भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीतिगत वक्तव्य की छमाही समीक्षा की घोषणा की - आरबीआई - Reserve Bank of India
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25 अक्तूबर 2005 को प्रकाशित
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीतिगत वक्तव्य की छमाही समीक्षा की घोषणा की
25 अक्तूबर 2005
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीतिगत वक्तव्य की छमाही समीक्षा की घोषणा की
मुख्य-मुख्य बातें
देशी गतिविधियां
- वफ्षि उत्पादन में जोर और अन्य क्षेत्रों में तेजी के वर्तमान मूल्यांकन के आधार पर सकल देशी उत्पाद में वफ्द्धि के अनुमान 2005-06 के लिए पहले किये गये लगभग 7.0 प्रतिशत के पूर्वानुमान संशोधित करके 7.0 - 7.5 किये गये हैं।
- वार्षिक मुद्रा स्फीति, जोकि थोक मूल्य सूचकांक में बिंदु-दर-बिंदु आधार पर मापी जाती है, अप्रैल 2005 के 6.0 प्रतिशत से घटकर अक्तूबर 2005 में 4.6 प्रतिशत रह गयी।
- मुद्रा स्फीति पूर्वानुमानित 5.0 - 5.5 की सीमा में रही है। मुद्रा स्फीति प्रत्याशाओं में बिना कोई इज़ाफा किये उच्च वफ्द्धि हेतु वफ्द्धि की गति और संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए प्रगामी नीतिगत प्रतिक्रिया जरूरी है।
- मुद्रा आपूर्ति (एम3), पूरे वर्ष के लिए लगाये गये 14.5 प्रतिशत के पूर्वानुमान की तुलना में थोड़ी अधिक हो सकती है। सकल जमाराशियों में वफ्द्धि भी पूर्वानुमानों की तुलना में काफी उंची हो सकती है।
- वर्ष-दर-वर्ष आधार पर समायोजित खाद्यतर ऋण के बारे में अनुमान है कि यह 19.0 प्रतिशत के पूर्वानुमानों की तुलना में महत्त्वपूर्ण रूप से बढॅेगा।
- यद्यपि, लगभग सभी खण्डों में ब्याज दरें स्थिर रही हैं लेकिन फिर भी वित्तीय बाजार स्थिर और सुव्यवस्थित रहे हैं। प्रतिलाभ वक्र गहरा गया है। सीबीएलओ की मात्रा में महत्त्वपूर्ण वफ्द्धि हुई है।
- बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) और चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के रूप में सकल चलनिधि स्टरलाइज्ड़ हो गई है और केंद्र सरकार की अधिशेष शेषराशियां मार्च 2005 में लगभग 1,14,192 करोड़ रुपये के औसत से बढ़कर अक्तूबर 2005 में 1,20,076 करोड रुपये हो गयी है।
- केंद्र सरकार का बाजार उधार कार्यक्रम अब तक वर्ष 2005-06 के केंद्रीय बजट में निर्धारित किये गये पूर्वानुमानों के अनुरूप रहा हैं।
बाह्य गतिविधियां
- वर्ष 2005-06 की पहली छमाही में अमेरिकी डॉलर के अर्थ में निर्यात पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के 30.8 प्रतिशत की तुलना में 20.5 प्रतिशत बढ़े हैं। आयात पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में हुई 37.3 प्रतिशत वफ्द्धि की तुलना में 33.1 प्रतिशत बढ़े हैं। अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के मूल्यों में तेजी और देशी औद्योगिक गतिविधि में पकड़ते जोर से उपजी आयात मांग के कारण आयात में वफ्द्धि देखी गयी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2005 के अंत के 141.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ते हुये 14 अक्तूबर 2005 को 143.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- तेल मूल्यों और सतत सुदफ्ढ़ निवेश मांग के परिप्रेक्ष में भुगतान संतुलन में होनेवाली गतिविधियो की सावधानीपूर्वक निगरानी किए जाने की आवश्यकता है।
- विदेशी मुद्रा बाजार में 2005-06 की पहली छमाही में सुव्यवस्थित स्थितियां दिखाई दी हैं। रुपये का विनिमय मूल्य अमेरिकी डॉलर की तुलना में 3.0 प्रतिशत गिरा है और यह मार्च 2005 के अंत के 43.75 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर से 45.09 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर हो गया है। तथापि, यह इसी अवधि के दौरान में यूरो की तुलना में 4.2 प्रतिशत, पाउण्ड स्टर्लिंग की तुलना में 2.5 प्रतिशत और जापानी येन की तुलना में 4.5 प्रतिशत बढ़ा है।
वैश्विक गतिविधियां
- वैश्विक आर्थिक गतिविधियां सुदफ्ढ़ बनी रही लेकिन 2005 की दूसरी तिमाही में इसमें मामूली गिरावट आयी; वर्ष 2004 में 5.1 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2005 में 4.3 प्रतिशत की संभावित वफ्द्धि।
- तेल मूल्यों में वफ्द्धि ने वैश्विक रूप से मुद्रा स्फीति में वफ्द्धि प्रारंभ कर दी है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में अकेले ही सबसे बड़ी जोख़िम बनी हुई है।
- वैश्विक वफ्द्धि का जोखिम सतत समष्टि आर्थिक असंतुलनों से भी उपजता है और वैश्विक चलनिधि की अधिकता, आस्ति बुलबुलों, वित्तीय बाजारों में अत्यधिक लीवरेजिंग में परिणत होता है।
समग्र मूल्यांकन
- तुला पर देखा जाय तो समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थितियां प्रत्याशाओं के अनुरूप ही सामने आयी हैं।
- समग्र औद्योगिक वफ्द्धि सुदफ्ढ़ हुई है, मानसून का भय दूर हुआ है, खाद्येतर ऋण में वफ्द्धि उछाल भरी रही है, सरकारी प्रतिभूतियों की मांग लगातार बनी रही है और निवेश मांग में बढ़ता हुआ जोर स्पष्ट है।
- हाल ही के महीनों में आर्थिक परिदफ्श्य में कुछ अधोमुखी जोखिमें उभरी हैं। ऋण की गुणवत्ता और बुनियादी संरचनाओं में निवेश का कदम सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। आस्ति मूल्यों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गयी। समग्र सकारात्मक भाव, निजी क्षेत्र का कारोबारी विश्वास और देशी अर्थव्यवस्था की नमनीयता लगातार पूंजीप्रवाहों को निर्धारित करेंगी।
मौद्रिक नीति का दृष्टिकोण
- रिज़र्व बैंक निरंतर रूप से यह सुनिश्चित करेगा कि प्रणाली में उचित नकदी बनी रहे ताकि मूल्य स्थिरता के उेश्यि के अनुरूप ऋण की सभी वैध आवश्यकताएं पूरी होती रहें। इस उेश्यि की पूर्ति हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक बाजार स्थिरीकरण योजना, चलनिधि समायोजन सुविधा और नकदी प्रारक्षित अनुपात सहित खुला बाजार परिचालनों के जरिए तथा अपने पास उपलब्ध सभी नीतिगत साधनों का जब भी आवश्यकता पड़े, उपयोग करते हुये चलनिधि की सक्रिय मांग का प्रबंधन करने की अपनी नीति जारी रखेगा।
- अर्थव्यवस्था कि विभिन्न क्षेत्रों में किसी विपरीत और अप्रत्याशित गतिविधियों के उभरने को छोड़कर तथा मुद्रा स्फीति के लिए दृष्टिकोण सहित अर्थव्यवस्था के वर्तमान मूल्यांकन को दृष्टिगत रखते हुये वर्ष के शेष भाग के लिए मौद्रिक नीति का समग्र दृष्टिकोण होगा : (व) मूल्य की स्थिरता पर सतत जोर बनाए रखते हुए, वास्तविक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समुचित चलनिधि की व्यवस्था और निर्यात तथा अर्थव्यवस्था में निवेश मांग को समर्थन, (वव) ऐसा ब्याज दर वातावरण सुनिश्चित करना जो समष्टि आर्थिक और मूल्य स्थिरता तथा वफ्द्धि की गति को बनाये रखने के अनुकूल हो, (ववव) मुद्रा स्फीतिगत प्रत्याशाओं को स्थिरता लाने की दृष्टि से उपजी हुयी परिस्थितियों की प्रतिक्रिया स्वरूप एक नापे तुले और त्वरित ढंग से उपायों पर विचार करना।
मौद्रिक उपाय
- बैंक दर 6.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गयी है।
- रिवर्स रिपो दर 26 अक्तूबर 2005 से 25 आधार अंक बढ़कर 5.25 प्रतिशत हो गयी है। चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिवर्स रिपो और रिपो दर के बीच का स्प्रेड 100 आधार अंक बनाए रखा गया है।
- नकदी प्रारक्षित अनुपात (सीआरआर) 5.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है।
विकासात्मक और नियामक नीतियाँ
ब्याज दर नीति
- भारतीय बैंक संघ से कहा जा रहा है कि वह बेंच मार्क प्राईम लेंडिग दर (बीपीएलआर)प्रणाली की समीक्षा करें और कर्ज के उचित मूल्य निर्धारण (प्राइसिंग) के लिए पारदर्शी दिशानिदेश जारी करें।
वित्तीय बाज़ार
- रिज़र्व बैंक ने ऋण प्रबंधन और मुद्रागत परिचालनों के कार्य को अलग करने के प्रयोजनार्थ जुलाई 2005 में एक नये विभाग की स्थापना की जिसका नाम है वित्त बाजार विभाग (एफएमडी)
- सरकारी प्रतिभूतियों की इंट्रा-डे शार्ट सेलिंग शुरू करना प्रस्तावित किया गया है।
- सभी बीमा निकायों, जिनके लिए सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना अधिदेशीय है, को एनडीएस-ओएम मोड्यूल उपलब्ध कराया जायेगा।
- क्लीयरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआइएल) द्वारा काल/नोटिस तथा सावधि मुद्रा बाजॉरों के लिए स्क्रीन आधारित निगोशिएटेड कोट ड्रिवन सिस्टम और सरकारी प्रतिभूतियों में मार्केट रिपो ऑपरेशन्स के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म का विकास किया जा रहा है।
बाहृय वाणिज्यिक उधार
- विशेष प्रयोजन के साधन (एसपीवी) अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित कोई अन्य निकाय, जिनकी स्थापना आधारभूत संरचना वाली कंपनियों/परियोजनाओं को वित्त उपलब्ध कराने के लिए की गयी है, को वित्तीय संस्था के रूप में माना जाएगा और ऐसे निकायों द्वारा लिये गये बाहृय वाणिज्य उधारों को अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत माना जाएगा।
- टेक्सटाईल इकाइयों के आधुनिकीकरण अथवा उसमें विस्तार के लिए टेक्सटाईल कंपनियों द्वारा लिये गये बाहृय वाणिज्य उधारों के संबंध में गारंटियां अथवा वैकल्पिक साख पत्र जारी किये करने की बैंकों को अनुमति दी गयी है।
ऋण संवितरण व्यवस्था
- बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एसएमई क्षेत्र के वित्तीयन के लिए अपने लक्ष्य का स्वयं का निर्धारित करें ताकि उच्च संवितरण को दर्शाया जा सके, बैंकों से अपेक्षित है कि वे एसएमई क्षेत्र को ऋण देने के लिए उदार और विस्तफ्त नीतियां तैयार करें और इस क्षेत्र के ऋणों की लागत को क्रेडिट रेटिंग्स से जुड़ी लागत के परिप्रेक्ष्य में सुसंगत बनाएं।
- बैंकिंग क्षेत्र में प्रचलित कारपोरेट ऋण पुनर्गठन प्रणाली (सीडीआर) के अनुरूप एसएमई क्षेत्र की इकाइयों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा एक ऋण पुनर्गठन व्यवस्था तैयार की गई है। सीडीआर प्रणाली के निष्पादन की पुनरीक्षा की गयी थी और विद्यमान सीडीआर प्रणाली के परिवर्तनों को अंतिम रूप दिया जा चुका है ।
- नाबाड़ में स्थापित किये गये माइक्रोफाइनान्स डेवलपमेंट फंड (एमएफडीएफ) का नाम बदलकर माइक्रोफाइनान्स डेवलपमेंट एंड ईक्विटी फंड (एमएफडीईएफ) कर दिया गया है और इसकी आधारभूत निधि 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये कर दी गयी है। एमएफडीईएफ के कार्य करने की पद्धतियां तैयार की जा रही है।
- सभी मुों िको उनकी संपूर्णता में जांचने और प्रावफ्तिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध कराये जानेवाले राहत उपायों के संबंध में दिशानिर्देशों में उचित संशोधन का सुझाव देने के लिए आंतरिक कार्यकारी समूह का गठन प्रस्तावित है।
वित्तीय समावेश
- ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में जनसंख्या के सभी वर्गों को वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के मेनिज़र, समाज के उन वर्गों के लिए जिन तक ऋण सुविधा नहीं पहुँच पाती है, ऋण सुपुर्दगी तंत्र हेतु प्रस्तावित उपायों में सहकारी ऋण प्रणाली के पुन: प्रवर्तन के लिए व्यापक ढाँचा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पुन: प्रवर्तन तथा वाणिज्य बैंकिंग का पुन: विन्यास।
- अधिक वित्तीय समावेश प्राप्त करने के मेनिज़र यह आवश्यक है कि सभी बैंक एक मूल बैंकिंग ‘नो फ्रिल्स’ खाता उपलब्ध कराएँ जिसमें ‘शून्य’ अथवा शेष के साथ-साथ प्रभार न्यूनतम हो ताकि जनसंख्या के बड़े वर्ग की पहुँच इन खातों तक हो सके। सभी बैंको से अपेक्षा की जाती है कि वे इन ‘नो फ्रिल्स’ खाते का व्यापक प्रचार करें ताकि अधिक वित्तीय समावेश सुनिश्चित किया जा सके।
विवेकपूर्ण उपाय
- एकल अथवा समेकित आधार पर बैंक के निवल मूल्य के 40 प्रतिशत प्रतिबंधित फुल पूंजी बाज़ार जोखिम को संशोधित करके समेकित प्रत्यक्ष पूंजी बाज़ार जोखिम को बैंक के निवल मूल्य का 20 प्रतिशत कर दिया गया है। सुदृढ़ आन्तरिक नियंत्रण तथा मजबूत जोखिम प्रबंधन प्रणाली वाले बैंक उच्चतर सीमा हेतु रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं।
- ‘मानक अग्रिमों’ के लिए सामान्य प्रावधानीकरण अपेक्षा 0.25 प्रतिशत के वर्तमान स्तर को बढ़ाकर 0.40 प्रतिशत करने पर वफ्षि तथा छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्रों को दिए जाने वाले प्रत्यक्ष अग्रिमों को अतिरिक्त प्रावधानीकरण अपेक्षा से छूट दी गई है।
- स्थावर संपदा, अधिक सुविधावाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, उद्यम पूंजी निधि तथा पूंजी बाज़ार जैसे कुछ क्षेत्रों के अधिक जोखिम वाले चयनित बैंकों में आरंभ की गई पर्यवेक्षण समीक्षा प्रक्रिया ताकि प्रभावी जोखिम करके सुदृढ़ आन्तरिक नियंत्रणों को सुनिश्चित किया जा सके।
- बैंकों को गैर बैंक संस्थानों के साथ गठबंधन करके डेबिट काड़ जारी करने की सामान्य अनुमति।
संस्थागत गतिविधियां
- मार्च 2006 के अंत तक 15,000 शाखाएं आरटीजीएस कनेक्टिविटी से जुड़ जाएंगी और इस प्रणाली में मासिक लेनदेनों की संख्या एक लाख से बढ़कर दो लाख हो जाने का अनुमान है ।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली पूरे देश भर में नेटवर्क से जुड़ी सभी शाखाओं में चरणबद्ध रूप से कार्यान्वित की जाएगी ।
- अनुमान है कि चेक ट्रंकेशन प्रणाली के लिए मार्च 2006 के अंत तक नई दिल्ली में प्रायोगिक परियोजना कार्यान्वित की जाएगी ।
- बैंको को चलनिधि का कारगर और किफायती रूप में प्रबंध करने में सक्षम बनाने के लिए दिसंबर 2005 के अंत तक चार महानगरीय केंद्रों में राष्ट्रीय निपटान प्रणाली (एनएसएस) शुरू की जाएगी ।
- कंपनी अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत फुटकर भुगतान प्रणालि के लिए नई कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव है जिसका स्वामित्व और परिचालन बैंकों का होगा तथा जिसका परिचालन 1 अप्रैल 2006 से होने की संभावना है ।
- बैंकों को आग्रह किया गया है कि वे आवधिक रूप से अपनी कारोबारी निरंतरता योजनाओं की जांच करे ।
- बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत और जहां राज्य सरकार ने रिज़र्व बैंक के साथ समझौता ज्ञापन करते हुए विनियामक समन्वयन का आश्वासन दिया है वहां संबंधित राज्य अधिनियमों के अंतर्गत पंजीकफ्त अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के लिए करेंसी चेस्ट सुविधा और विदेशी मुद्रा कारोबार करने के लिए लाइसेंस (प्राधिवफ्त व्यक्ति लाइसेंस)।
- अधिग्राहक शहरी सहकारी बैंक को अधिगफ्हित शहरी सहकारी बैंक से ली गई हानियों का परिशोधन विलयन के वर्ष सहित पांच वर्ष से अनधिक अवधि में करने के लिए अनुमति देना ।
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के कार्यान्वयन संबंधी योजना के ब्यौरे रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखे गये है ।
- रिज़र्व बैंक ने हाल ही में अपने ‘नाममात्र प्रभावी विनिमय दर’ और ‘वास्तविक प्रभावी विनिमय दर’ सूचकांक अद्यतन किये हैं । नाममात्र प्रभावी विनिमय दर और वास्तविक प्रभावी विनिमय दर के नये 6 करेंसी सूचकांक और 36 देशों के संशोधित सूचकांक भारतीय रिज़र्व बैंक के दिसम्बर 2005 के बुलेटीन में प्रकाशित किये जायेंगे ।
वार्षिक नीति के भाग घ् की तीसरी तिमाही समीक्षा 24 जनवरी 2006 को की जाएगी।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/503
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