भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रतिभूतिकरण हेतु प्रारंभ किए जानेवाले ऋणों के लिए न्यूनतम धारण अवधि और न्यूनतम प्रतिधारण अपेक्षा से संबंधित प्रस्तावों पर अभिमत आमंत्रित किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रतिभूतिकरण हेतु प्रारंभ किए जानेवाले ऋणों के लिए न्यूनतम धारण अवधि और न्यूनतम प्रतिधारण अपेक्षा से संबंधित प्रस्तावों पर अभिमत आमंत्रित किया
19 अप्रैल 2010 भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रतिभूतिकरण हेतु प्रारंभ किए जानेवाले ऋणों के लिए न्यूनतम धारण अवधि और न्यूनतम प्रतिधारण अपेक्षा से संबंधित प्रस्तावों पर अभिमत आमंत्रित किया भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर ‘बैंकों की प्रतिभूतिकरण गतिविधियों के विनियमन और पर्यवेक्षण में उभरती हुई प्रवृत्ति’ पर एक चर्चा पेपर जारी किया। यह चर्चा पेपर न्यूनतम धारण अवधि और न्यूनतम प्रतिधारण अपेक्षा, अलग-अलग विचारों के पीछे के औचित्य तथा भारतीय बैंकों के लिए न्यूनतम अवरूद्धता अवधि/न्यूनतम धारण अवधि (एमएचपी) और न्यूनतम प्रतिधारण अपेक्षा से संबंधित प्रस्तावों के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने के संबंध में जारी अंतर्राष्ट्रीय कार्य का एक अद्यतन रूप उपलब्ध कराने की माँग करता है। यह स्मरण होगा कि 27 अक्टूबर 2009 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में यह उल्लेख किया गया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक विकसित किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डों को दृष्टिगत रखते हुए अवरूद्धता अवधि और अन्य परिचालनात्मक ब्योरों के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा। इस मामले में बैंकों को जारी किए जानेवाले प्रस्तावित प्रारूप दिशानिर्देश भी संलग्न हैं। चर्चा पेपर के साथ-साथ प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत 10 मई 2010 तक इ-मेल किए जा सकते हैं तथा डाक / कुरियर से प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंज़िल, शहीद भगतसिंह मार्ग, मुंबई-400001 को भी भेजे जा सकते हैं। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1412 |