भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए छत्र संस्था और पुनरूज्जीवन निधि के गठन के लिए कार्यकारी दल गठित किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए छत्र संस्था और पुनरूज्जीवन निधि के गठन के लिए कार्यकारी दल गठित किया
23 जुलाई 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए छत्र संस्था
और पुनरूज्जीवन निधि के गठन के लिए कार्यकारी दल गठित किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने उपयुक्त विनियामक और पर्यवेक्षी ढाँचा सहित उपायों पर सुझाव देने, प्रत्येक राज्य में शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए छत्र (अंब्रेला) संस्थाओं को शुरू करने हेतु सुविधा प्रदान करने के लिए कार्यपालक निदेशक, श्री वी.एस.दास की अध्यक्षता में एक कार्यकारी दल का गठन किया है। साथ ही, और शहरी सहकारी बैंकों के लिए स्थायी सलाहकार समिति के विचारों के अनुसार यह कार्यकारी दल इस क्षेत्र के लिए पुनरूज्जीवन निधि के सृजन से संबंधित मामलों पर भी कार्य करेगा।
कार्यकारी दल में निम्नलिखित सदस्य है -
क |
श्री वी.के.दास, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक |
अध्यक्ष |
ख |
डॉ. एस.के.गोयल, आइएएस |
सदस्य |
ग |
श्री जे.पी.गुप्ता, आइएएस |
सदस्य |
घ |
श्री एस.डी.इंदोरिया, मुख्य निदेशक, |
सदस्य |
ङ |
श्री प्रशांत सरन, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, |
सदस्य |
च |
श्री ए.के.खौण्ड, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, |
सदस्य |
छ |
श्री के.डी.झकारियास, प्रभारी विधि परामर्शदाता, |
सदस्य |
ज |
श्री विजयकुमार, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक संघ और |
सदस्य |
झ |
श्री आनंदराव अडसूल, अध्यक्ष |
सदस्य |
ञ |
श्री ज्योतिद्र मेहता, अध्यक्ष |
सदस्य |
ट |
श्री एस.एस.बरीक, महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, |
सदस्य-सचिव |
कार्यकारी दल के संदर्भ के विषय निम्नानुसार है :
(i)विश्व के अन्य भागों में प्रचलित वित्तीय सहकारी संस्थाओं/बैंकों की छत्र संस्थाओं के ढाँचे का विशेषकर, पूँजी निर्माण और अंतर सहकारी समूह समर्थन प्रणाली के संबंध में अध्ययन करना।
(ii)भारत में शहरी सहकारी बैंकों के लिए वर्तमान ढाँचे और विधि रूपरेखा का अध्ययन करना और राज्य स्तर पर शहरी सहकारी बैंकों के लिए संघीय ढाँचे/छत्र संस्था की आवश्यकता और उसके दायरे का अध्ययन करना।
(iii)अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और प्रणालियों को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंकों के लिए ऐसी छत्र संस्थाओं को शुरू करने के लिए सुविधा प्रदान करने हेतु उपयुक्त पर्यवेक्षी और विनियामक रूपरेखा का सुझाव देना।
(iv)शहरी सहकारी बैंकों के लिए उपयुक्त पारस्परिक सहायता/पुनरूज्जीवन निधि निर्मित करने के लिए तौर-तरीको का अध्ययन करना और सुझाव देना।
इस समूह को आवश्यक सचिवीय सहायता, भारतीय रिज़र्व बैंक के शहरी बैंक विभाग, केंद्रीय कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
यह समूह अपनी पहली बैठक के तीन महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस समूह की पहली बैठक 8 जुलाई 2008 को आयोजित की गई थी।
देश में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) की काफी बड़ी संख्या है जिससे यह मात्रा और विस्तार के अनुसार एक इतर समूह बन जाता है। इनमें से कई बैंकों की मात्रा और पहुँच काफी कम है। वे इसी छोटे बैंकिंग विस्तार में कई सहभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। इन वर्षों में कई शहरी सहकारी बैंक कमज़ोर और अव्यवहार्य हो गए हैं जिससे सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को प्रणालिगत जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास पूँजी निधि निर्मित करने के सीमित मार्ग है क्योंकि शहरी सहकारी बैंक अपने शेयरों का सार्वजनिक निर्गम नहीं कर सकते है। साथ ही, इस क्षेत्र में कई शहरी सहकारी बैंक ऐसे हैं जो वित्तीय रूप से सुदृढ़ और व्यवहार्य है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सफल फेडरल नमूनों, खासकर यूरोप और अमरीका को देखते हुए शहरी सहकारी बैंकों के लिए एक छत्र संस्था की आवश्यकता महसूस की गई जो अपने संसाधनों का निर्देशन करने, उनकी आवश्यकताओं को समझने और वित्तीय बाज़ार में परस्पर समर्थन के माध्यम से उन्हें ऋण भी प्रदान कर सके। प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) की पूँजी को बढ़ाने संबंधी मामलों की जाँच करने के लिए गठित कार्यकारी दल ने यह भी पाया कि इस क्षेत्र में शहरी सहकारी बैंकों पर जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए छत्र संस्थानों को शुरू करने हेतु सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता है।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/97