भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीएम बैंक (इंडिया) लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीएम बैंक (इंडिया) लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 अप्रैल 2024 के आदेश द्वारा एसबीएम बैंक (इंडिया) लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लगाई गई लाइसेंसीकरण संबंधी शर्तों तथा उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के अंतर्गत लेनदेन को तत्काल प्रभाव से बंद करने संबंधी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए ₹88.70 लाख (अट्ठासी लाख सत्तर हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों/ शर्तों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को दो अलग-अलग नोटिस जारी किए गए, जिनमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों/ शर्तों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। बैंक ने (i) कुछ क्षेत्रों के ग्राहकों के साथ खाता-आधारित संबंध स्थापित करने के लिए कारोबार प्रतिनिधियों को नियुक्त किया, जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने उसके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था, और (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तत्काल प्रभाव से उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत लेनदेन को रोकने के निदेश के बावजूद कतिपय लेनदेन प्रोसेस किए। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(पुनीत पंचोली)
प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/419 |