भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत स्थापित भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 1 अप्रैल 1935 को अपना परिचालन शुरू किया। आज इसकी स्थापना का 90वां वर्ष है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मुंबई में एक स्मरणीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे तथा महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल, श्री सी. रमेश बैस, माननीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री, श्री एकनाथ शिंदे, माननीय वित्त राज्य मंत्री, श्री पंकज चौधरी और डॉ. भागवत किशनराव कराड, महाराष्ट्र के माननीय उप मुख्यमंत्री, श्री देवेन्द्र फड़णवीस और श्री अजित पवार उपस्थित रहे। गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वागत भाषण दिया और कहा कि इस कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए महान प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे हम आरबीआई@100 की ओर बढ़ रहे हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक एक स्थिर और मजबूत वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो हमारे देश की आर्थिक प्रगति के लिए आधार के रूप में कार्य करेगी। 'आरबीआई@90' के इस विशेष अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री द्वारा एक स्मारक सिक्का जारी किया गया। माननीय वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि दशकों से भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने का भारतीय रिज़र्व बैंक का उल्लेखनीय इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान पारंपरिक और गैर-पारंपरिक उपाय लागू किए। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के संचार ने विशेष रूप से आत्मविश्वास और आशावाद प्रदान किया। इस संचार ने केंद्रीय बैंक द्वारा की गई विभिन्न कार्रवाइयों को पूरक बनाया और अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों सहित अन्य क्षेत्रों से सराहना प्राप्त की। माननीय प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में, भारत के आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में रिज़र्व बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना और इसकी अटूट प्रतिबद्धता और व्यावसायिकता के लिए इसकी सराहना की। उन्होंने धारणीय संवृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के बीच सहज समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधान मंत्री ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान में रिज़र्व बैंक के योगदान पर प्रकाश डाला, जिसने लाखों भारतीयों को सशक्त बनाया है। प्रधान मंत्री ने हाल के वर्षों के दौरान किए गए परिवर्तनकारी बैंकिंग क्षेत्र सुधारों की सराहना की, जिसने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत किया, इसे जीवंत और पहले से कहीं अधिक आघात- सह बना दिया है। उन्होंने अगले दशक में देश की संवृद्धि आकांक्षाओं का समर्थन करने हेतु, भारतीय बैंकिंग प्रणाली के भविष्य के प्रक्षेप पथ के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा योजना बनाने और एक रास्ता पथ करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने रिज़र्व बैंक से अपनी उत्कृष्टता की विरासत को जारी रखने, उभरती चुनौतियों के अनुरूप ढलने और नए जोश के साथ भारत की आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में सरकार, वित्तीय क्षेत्र के विनियामक संस्थानों, उद्योग, शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों और रिज़र्व बैंक के दोनों भूतपूर्व एवं वर्तमान वरिष्ठ कार्यपालकों ने भाग लिया। (योगेश दयाल) मुख्य महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/8 |