15 जुलाई 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय समावेशन पर मध्यावधि पथ संबंधी समिति का गठन किया भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज एक समिति गठित करने की घोषणा की है जिसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन की मध्यावधि (पांच वर्ष) बृहत कार्ययोजना तैयार करना है। यह याद होगा कि रिज़र्व बैंक की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर माननीय प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में रिज़र्व बैंक से आग्रह किया था कि रिज़र्व बैक वित्तीय संस्थाओं को प्रोत्साहन देने और संधारणीय समावेशन के लिए दीर्घावधि लक्ष्य निर्धारित करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाए। समिति के विचारार्थ विषय इस प्रकार हैं: -
पूर्व में गठित विभिन्न समितियों द्वारा की गई सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय समावेशन नीति की समीक्षा करना जिसमें सहायक भुगतान प्रणाली और ग्राहक संरक्षण ढांचा शामिल है। -
वित्तीय समावेशन के लिए देशपार अनुभवों का अध्ययन, विशेषकर प्रौद्योगिकी आधारित प्रदायगी मॉडलों के क्षेत्र में मुख्य जानकारी प्राप्त करना जिसका प्रयोग हमारी नीतियों और प्रथाओं में किया जा सके। -
अंतर्निहित नीति और संस्थागत ढांचे को स्पष्ट करना जिसमें ग्राहक संरक्षण और वित्तीय साक्षरता वित्तीय समावेशन के प्रदायगी तंत्र को कवर किया गया हो, वित्तीय समावेशन में घरेलू और लघु कारोबार को शामिल किया जाए जिसमें समूह आधारित ऋण प्रदायगी व्यवस्था के साथ ग्रामीण समावेशन पर विशेषरूप से जोर दिया जाए। -
वित्तीय समावेशन के विभिन्न घटकों जैसे भुगतान, जमाराशि, ऋण, सामाजिक सुरक्षा अंतरण, पेंशन और बीमा के संबंध में निगरानी योग्य मध्यावधि कार्ययोजना का सुझाव देना। -
अन्य संबंधित मुद्दों की जांच करना। इस समिति की संरचना निम्नानुसार है: अध्यक्ष: - श्री दीपक मोहंती, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक
सदस्य: -
प्रो. अशोक गुलाटी, कृषि के लिए इंफोसिस के चेयर प्रोफेसर, भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) -
डॉ. एसली डेमिरगुक-कुंट, अनुसंधान निदेशक, विश्व बैंक, वाशिंगटन डीसी -
श्री ए.पी. होता, एमडी और सीईओ, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम -
श्री परेश सुक्थनकर, उप प्रबंध निदेशक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड -
श्री किशोर पी. खरात, कार्यपालक निदेशक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया -
श्री सुब्रत गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) -
श्री पवन बक्शी, प्रमुख- फाइनैंसिएल सर्विसिज़ फॉर दि पुअर प्रोग्रेम इन इंडिया, बिल एंड मेलिन्डा गेट्स फाउंडेशन -
श्री सुदर्शन सेन, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक -
श्री अरुण पसरीचा, मुख्य महाप्रबंधक, उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक -
श्रीमती नंदा एस. दवे, मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक -
डॉ. वाई. के. गुप्ता, निदेशक, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक -
डॉ. सैबल घौष, उप परामर्शदाता, अनुसंधान, उच्चस्तरीय वित्तीय अनुसंधान और अध्ययन केंद्र (केफरल) सदस्य-सचिव: - श्री ए. उद्गाता, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक
समिति आवश्यक समझे जाने पर विभिन्न स्टेकधारकों/समूहों/संस्थाओं/विशेषज्ञों से परामर्श कर सकती है। समिति से अपनी रिपोर्ट इसकी पहली बैठक की तारीख से चार महीनों के अंदर प्रस्तुत करना अपेक्षित है। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/141 |