भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘दबावग्रस्त आस्तियों की धारणीय संरचना की योजना’ शुरू की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘दबावग्रस्त आस्तियों की धारणीय संरचना की योजना’ शुरू की
13 जून 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘दबावग्रस्त आस्तियों की धारणीय संरचना की योजना’ शुरू की दबावग्रस्त आस्तियों से निपटने के लिए ऋणदाताओं को अधिक समर्थ बनाने और वास्तविक कठिनाइयों का सामना करने वाली संस्थाओं की वित्तीय संरचना में संशोधन करने के लिए अवसर उपलब्ध कराकर वास्तविक आस्तियों को पुनः ट्रैक पर लाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज ‘दबावग्रस्त आस्तियों की धारणीय संरचना की योजना’ पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे बड़े उधार लेखों के समाधान के लिए, अन्य बातों के साथ-साथ, समन्वित गहन वित्तीय पुनर्संरचना की आवश्यकता है जिसमें प्रायः ऋण मूल्य काफी कम करना और/या बड़े प्रावधान करना शामिल है। प्रायः इस प्रकार बड़ी मात्रा में ऋण का मूल्य कम करने से ऋणदाता हतोत्साहित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप दबाब महसूस करने वाले उधारों की देयता संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हो पाता है। बैंकों ने विनियामकीय ढांचे के लिए भी अभ्यावेदन किया है जो ढांचा वर्तमान में इन कंपनियों द्वारा सामना किए जाने वाले आस्ति गुणवत्ता दबाव के संदर्भ में ऋणदाताओं की देयता संरचना में संशोधन करने की कार्रवाई शुरू करने की सुविधा देगा जिन कंपनियों में उनका एक्सपोजर काफी अधिक है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक ने ऋणदाताओं से इस संबंध में परामर्श के पश्चात बड़े दबाबग्रस्त लेखों के समाधान के एक विकल्प के रूप “दबाबग्रस्त आस्तियों की धारणीय संरचना की योजना” (एस4ए) में तैयार की। एस4ए दबाबग्रस्त ऋणदाता के लिए धारणीय ऋण के स्तर का निर्धारण करने और बकाया ऋण को धारणीय ऋण और इक्विटी/ अर्ध–इक्विटी लिखतों में बांटने की परिकल्पना करता है जिससे कि उधारकर्ता के मुकरने पर ऋणदाता लाभ की स्थिति में बना रहे। यह सुनिश्चित करने कि पूरी कार्रवाई एक पारदर्शी और विवेकपूर्ण तरीके से हो, एस4ए में परिकल्पना की गई है कि समाधान योजना विश्वसनीय पेशेवर एजेंसियों द्वारा तैयार कराई जाएगी, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श से, भारतीय बैंक संघ द्वारा स्थापित प्रख्यात विशेषज्ञों वाली निगरानी समिति इन दिशानिर्देशों के प्रावधानों की तर्कसंगतता और उनका पालन करने के लिए एस4ए के अंतर्गत समाधान योजना को तैयार करने संबंधी प्रक्रिया की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करेगी तथा इस पर अपनी राय देगी। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/2893 |