रिज़र्व बैंक ने ‘उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विकासशील उन्नत पूंजी बाजार’ पर संगोष्ठी आयोजित की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने ‘उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विकासशील उन्नत पूंजी बाजार’ पर संगोष्ठी आयोजित की
30 मई 2019 रिज़र्व बैंक ने ‘उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विकासशील भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 29 मई, 2019 को मुंबई में अपने केंद्रीय कार्यालय में ‘उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विकासशील उन्नत पूंजी बाजार’ पर संगोष्ठी आयोजित की । श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश की गिरती दरों और इस प्रवृत्ति को रोकने में पूंजी बाजार क्या भूमिका निभा सकता है इस बात पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार आर्थिक एजेंटों को जोखिमों के संयोजन, मूल्यन, विभाजन और विनिमय के लिए सक्षम बनाता है। यदि बाजार तरल हैं, मूल्य की वसूली प्रभावी है और मध्यस्थता की लागत कम है, तो एक अर्थव्यवस्था में बचत की आदत में सुधार होता है।पूंजी बाजार भी कुशलता से वित्तीय संसाधनों को पुनराबंटित कर के दीर्घकालिक लाभ ला सकते हैं। इससे अंततः अर्थव्यवस्था में वृद्धिशील पूंजी-उत्पादन अनुपात कम हो जाता है और विकास को बढ़ावा देने में मदद होती है। अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. रायन बनर्जी ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली (सीजीएफएस) पर समिति , जिसकी सह-अध्यक्षता रिज़र्व बैंक के डॉ. विरल वी. आचार्य और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के डॉ. ली बो ने की थी: https://www.bis.org/publ/cgfs62.pdf की 'स्थापित व्यवहार्य पूंजी बाजार’ रिपोर्ट पर प्रकाश डाला। डॉ. आचार्य, उप गवर्नर ने कहा कि स्थिर समष्टी-आर्थिक परिवेश भारत में बढ़ते पूंजी बाजार का एक महत्वपूर्ण चालक रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अब बाजार की स्वायत्तता बढ़ाने, निवेशक सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने और विनियामक व्यवस्था को और अधिक कुशल और प्रभावी बनाने का समय आ गया है ताकि घरेलू संस्थागत आधार को मजबूत करते हुए समष्टी-विवेकपूर्ण स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के लिए द्वि-दिशात्मक कार्य की शुरुआत की जा सके, और पूरक बाजारों और सहयोगी बाजार आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जा सके। संगोष्ठी में, ‘उभरते बाज़ारों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के पूंजी बाज़ारों के वैश्विक अभिसरण के लिए इस से ज्यादा और कितना समय लगेगा’ पर पैनल चर्चा हुई। पैनल में शामिल डॉ. जॉन क्लार्क, फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क; श्री रिधम देसाई, मॉर्गन स्टेनली; डॉ. रायन बनर्जी, बीआईएस; श्री टी. रवि शंकर, रिज़र्व बैंक और डॉ. मृदुल सागर, रिज़र्व बैंक (मॉडरेटर) का विचार रहा कि उभरते बाज़ारों द्वारा तेजी से प्रगति के बावजूद यदि बाजारों को उन परिपक्व बाजारों की ओर अभिमुख होना है तो बाजार के प्रतिभागियों द्वारा अगले नीतिगत कदमों के साथ-साथ एक अधिक स्वायत्त अभियान आवश्यक है। उनकी अनुशंसा ने इक्विटी, निजी और सरकारी बॉन्ड बाजारों को कवर किया । योगेश दयाल प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2806 |