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भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा जमाराशियों के गैर-कानूनी संग्रह पर काबू पाने के लिए वेबसाइट ‘सचेत’ की शुरुआत

04 अगस्त 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा जमाराशियों के गैर-कानूनी संग्रह
पर काबू पाने के लिए वेबसाइट ‘सचेत’ की शुरुआत

“तत्काल अनुवर्ती कार्रवाई प्रारंभ करके और अपराधी को सजा देकर मामलों को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाना भविष्य में गैर-कानूनी गतिविधि करने से संस्थाओं को रोकने के लिए सर्वोच्च कार्य है। मुझे आशा है कि ‘सचेत’ यह कार्य करने में विनियामकों के लिए उतनी ही मददगार होगी जितनी आम जनता को इन संस्थाओं के बारे में समय पर सूचना उपलब्ध कराकर उन्हें सही संस्थाओं में अपनी मेहनत की कमाई जमा करने में सहायता करेगी।”

डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने वेबसाइट – ‘सचेत’ शुरू करते हुए यह कहा, यह एक ऐसी वेबसाइट है जहां से आम व्यक्ति जमाराशि स्वीकार करने वाली संस्थाओं के बारे में सूचना प्राप्त कर सकेंगे, शिकायतें दर्ज करा सकेंगे और बेइमान संस्थाओं द्वारा गैर-कानूनी तरीके से जमाराशि स्वीकार करने संबंधी सूचना साझा कर सकेंगे। यह वेबसाइट विनियामकों और राज्य सरकार की एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने में सहायता करेगी तथा इस प्रकार बेइमान संस्थाओं द्वारा अप्राधिकृत तरीके से जमाराशि स्वीकार करने की घटनाओं को नियंत्रित करने में उपयोगी होगी। गवर्नर ने एसएलसीसी के पुनरुत्थान में सेबी के अध्यक्ष श्री यू.के. सिन्हा और राज्य मुख्य सचिवों की भूमिका को स्वीकारा।

इस वेबसाइट का यूआरएल है - www.sachet.rbi.org.in

वेबसाइट की विशेषताओं के बारे में बताते हुए श्री एस.एस. मूंदड़ा ने कहा कि आम जनता इस वेबसाइट पर देख सकती है कि सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार करने वाली विशेष संस्था किसी विनियामक के पास पंजीकृत है या नहीं और क्या इस संस्था को जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति है। यह वेबसाइट सभी वित्तीय विनियामकों द्वारा निर्धारित विनियमों को भी समाहित करती है जिनका विभिन्न संस्थाओं को पालन करना है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी संस्था ने गैर-कानूनी ढ़ंग से आम जनता से पैसा स्वीकार किया है और/या जमाराशि की चुकौती में चूक की है तो इस वेबसाइट पर शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है और उनको देखा जा सकता है। वे इस पोर्टल पर ऐसी किसी संस्था के बारे में जानकारी भी साझा कर सकते हैं।

इस वेबसाइट में एसएलसीसी के लिए एक अलग से उपयोगकर्ता समूह हेतु एक खंड है जिसमें वे तत्काल आधार पर पूरे देश में बाजार आसूचना और अपनी बैठकों की कार्यसूची तथा कार्यवृत्त सहित गतिविधियों से संबंधित अन्य जानकारी साझा कर सकेंगे। श्री मूंदड़ा ने आशा व्यक्त की कि यह वेबसाइट “फोर्स मल्टीप्लायर” के रूप में कार्य करेगी और एसएलसीसी के कार्यसंचालन को अधिक प्रभावी बनाएगी तथा अप्राधिकृत तरीके से पैसा जुटाने की गतिविधियों के खतरे पर नियंत्रण लगाएगी।

श्री एस. रामन, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य इस शुभारंभ कार्यक्रम में उपस्थित थे। श्री रामन ने वेबसाइट शुरू करने के प्रयास की सराहना की और कहा कि यह जमाराशि स्वीकार करने वाली बेइमान संस्थाओं के विरूद्ध लड़ने के लिए रोकथाम और शिक्षाप्रद तत्व जोड़ने में उपयोगी भूमिका निभाएगी। अन्य विनियामक जैसे आईआरडीए, राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया। राज्यों के मुख्य सचिव जिन्होंने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया, ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि यह अंतर-एजेंसी समन्वय को सुनिश्चित करने में उपयोगी भूमिका निभाएगी। वेबसाइट की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालने के लिए कार्यक्रम के दौरान बेवसाइट का एक लघु वीडियो पूर्वाभ्यास दिखाया गया।

पृष्ठभूमि

सभी राज्यों /संघ शासित प्रदेशों में राज्य स्तरीय समन्वय समितियां (एसएलसीसी) हैं। इन समितियों में विभिन्न विनियामक हैं जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी), बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए), कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) और संबंधित राज्य सरकार के विभाग जैसे गृह विभाग, वित्त विभाग, विधि विभाग और विभिन्न पुलिस अधिकारी। प्रत्येक राज्य में वर्ष 2014 में एसएलसीसीज गठित की गई थी जिससे कि जमाराशियों के अप्राधिकृत संग्रह पर निगरानी की जा सके और इन समितियां की संबंधित राज्य/संघ शासित प्रदेश (यूटी) के मुख्य सचिव/प्रशासक की अध्यक्षता में जल्दी-जल्दी बैठक हो सके जिन बैठकों में राज्यों और विनियामकों के वरिष्ठ स्तरीय अधिकारी भाग लें। सहभागिता करने वाली इन एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बारंबार बैठकें होती हैं जिससे कि उन संस्थाओं के बारे में सूचना साझी की जा सके जो अप्राधिकृत तरीके से जमाराशियां स्वीकार करने में लिप्त हैं और समयबद्ध तरीके से उनके विरूद्ध कार्रवाई की जा सके।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/312

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