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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के लाभार्थ समूह कार्रवाई आरंभ की ; बैंकिंग लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट - वर्ष 2008-09 जारी की गई

22 फरवरी 2010

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के लाभार्थ समूह कार्रवाई आरंभ की ;
बैंकिंग लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट - वर्ष 2008-09 जारी की गई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों द्वारा किए गए भूल-चूक से बैंक ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सभी बैंकों को सक्रियता से सामान्य निदेश जारी करना शुरू कर दिया है। इसे ‘समूह कार्रवाई’ कहा गया है और नियंत्रक द्वारा ऐसे सामान्य निदेश ऐसे मामलों में दिए जा रहे है जिसका लाभ न केवल आवेदक को प्राप्त होगा बल्कि उन सभी ग्राहकों को भी अपने संबंधित बैंकों/रिज़र्व बैंक को संपर्क किए बगैर लाभ मिलेगा जिनके इसी प्रकार के मामले हैं।

रिज़र्व बैंक ने पहले ही कई बैंकों के विरूद्ध ऐसी ‘समूह कार्रवाई’ शुरू कर दी है। उदाहरणार्थ जमा खातों पर ब्याज दरों की गणना की पद्धति के संबंध में एक विदेशी बैंक पर ‘समूह कार्रवाई’ शुरू की गई थी। इसी प्रकार, एक सार्वजनिक बैंक को उधारकर्ताओं द्वारा राहत के लिए आवेदन किए बगैर सभी उधारकर्ताओं के साथ किए गए करारों के अनुसार सभी आवास ऋणों पर ब्याज दर की पुन: गणना करने के लिए सूचित किया गया था। इसी प्रकार अन्य एक सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक को बीमा प्रीमियम पुन: जमा करने के लिए कहा गया था क्योंकि समूह बीमा योजना के अंतर्गत ग्राहक की सहमति के बगैर उसके बचत खाते में राशि नामे डाली गई थी। रिज़र्व बैंक का ग्राहक सेवा विभाग समाचारपत्रों अथवा अन्य किसी मीडिया में प्रकाशित समाचार के आधार पर भी सक्रियता से कार्रवाई करता है।

इसका उल्लेख बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 की कार्यपद्धति पर वार्षिक रिपोर्ट में किया गया था। डॉ. डी.सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस सप्ताह में आयोजित बैंकिंग लोकपाल के वार्षिक सम्मेलन में बैंकिंग लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट जारी की।

  • बैंकिंग लोकपाल को वर्ष 2007-08 में 47887 शिकायतों की तुलना में वर्ष 2008-09 के दौरान 69117 (44 प्रतिशत अधिक) शिकायतें प्राप्त हुईं।

  • वर्ष के दौरान प्राप्त समग्र शिकायतें ग्रामीण क्षेत्रों से 65 प्रतिशत, अर्ध-शहरी क्षेत्रों से 48 प्रतिशत, शहरी क्षेत्रों से 63 प्रतिशत और महानगरीय क्षेत्रों से 40 प्रतिशत अधिक रही।

  • जबकि 43 प्रतिशत शिकायतें महानगरीय क्षेत्रों से प्राप्त हुईं 23 प्रतिशत शिकायतें शहरी क्षेत्रों से प्राप्त हुईं। यह उल्लेखनीय है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से पिछले वर्ष के दौरान प्राप्त 32 प्रतिशत की शिकायतों की तुलना में इस वर्ष 34 प्रतिशत शिकायतें प्राप्त हुईं।

  • सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों से प्राप्त शिकायतों में क्रमश: 29 प्रतिशत, 58 प्रतिशत और 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • 23 प्रतिशत शिकायतें ई-मेल से प्राप्त हुईं, 14 प्रतिशत शिकायतें रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध ऑन-लाईन आवेदन फार्म के माध्यम से प्राप्त हुईं और 63 प्रतिशत हार्डकॉपी फार्मेट में प्राप्त हुईं।

  • क्रेडिट कार्डों/एटीएम कार्डों से संबंधित शिकायतें (25.5 प्रतिशत) वर्ष 2008-09 में सबसे अधिक रही। इससे संबंधित शिकायतों में वर्ष के दौरान 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • किए गए वादे पूरे न करने से संबंधित शिकायतों (17 प्रतिशत) में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई और बैंकिंग लोकपाल को प्राप्त शिकायतों में इसका दूसरा स्थान रहा। अन्य शिकायतें जमाराशियों और विप्रेषणों, औसत तिमाही शेष राशि का रखरखाव, ऋण और अग्रिम, पेंशन, प्रत्यक्ष बिक्री और वसूली एजेंट, ग्राहकों को समयपूर्व सूचित किए बगैर लगाए गए प्रोसेसिंग/नवीकरण/समयपूर्व बंदी प्रभार आदि से संबंधित थीं।

  • वर्ष 2008-09 के दौरान बैंकों और शिकायतकर्ताओं ने बैंकिंग लोकपाल के निर्णयों के विरुद्ध 269 मामलों में अपील की। वर्ष 2007-08 के दौरान बैंकों और शिकायतकर्ताओं ने बैंकिंग लोकपाल के निर्णयों के विरूद्ध 186 अपीलें की थी। तथापि, लोकपाल तथा अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पारित अधिकतर संकल्पों/प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप ग्राहकों को कानूनी रूप से अपनी देय राशि प्राप्त हुई तथा 5000 रुपए से अधिक की क्षतिपूर्ति प्राप्त हुई। अपीलों की संख्या में बढ़ोतरी से यह पता चलता है कि ग्राहकों को इस योजना के बारे में उचित जानकारी प्राप्त हुई है। बैंकिंग लोकपाल योजना बैंकों तथा शिकायतकर्ताओं दोनों को बैंकिंग लोकपाल के निर्णयों के विरुद्ध अपील करने की अनुमति देता है।

बैंकिंग लोकपाल योजना पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जागरुकता तथा बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों की आसान पहुँच के कारण बैंकिंग लोकपाल द्वारा प्राप्त शिकायतों की संख्या बढ़ी है। वार्षिक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया है कि ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों से शिकायतों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण इन क्षेत्रों में बैंकिंग की पहुँच का बढ़ना, अधिक जागरुकता और ग्राहकों की बढ़ी अपेक्षाएं हैं। बैंकिंग लोकपाल ने रिज़र्व बैंक के पहुँच कार्यक्रमों के एक भाग के रूप में उनके व्यक्तिगत दौरे, इन दौरों के मीडिया कवरेज़ तथा विज्ञापनों के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अधिक जागरुकता लाए हैं। वार्षिक रिपोर्ट में आगे यह दर्शाया गया है कि :

रिपोर्ट की संपूर्ण विषयवस्तु भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाईट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है।

पृष्ठभूमि

रिज़र्व बैंक ने वर्ष 1995 में बैंकिंग लोकपाल योजना अधिसूचित की थी और यह तब से लागू की गई है। यह योजना दो बार - वर्ष 2002 और वर्ष 2006 में संशोधित की गई थी। यह योजना बैंकों के विरूद्ध, ग्राहकों के शिकायत निवारण के लिए त्वरित और कम खर्चवाली प्रणाली है। बैंकिंग लोकपाल योजना में बैंकिंग सेवा से संबंधित विसंगतियों की व्यापक शिकायतों को शामिल किया गया है। यह याजना शिकायतकर्ताओं तथा बैंकों को बैंकिंग लोकपाल द्वारा किए गए निर्णयों के संबंध में अपील करने की भी अनुमति देता है। यह योजना जिसे 3 फरवरी 2009 को और आगे संशोधित किया गया है में इंटरनेट बैंकिंग से उभरी विसंगतियों, उधारकर्ता के लिए उचित व्यवहार संहिता के प्रावधानों तथा भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआइ) द्वारा जारी ग्राहकों के लिए बैंक की प्रतिबद्धता का कोड़ के प्रावधानों का अनुपालन न करने तथा बैंकों द्वारा वसूली एजेंटों की नियुक्ति पर रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का पालन न करना शामिल हैं। साथ ही, रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल को शिकायतें दर्ज करने के फार्मेट को भी सरल बनाया है।

रिज़र्व बैंक हर वर्ष सभी बैंकिंग लोकपाल के लिए एक सम्मेलन का आयोजन करता है। इस सम्मेलन में भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड, भारतीय बैंक संघ, सिबिल और कुछ अग्रणी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाता है। इस बैठक में ग्राहक सेवा से संबंधित विभिन्न विषयों और बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहक सेवा को सुधारने के लिए विनियामक उपायों पर चर्चा की जाती है।

अजीत प्रसाद
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1159

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