भारतीय रिज़र्व बैंक ने गिल्ट खाताधारकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में वेब आधारित ऑन-लाईन व्यापार मोड्यूल लागू किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गिल्ट खाताधारकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में वेब आधारित ऑन-लाईन व्यापार मोड्यूल लागू किया
29 जून 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक ने गिल्ट खाताधारकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में भारतीय रिज़र्व बैंक ने गिल्ट खाताधारकों (जीएएच) द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के द्धितीयक बाज़ार में ऑन-लाईन व्यापार के लिए वेब आधारित एनडीएस-ओएम मोड्यूल लागू किया। यह मोड्यूल सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री की सुविधा प्रदान करेगा। इसे 29 जून 2012 से लागू किया जाएगा। यह मोड्यूल सरकारी प्रतिभूतियों के द्वितीयक बाज़ार में गिल्ट खाताधारकों के इंटरनेट आधारित सीधे ही सहभागिता की अनुमति प्रदान करता है। चूंकि वेब आधारित एनडीएस-ओएम माड्यूल प्राथमिक सदस्यों (पीएम) के माध्यम से गिल्ट खाताधारकों द्वारा व्यापार के लिए वर्तमान प्रणाली की एक अतिरिक्त सुविधा है वर्तमान ग्राहकों की सहायक सामान्य खाता बही(सीएसजीएल) खाता धारकों से संबंधित वर्तमान नियम लागू होना जारी रहेगा। अत: माड्यूल का प्रयोग संबंधित प्राथमिक सदस्यों के नियंत्रण के अधीन होगा। प्राथमिक सदस्य वर्तमान की तरह ही अपने गिल्ट खाताधारकों के संबंध में सीएसजीएल व्यापारों के निपटान के लिए जिम्मेदारी निभाना जारी रखेगा। वेब आधारित एनडीएस-ओएम प्लेटफार्म की सभी कार्रवाईयों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी नियमों, विनियमों, अधिसूचनाओं और/अथवा अन्य अनुदेशों से नियंत्रित होना जारी रहेगा। गिल्ट खाताधारक अथवा उसके प्राथमिक सदस्य द्वारा इस प्लेटफार्म पर की गई किसी कार्रवाई के लिए किसी गिल्ट खाताधारक और उसके प्राथमिक सदस्य के बीच किसी विवाद में रिज़र्व बैंक की कोई भूमिका नहीं होगी। वेब आधारित एनडीएस-ओएम सुविधा पर अतिरिक्त जानकारी और परिचालनगत दिशानिर्देश सीसीआईएल की वेबसाईट https://www.ccilindia.com/Documents/whats_new/2012/NDS_OM_Web_Module.pdf पर उपलब्ध है। वेब आधारित एनडीएस-ओएम पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न अथवा टूटोरियल्स भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाईट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। अधिक स्पष्टिकरण के लिए सहभागी एनडीएस-ओएम हेल्प डेस्क को 022-61546354 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा giltshelpdesk@ccilindia.co.in को ई-मेल भेज सकते हैं। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2113 |