, उनमें से पूरे किए गए कार्यों और अपूर्ण रह गए कार्यों के अलावा आगामी वर्ष के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्‍तावित कार्यों का ब्‍योरा रहता है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/27

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