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भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति की छमाही समीक्षा की घोषणा की

31 अक्तूबर 2006

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति की छमाही समीक्षा की घोषणा की

डॉ वाइ वेणुगोपाल रेड्डी, गवर्नर ने आज 31 अक्तूबर 2006 को प्रमुख वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालकों के साथ हुई बैठक में वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति की मध्यावधि समीक्षा प्रस्तुत की। यह वक्तव्य दो भागों में हैं : भाग घ् - वर्ष 2006-07 के लिए मौद्रिक नीति पर वार्षिक वक्तव्य की समीक्षा; और भाग घ्घ् - वर्ष 2006-07 के लिए विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वार्षिक वक्तव्य की समीक्षा।

मुख्य-मुख्य बातें

  • रिपो दर को 7.0 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.25 प्रतिशत किया गया।
  • चलनिधि समायोजना सुविधा के अंतर्गत निविदा (निविदाओं) को पूर्णरूप से या आंशिक रूप से स्वीकार करने या अस्वीकार करने के अधिकार सहित रातभर के (ओवरनाइट) रिपो और लंबी अवधि के रिपो की लोचता बनाए रखी गई है।
  • प्रत्यावर्तनीय रिपो दर, बैंक दर और आरक्षित निधि नकदी अनुपात (सीआरआर) अपरिवर्तित रखी गई हैं।
  • 2006-07 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 8.0 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।
  • 2006-07 के दौरान मुद्रास्फीति 5.0-5.5 प्रतिशत के बीच रखी जानी है।
  • मौद्रिक और ऋण में आरंभिक अनुमानों की तुलना से अधिक वृद्धि होने का अनुमान।
  • "जब जारी" ट्रेडिंग को केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों के नए निर्गमों तक बढ़ाया जाएगा।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों (प्राइमरी डीलर्स) को पांच कारोबार दिवस की विस्तारित अवधि के अंदर केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में अपनी शार्ट पॉजिशन कवर करने की अनुमति दी जाएगी।
  • निवासी वैयक्तियों को पहले की 25000 अमेरिकी डालर की सीमा के विपरीत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 50000 अमेरिकी डालर भेजने की स्वतंत्रता होगी।
  • विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले अपनी विदेशी मुद्रा आय के 100 प्रतिशत के बराबर राशि एक्सचेंज अर्नर्स फारेन करेंसी खातों में रख सकेंगे।

  • प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपनी अक्षत टियर घ् पूंजी के 50 प्रतिशत या 10 मिलियन अमेरिकी डालर, जो भी अधिक हो, तक निधियां डनिर्यात ऋण के लिए उधार, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और अपने प्रधान कार्यालय/नोस्ट्रो खाते से ओवरड्राफट सहित अपनी विदेशी शाखाओं और संपर्ककर्ता बैंकों से उधार ले सकते हैं।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए पात्र उधारकर्ता अनुमोदन तरीके (अप्रूवल रूट) के तहत 10 वर्ष से अधिक की औसत परिपक्वता अवधि के साथ 250 मिलियन अमेरिकी डालर अतिरिक्त उधार ले सकते हैं।
  • 300 मिलियन अमेरिकी डालर तक की विदेशी वाणिज्यिक उधार का पूर्वभुगतान रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बगैर किया जा सकेगा।
  • प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने ग्राहकों की ओर से आरंभिक खर्चों के लिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान की औसत वार्षिक बिक्री/आय या पण्यावर्त (टर्नऑवर) के 15 प्रतिशत तक या उनकी शुद्ध सम्पत्ति के 25 प्रतिशत तक के विप्रेषण तथा आवर्ती खर्चों के लिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान रही औसत वार्षिक बिक्री/आय या टर्नऑवर के 10 प्रतिशत तक विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। ये व्यापारी इन सीमाओं के अंतर्गत विदेशी कार्यालय के लिए अचल सम्पत्ति के अधिग्रहण के लिए भी व्रिपेषण की अनुमति दे सकते हैं।
  • विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की 2 बिलियन अमेरिकी डालर की वर्तमान सीमा को 31 मार्च, 2007 तक क्रमिक रूप से 3.2 बिलियन अमेरिकी डालर तक बढ़ाया जायेगा।
  • म्युचुअल फंडों द्वारा विदेशी निवेश की 2 बिलियन अमेरिकी डालर की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 3 बिलियन अमेरिकी डालर किया गया है।
  • आयातकों को उनके आयातों के सीमा शुल्क घटक के लिए वायदा संविदा बुक करने की अनुमति दी जाएगी।
  • एफआईआई को निरस्त किए गए वायदा संविदाओं के एक भाग को पुन:बुक करने की अनुमति दी जाएगी।
  • निर्यातकों और आयातकों द्वारा पात्र सीमा के 50 प्रतिशत से अधिक भाग की वायदा संविदा बुकिंग सुपुर्दुगी आधार पर होगी तथा इसे निरस्त नहीं किया जा सकता है।
  • निवासी और अनिवासी के बीच किसी कांट्रेक्ट से उत्पन्न प्रत्यक्ष संविदागत देयता को सुरक्षित करने के लिए अधिकृत व्यापारी बैंकों को 100,000 अमेरिकी डालर तक के सेवाओं के आयात के लिए गारंटी/साख पत्र जारी करने की अनुमति दी जाएगी।
  • एनआरओ खाते में जमा की गई अचल सम्पत्ति की बिक्री प्राप्तियों के लिए अकरुद्ध अवधि (लॉक इन पीरियड) को समाप्त किया जाएगा बशर्ते किसी वित्तीय वर्ष में विप्रेषित राशि एक मिलियन अमेरिकी डालर से अधिक नहीं हो।
  • बैंक अपने बोर्ड के अनुमोदन के साथ उन किसानों को एक मुश्त निपटान सुविधा प्रदान करने के लिए पारदर्शी नीति तैयार कर सकते हैं जिनके खातों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण पुन:निर्धारित/पुन:संरचित किया गया है और ऐसे किसानों के लिए भी जिन्होंने उनके नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण चूक की हो।

  • लघु खाते खोलने के लिए बैंकों को केवल खाताधारक का एक फोटो तथा स्व-प्रमाणित पते की मांग करनी चाहिए।
  • भारतीय बैंक, जिनकी उपस्थिति भारत के बाहर भी हैं तथा विदेशी बैंक 31 मार्च, 2008 से बासेल घ्घ् लागू करेंगे तथा अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक इसके अनुरूप लेकिन मार्च 31, 2009 तक बासेल घ्घ् लागू करेंगे।
  • विदेश में भारतीय संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी के मामले में ऋण और ऋणेत्तर सुविधाओं पर विवेकपूर्ण सीमा को अक्षत पूंजी निधियों के 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
  • ऐसे राज्यों, जिन्होंने रिज़र्व बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, में पंजीकृत शहरी सहकारी बैंक, जो वित्तीय रूप से सुदृढ़ हैं, तथा बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पंजीकृत शहरी सहकारी बैंक को वर्तमान विस्तार काउंटरों को पूर्णरुपेण शाखाओं में तब्दील करने की अनुमति दी जाएगी।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बगैर जोखिम आधार पर बैंकों के साथ सह-ब्रांड वाले क्रेडिट कार्ड जारी करने तथा म्यूचुअल फंड उत्पादों का विपणन और वितरण करने की अनुमति दी जाएगी।

घरेलू गतिविधियां

  • 2006-07 की पहली तिमाही के दौरान सफल घरेलू उत्पाद 8.9 प्रतिशत है जो एक वर्ष पहले तद्नुरुपी तिमाही में 8.5 प्रतिशत था।
  • वर्ष-दर-वर्ष थोक मूल्य सूचकांक (डब्लूपीआई) मुद्रास्फीति 17 जून 2006 को 5.5 प्रतिशत से कम होकर 14 अक्तूबर 2006 को 5.3 प्रतिशत हो गई है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की भारतीय बास्केट का औसत मूल्य अप्रैल-जून 2006 में 67.3 अमरीकी डालर से कम हो कर 27 अक्तूबर 2006 को 58.9 अमरीकी डालर प्रति बैरल हो गया।
  • एक वर्ष पहले वर्ष-दर-वर्ष औद्योगिक कामगारों के लिए मुद्रास्फीति 3.5 प्रतिशत थी जो अगस्त 2006 में अत्याधिक बढ़ कर 6.3 प्रतिशत हो गई।
  • एक वर्ष पहले मुद्रा आपूर्ति (एम3) में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि 16.8 प्रतिशत की तुलना में बढ़ कर 13 अक्तूबर 2006 को 19.0 प्रतिशत हो गई।
  • एक वर्ष पहले समग्र जमाराशियों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि 2,98,229 करोड़ र (18.6 प्रतिशत) थी जो बढ़ कर 3,93,849 करोड़ रु (20.7 प्रतिशत) हो गई।
  • एक वर्ष पहले खाद्येतर जमा की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि 2,97,903 करोड़ रु.(31.8 प्रतिशत) थी जो 13 अक्तूबर 2006 को 3,76,105 करोड़ (30.5 प्रतिशत) हो गई।
  • चालू वर्ष के दौरान क्रमिक खाद्येतर ऋण जमा अनुपात पिछले वर्ष के 105.8 प्रतिशत से कम हो कर 77.7 प्रतिशत हो गया।
  • सरकारी और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में बैंक की धारिता एक वर्ष पहले मांग और मीयादी देयताओं के 34.7 प्रतिशत से कम हो कर 13 अक्तूबर 2006 को 29.8 प्रतिशत हो गई।
  • चलनिधि समायोजन सुविधा, बाजार स्थिरीकरण योजना और केन्द्र के अतिरिक्त नकदी शेष के अन्तर्गत औसत से अधिक चलनिधि अप्रैल-जून में 89,786 करोड़ रु से बढ़ कर जुलाई-सितम्बर में 92,354 करोड़ र हो गया और अक्तूबर (23 अक्तूबर तक) में कम होगर 85,196 करोड़ रु रह गयी।
  • 2006-07 की दूसरी तिमाही में वित्तीय बाजार स्थिर और व्यवस्थित रहे हालांकि लगभग सभी घटकों में ब्याज दरें बढ़ गई।
  • अप्रैल-अक्तूबर 2006 के दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने अपनी जमा दरें 50-75 आधार बिन्दु से बढ़ा दी। निजी क्षेत्र और विदेशी बैकों की अधिकतम जमा दरें 50-175 आधार बिंदु से बढ़ी लेकिन न्यूनतम जमा दरें 50-150 आधार बिंदु से कम हो गई।
  • सरकारी क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों की भारित औसत मूल उधार दर जून में 11.18 प्रतिशत और 12.80 प्रतिशत से बढ़ कर सितम्बर में क्रमश: 11.33 प्रतिशत और 12.89 प्रतिशत हो गई। विदेशी बैंक के लिए यह 12.66 प्रतिशत के लगभग रही।
  • बीएसई सेंसेक्स 27 अक्तूबर 2006 को आन्तरिक सुधारों के साथ 12,907 तक पहुँच गया।
  • वर्ष 2006-07 के दौरान अब तक (27 अक्तूबर तक) केन्द्र सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल उधार 98,000 करोड़ रु (एक वर्ष पहले 84,000 करोड रु.) जो बजट अनुमान का 63.2 प्रतिशत था जबकि 62,986 करोड़ रु के निवल बाजार उधार (एक वर्ष पहले 51,370 करोड़ रु) बजट अनुमान का 54.3 प्रतिशत था।

बाह्य क्षेत्र

  • अप्रैल-सितम्बर 2006 के दौरान अमरीकी डालर के संदर्भ में निर्यातों में 22.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो पिछले वर्ष तद्नुरुपी अवधि में 34.1 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की तद्नुरुपी अवधि में हुई आयातों में 46.6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में इस वर्ष इसी अवधि में 19.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • तेल आयात बिल में 36.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो अन्तर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्शाता है (हाल ही में हुई कमी से पहले); तेल से इतर आयात में पिछले वर्ष की तद्नुरुपी अवधि की 48.5 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में 11.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

  • भारत की विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधि मार्च 2006 के अन्त में 151.6 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़ कर 20 अक्तूबर 2006 तक 166.2 बिलियन अमरीकी डालर हो गयी। (मूल्यांकन प्रभावों सहित)
  • चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अभी तक रुपये की कीमत अमरीकी डालर की तुलना में 1.4 प्रतिशत, यूरो की तुलना में 5.5 प्रतिशत, पाउंड स्टर्लिंग की तुलना में 9.0 प्रतिशत और जापानी येन की तुलना में 0.5 प्रतिशत कम हो गई(27 अक्तूबर 2006 तक)।

वैश्विक गतिविधियाँ

  • अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा शेष के वर्ल्ड इकॉनामिक आउटलुक के अनुसार वैश्विक वास्तविक क्रय शक्ति के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 2005 में 4.9 की तुलना में 2006 में 5.1 प्रतिशत होने की तथा 2007 में 4.9 प्रतिशत होने की संभावना है।
  • अमेरिका में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि तीसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में 1.6 प्रतिशत थी; जो पहली और दूसरी तिमाही में क्रमश: 5.6 प्रतिशत और 2.6 प्रतिशत थी।
  • वर्ष 2006 की पहली तिमाही तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ-साथ वस्तुओं के मूल्य में तेजी रही।
  • मई-जून में जोखिमों के मूल्यनिर्धारण से पहले निवेशकों का आशावाद इक्विटी बाजार की ओर तथा, अधिक महत्वपूर्ण, उभरते हुए बाजारों की ओर लौटा।
  • कई केन्द्रीय बैंकों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र, यूरो एरिया आस्ट्रेलिया, चीन और कोरिया ने अपनी पॉलिसी दरों में वृद्धि की है। कुछ केन्द्रीय बैंकों ने विशेष रूप से, संयुक्त राष्ट्र, कनाडा, जपान, मलेशिया, थाइलैंड, सिंगापुर, चाइल, मैक्सिको और तुर्की ने अपनी पॉलिसी दरों पर विराम लगा दिया है। इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे केन्द्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीति सरल की है।

समग्र मूल्यांकन

  • हालांकि वैश्विक वृध्दि मजबूत और स्थिर रही है, आधुनिकीकरण के कुछ चिन्ह जैसे संयुक्त राज्य आवासीय बाजार में धीमी गति तथा वित्तीय बाजारों से चलनिधि का संभावित पलायन दिखाई देते हैं। हालांकि वैश्विक मुद्रास्फीति की स्थिति और खराब नहीं हुई है, खाद्य और धातु की कीमतों, में तेजी आने से अन्तर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता तथा मौद्रिक ओवरहैंग के कारण मूल्य का संभावित दबाव बना हुआ है। जबकि भू-राजनैतिक जोखिम बने हुए हैं, यह पहचान करने की आवश्यकता है कि वैश्विक जोखिमों में जुलाई 2006 की पहली तिमाही समीक्षा के समय के कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है।
  • घरेलू स्थिति में, वृध्दि की गति में तेजी आई है और ऐसा प्रतीत होता है कि सभी घटक क्षेत्रों में उनके फैलने की संभावना है। वित्तीय बाजारों ने स्थित और सुव्यवस्थित स्थिति दर्शाई है। चालू खाते का घाटे का भी अभी तक सही प्रबंधन हुआ है।
  • तेज ऋण वृध्दि, ऋण की गुणवत्ता में कमियाँ और आस्ति कीमतों में वृध्दि से मांग के दबाव में वृध्दि और संभावित जोखिमों के संकेत हैं। मौद्रिक विस्तार के ऊंचे स्तर और चलनिधि स्थिति में विकास पर मुद्रास्फीति के किसी भी संकेत हेतु लगातार निगरानी की आवश्यकता है।
  • वर्तमान परिस्थिति में, नीति के प्रयोजन हेतु दो बड़े विवादास्पर मुद्दे हैं: बढ़ती हुई कीमतों के चिन्हों के कारण नीति प्रत्युत्तर का औचित्य और समष्टि आर्थिक गतिविधियों के विकास पर पहले की नीति की कार्रवाई के प्रभाव।

मौद्रिक नीति का रुझान

  • वार्षिक नीति वक्तव्य तथा पहली तिमाही समीक्षा में अनुमानित 7.5 -8.0 प्रतिशत की वृद्धि के प्रति 2006-07 के दौरान सकल देशी उत्पाद में लगभग 8.0 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
  • 2006-07 के लिए वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति दर को 5.0-5.5 प्रतिशत की सीमा में रखना सजग निगरानी और उचित नीति प्रत्युत्तर के संबंध में नीति की प्राथमिकताएं होंगी।
  • मौद्रिक और ऋण समग्र में वृद्धि के आरंभिक सूचक अनुमानों से अधिक होने की आशा है। तथापि, पहली तिमाही समीक्षा में व्यक्त की गई चिंताओं को दोहराना महत्वपूर्ण है और चलनिधि की स्थितियों का आकलन करते समय मुद्रा आपूर्ति, जमाराशिओ तथा ऋण में उच्च विस्तार पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • हालांकि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मौद्रिक नीति के उभरते कार्यकलापों पर ध्यान देने की जरूरत है, वैश्विक घटकों का बढ़ता महत्व ही इस स्तर पर नीति अवस्थिति में किसी परिवर्तन की सूचना नहीं देगा।
  • घरेलू अर्थव्यवस्था में प्राथमिक वस्तुओं के मामले में संभावित अल्पकालिक आपूर्ति दिक्कतों के अलावा मांग संबंधी दबावों के संकेत भी हैं।
  • रिज़र्व बैंक सुनिश्चित करेगा कि मूल्य और वित्तीय स्थिरता के उद्देश्य के अनुरूप प्रणाली में उचित चलनिधि रखी जाती है ताकि उचित ऋण जरूरतों, विशेष रूप से उत्पादक प्रयोजनार्थ जरूरतों, को पूरा किया जा सके। इस दिशा में रिज़र्व बैंक बाजार स्थिरीकरण योजना, चलनिधि समायोजना सुविधा और आरक्षित नकदी निधि अनुपात सहित खुला बाजार परिचालनों के माध्यम से और इसके पास उपलब्ध सभी नीति लिखतों, जब कभी स्थिति के अनुसार ऐसा करना न्यायसंगत हो, का लचीले ढंग से इस्तेमाल करते हुए चलनिधि की सक्रिय मांग प्रबंधन नीति का प्रयोग करता रहेगा।
  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में किसी प्रतिकूल और अप्रत्याशित घटना के घटित होने की स्थिति को छोड़कर तथा मुद्रास्फीति की संभावना सहित अर्थव्यवस्था के वर्तमान मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए, शेष अवधि में मौद्रिक नीति का समग्र रुझान निम्नानुसार होगा:
    • मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को स्थिर करने की दृष्टि से मूल्य स्थिति पर जोर देते हुए एक ऐसा मौद्रिक और ब्याज दर वातावरण सुनिश्चित करना जो अर्थव्यवस्था में निर्यात और निवेश मांग को समर्थन प्रदान करे ताकि वृद्धि संवेग की निरंतरता बनाई रखी जा सके।
    • समष्टि आर्थिक, विशेष रूप से वित्तीय स्थिरता पर ध्यान बनाए रखना।
    • उभरती वैश्विक और घरेलू स्थिति के लिए उचित सभी संभव उपायों पर तुरंत विचार करना।

मौद्रिक उपाय

  • चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिपो दर में 25 आधार बिन्दुओं की वृद्धि कर इसे तत्काल प्रभाव से 7.0 प्रतिशत से 7.25 प्रतिशत किया गया है।
  • रिज़र्व बैंक बाजार स्थितियों और अन्य संगत घटकों के आधार पर चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रातभर के रिपो या लंबी अवधि के रिपो के परिचालन का विकल्प अपने पास रखेगा। रिज़र्व बैंक इस लचीलेपन को अपने पास जारी रखेगा जिसमें चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत निविदा (निविदाओं) को उचित समझे जाने पर, पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार शामिल है ताकि दैनिक चलनिधि प्रबंधन में चलनिधि समायोजन सुविधा का प्रभावी रूप से प्रयोग किया जा सके।
  • प्रत्यावर्तनीय रिपो दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत के स्तर पर अपरिवर्तित रहेंगीं।
  • आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को 5.0 प्रतिशत के स्तर पर अपरिवर्तित रखा गया है।

विकासात्मक और विनियामक नीतियां

वित्तीय बाजार

  • चयनात्मक आधार पर केंद्रीय सरकार प्रतिभूतियों के नये निर्गमों के मामले में "जब जारी" ट्रेडिंग लागू करने का प्रस्ताव है।
  • प्रस्ताव है कि अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों को केंद्रीय सरकार की प्रतिभूतियों में उनकी खरीद से अधिक बिक्री (शार्ट पोजीशन को पांच ट्रेडिंग दिनों की बढ़ायी गयी अवधि के भीतर रक्षा प्राप्त कर लेने तथा खरीद से अधिक बिक्री की (शार्टेज) प्रतिभूति की रेपो बाजार के जरिये उधार लेते हुए सुपुर्दगी करने की अनुमति दी जाए।
  • निवासी व्यक्ति को किसी चालू या पूंजी खाता लेन देन या दोनों को मिलाकर, उनके लिए प्रति वित्तीय वर्ष 50,000 अमेरीकी डालर तक राशि प्रेषित करने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी जबकि पहले 25,000 अमेरीकी डालर की सीमा थी। विदेशी कंपनियों में निवासी व्यक्ति को उपहार, दान और निवेश की वर्तमान सुविधाएं इस संशोधित सीमा में सम्मिलित होंगी।
  • विदेशी मुद्रा अर्जक की सभी श्रेणी के लोग अपने विदेशी मुद्रा अर्जन अपने विदेशी मुद्रा अर्जकों के विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाते में 100 प्रतिशत तक रख सकते हैं।
  • संतोषजनक कार्य निष्पादन रिकार्ड वाले बड़े टर्न की / परियोजना निर्यातक / सेवा निर्यातक किसी भी देश में निधियों / मशीनरी की अंतर-परियोजना अंतरणीयता के साथ एक विदेशी मुद्रा खाता परिचालित कर सकता है जो निर्दिष्ट रिपोर्टिंग (सूचना देने की ) आवश्यकता की शर्त पर है।
  • अच्छे कार्य निष्पादन रिकार्ड वाले बड़े टर्न की / परियोजना निर्यातक / सेवा निर्यातक अपने अस्थायी नकदी अधिशेष या तो अल्पावधि बैंक जमाराशियों या विदेश में एएए रेटेड अल्पावधि प्रतिभूति (पेपर) में विनियोजित कर सकते हैं, बशर्ते, प्राधिकृत व्यापारी बैंक उन पर निगरानी करता हो।
  • परियोजना अंतरिती से मशीनरी के बाजार मूल्य की वसूली संबंधी निर्धारित शर्त हटा ली गयी है; तथापि, मशीनरी के ऐसे अंतरण की प्राधिकृत व्यापारी बैंक (बैंकों)/अनुमोदित प्राधिकारी को सूचना दी जानी चाहिए और उनके द्वारा इस पर निगरानी रखी जानी चाहिए।
  • प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपनी विदेशी शाखाओं और प्रतिनिधि बैंकों से उनकी अक्षत टियर घ् पूंजी के 50 प्रतिशत या 10 मिलियन अमेरीकी डालर इनमें से जो भी अधिक हो की सीमा तक निधियां उधार (निर्यात ऋण के उधार, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और उनके प्रधान कार्यालय/नोस्ट्रो खाते से ओवरड्राफट सहित ) ले सकते हैं जबकि इसकी तुलना में पहले 25 प्रतिशत की समग्र सीमा (निर्यात ऋण के लिए लिये जानेवाले उधारों को छोड़कर) थी। एक वर्ष या उससे कम अवधि तक के लिए लिये जानेवाले अल्पावधि उधार 50 प्रतिशत की समग्र सीमा के भीतर अक्षत टियर घ् पूंजी के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राप्त करने के पात्र उधारकर्ता एक वित्तीय वर्ष के दौरान स्वत: (एटोमेटिक) पध्दति के अंतर्गत वर्तमान की 500 मिलियन अमेरीकी डालर की सीमा के ऊपर अनुमोदन पध्दति के अंतर्गत 10 वर्षों से अधिक की औसत परिपक्वता के साथ अतिरिक्त 250 मिलियन अमेरीकी डालर प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्राधिकृत व्यापारी बैंक / रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना बाह्य वाणिज्यिक उधार की 300 मिलियन अमरीकी डालर तक, 200 मिलियन अमरीकी डालर की पहले की सीमा के मुकाबले, पूर्व चुकौती की अनुमति देंगे, इस पर ऋण के संबंध में लागू निर्दिष्ट न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि की शर्त लागू होगी।
  • प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने ग्राहकों की ओर से प्रारंभिक खर्चों के लिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान की औसत वार्षिक बिक्री / आय या कुल कारोबार के 15 प्रतिशत तक अथवा उनकी निवल संपत्ति के 25 प्रतिशत तक, इनमें से जो भी अधिक हो तक राशि के प्रेषणों की अनुमति दे सकते हैं और आवर्ती खर्चों के लिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान की औसत वार्षिक बिक्री / आय या कुल उत्पादन के 10 प्रतिशत तक प्रेषणों की अनुमति दे सकते हैं। वे इन सीमाओं के भीतर विदेश में कार्यालय के लिए अचल संपत्ति अभिग्रहित करने के लिए भी प्रेषणों की अनुमति दे सकते हैं।
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर लागू 2 बिलियन अमरीकी डालर की वर्तमान सीमा को चरणबद्ध रूप से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2006 तक 2.6 बिलियन अमरीकी डालर तथा 31 मार्च 2007 तक और बढ़ाकर 3.2 बिलियन अमरीकी डालर कर दिया जायेगा।
  • म्युच्युअल फंडों द्वारा विदेशी निवेश की 2 बिलियन अमेरीकी डालर की वर्तमान सीमा बढ़ाकर 3 बिलियन अमेरीकी डालर कर दी गयी है।
  • आयातकों को उनके आयातों के सीमा शुल्क घटक के लिए वायदा संविदाएं बुक करने की अनुमति दी जायेगी।
  • यह प्रस्ताव है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों को रद्द की गयी वायदा संविदाओं का एक भाग उदाहरण के लिए 25 प्रतिशत, पुन: बुक करने की अनुमति दी जाए, बशर्ते कि ऐसी संविदाओं के लिए पूर्वताप्राप्त (अंडरलाइंग) एक्सपोजर का समर्थन प्राप्त हो।
  • निर्यातकों और आयातकों द्वारा पात्र सीमाओं (पहले की 25 प्रतिशत की सीमा के मुकाबले) के 50 प्रतिशत से अधिक बुक की गयी वायदा संविदाएं सुपुर्दगी आधार पर ही होनी चाहिए और इन्हें रद्द नहीं किया जा सकता।
  • प्रस्ताव है कि प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को ऐसे मामलों में 100,000 अमेरीकी डालर तक की सेवाओं के आयात के लिए गारंटी / साख पत्र जारी करने की अनुमति दी जाए जहां गारंटी एक निवासी और एक अनिवासी के बीच की गई संविदा के कारण उत्पन्न होनेवाली प्रत्यक्ष संविदागत देयता को रक्षा प्रदान करने के लिए हो।
  • प्रस्ताव है कि अचल संपत्ति की बिक्री आय को एनआरओ खाते में जमा करने संबंधी अवरुध्द (लॉक - इन) अवधि को समाप्त किया जाए बशर्ते कि किसी वित्तीय वर्ष में प्रेषित की जानेवाली राशि एक मिलियन अमेरीकी डालर से अधिक न हो।
  • प्रस्ताव है कि बैंकों द्वारा विनिमय प्रतिष्ठानों के साथ किये जानेवाले टाइ-अप की संख्या पर तथा ऐसे बैंकों जिनके पास सुदृढ़ जोखिम प्रबंधन प्रणाली है, के संबंध में रुपया आहरण व्यवस्थाओं के लिए आहरिती शाखाओं की संख्या पर वर्तमान के प्रतिबंध को समाप्त किया जाए।

ऋण सुपुर्दगी

  • माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यमी विकास अधिनियम, 2006 की अधिसूचना के अनुरूप प्रस्ताव है कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में उधार के प्रयोजन के लिए सेवाएं प्रदान करने वाले लघु उद्योग तथा माइक्रो एवं लघु उद्यम की परिभाषा में संशोधन किया जाए।
  • बैंक अपने बोर्ड के अनुमोदन के साथ उन किसानों को एक मुश्त निपटान सुविधा प्रदान करने के लिए पारदर्शी नीति तैयार कर सकते हैं जिनके खातों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण पुन:निर्धारित/पुन:संरचित किया गया है और ऐसे किसानों के लिए भी जिन्होंने उनके नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण चूक की हो।
  • लघु खाते खोलने के लिए बैंकों को केवल खाताधारक का एक फोटो तथा स्व-प्रमाणित पते की मांग करने की जरूरत है।

विवेकपूर्ण उपाय

  • भारत में परिचालित विदेशी बैंक और भारत के बाहर उपस्थिति वाले भारतीय बैंक को 31 मार्च 2008 की प्रभावी तारीख से बेसल - घ्घ् के अंतर्गत क्रेडिट जोखिम के लिए मानकीकृत दृष्टिकोण और परिचालनगत जोखिम के लिए मूल संकेतक दृष्टिकोण में अंतरित किया जाना है। इन बैंकों के साथ-साथ अन्य सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को बेसल - घ्घ् के अंतर्गत इन दृष्टिकोणों में अंतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है किंतु यह किसी भी हालत में 31 मार्च 2009 से पहले हो।
  • बैंकों द्वारा विदेश में भारतीय संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी संस्थाओं को दी जाने वाली ऋण और ऋणेत्तर सुविधाओं पर विवेकपूर्ण सीमा को अक्षत पूंजी निधियों (टियर घ् और टियर घ्घ् पूंजी) को वर्तमान 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।

संस्थागत गतिविधियां

  • वित्तीय समावेश के उद्देश्यों को बृहत्तर स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए बैकों को अपनी सूचना प्रौद्योगिकी आधारित पहल को समायोजित करने के लिए कहा गया है।
  • प्रस्ताव है कि ऐसे राज्यों, जिन्होंने रिज़र्व बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, में पंजीकृत शहरी सहकारी बैंक, जो वित्तीय रूप से सुदृढ़ हैं, तथा बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पंजीकृत शहरी सहकारी बैंक को वर्तमान विस्तार काउंटरों को पूर्णरुपेण शाखाओं में तब्दील करने की अनुमति दी जाए।
  • रिज़र्व बैंक विचार-विमर्श और स्वीकार किए जाने हेतु ऐसे राज्यों, जिन्होंने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, में गठित शहरी सहकारी बैंकों के लिए कार्यदल के विचारार्थ उचित आचार संहिता का एक मॉडल मसौदा प्रस्तुत करेगा।
  • प्रस्ताव है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बगैर जोखिम आधार पर बैंकों के साथ सह-ब्रांड वाले क्रेडिट कार्ड जारी करने तथा म्युचुअल फंड उत्पादों का विपणन और वितरण करने की अनुमति दी जाए।
  • प्रस्ताव है कि वास्तविक/भौतिक आस्ति सहायक आर्थिक गतिविधि जैसे कि ऑटोमोबाइल्स और सामान्य प्रयोजन औद्योगिकी मशरीनरी के वित्तपोषण से सम्बद्ध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को "सम्पत्ति वित्तपोषण कंपनियों" के रूप में पुन:समूहबद्ध किया जाए।
  • वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन पर विश्व बैंक-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष हैंडबुक का प्रयोग करते हुए वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन समिति वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता और विकास का स्व-मूल्यांकन करेगी तथा छ: माह की अवधि के अंदर इसकी प्रगति की सूचना देगी।

बी.वी.राठोड

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/589

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