प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर भारतीय रिज़र्व बैंक का स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर भारतीय रिज़र्व बैंक का स्पष्टीकरण
22 मई 2015 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर भारतीय रिज़र्व बैंक का स्पष्टीकरण प्रेस के एक खंड में हाल ही में रिपोर्ट किया गया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 में संशोधन कर वित्त अधिनियम 2015 की शुरुआत करने से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। यह स्पष्ट किया जाता है कि फेमा, 1999 के तहत बनाए गए विनियमों के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक से किसी भी स्तर पर पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं है। उससे केवल यह अपेक्षित है कि वह पूंजीगत प्रवाह और बाद में निर्धारित फार्मेट में शेयरों के निर्गम की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करे। यह नोट किया जाए कि भारत में एफडीआई दो तरीकों अर्थात स्वचालित मार्ग और अनुमोदन मार्ग के तहत किया जाता है। स्वचातिल मार्ग के अंतर्गत एफडीआई प्राप्त करने के लिए किसी भारतीय कंपनी को किसी भी प्राधिकरण से अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं है और अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत एफडीआई प्राप्त करने वाली कंपनी को विदेशी निवेश प्रोन्नयन बोर्ड (एफआईपीबी) से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता है। दोनों तरीकों के अंतर्गत प्राप्त की जाने वाली एफडीआई, एफडीआई नीति और फेमा के अंतर्गत बनाए गए संगत विनियमों में निर्धारित शर्तों के अधीन है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2014-2015/2472 |