भारतीय रिज़र्व बैंक ने "प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए लाइसेंसीकरण नीति : उदारीकरण" रिपोर्ट पर फीडबैक मांगा - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने "प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए लाइसेंसीकरण नीति : उदारीकरण" रिपोर्ट पर फीडबैक मांगा
1 दिसंबर 2005
भारतीय रिज़र्व बैंक ने "प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए लाइसेंसीकरण नीति : उदारीकरण" रिपोर्ट पर फीडबैक मांगा
विदेशी मुद्रा से संबंधित लेनदेनों में क्रमिक उदारीकरण के चलते सामान्य जन अब बिना भारतीय रिज़र्व बैंक से पूछे तरह-तरह के चालू खाता लेनदेन कर सकते हैं। आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा अब धीरे-धीरे बढ़ते हुए वैयक्तिक खातों में विदेशी मुद्रा लेनदेनों से जुड़ता जा रहा है।
विभिन्न लेनदेन करनेवाले सामान्य जनों, बेहतर नकदीकरण सेवाओं हेतु पर्यटकों की दैनंदिन आवश्यकताओं और मौजूदा पूर्ण मुद्रा परिवर्तकों से प्राप्त अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए प्रधिकृत व्यक्तियों, जिन्हें दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विदेशी मुद्रा लेनदेन करने के लिए लाइसेंस प्रदान किया जाता है, के मध्य स्तर का विस्तार करने और उसे तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता महसूस होती रही है। ये पर्यटकों की नकदीकरण की आवश्यकताओं और चिकित्सा उपचार, शिक्षा, रोजगार, यात्रा संबंधी लेनदेनों और सामान्य रूप से ढेर सारे तरह-तरह के चालू खाता लेनदेनों, जो कि व्यापारिक लेनदेन नहीं हैं, के लिए विदेशी मुद्रा जारी करने की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा वर्तमान में संचालित की रही गतिविधियों के दायरे को उदार और तर्कसंगत बनाने की दृष्टि से संबद्ध विषयों का अध्ययन करने और पहले से ज्यादा और व्यापक पहुंच और जिसके साथ बचावपरक सावधानियां जुड़ी हों, खास तौर पर रिपोर्टिंग अपेक्षाओं की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए सिफारिशें करने हेतु एक आंतरिक दल गठित किया गया था।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज ‘प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए लाइसेंसीकरण नीति : उदारीकरण’ पर इस आंतरिक दल की रिपोर्ट फीडबैक प्राप्त करने के लिए अपनी वेबसाइट www.rbi.org.in पर रखी है। इस रिपोर्ट की सिफारिशों पर फीडबैक आमंत्रित किये जाते हैं जो सीधे ही मुख्य महाप्रबंधक , विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहीद भगतसिंह मार्ग, मुंबई 400 001 को अथवा ई-मेल से cgmincfed@rbi.org.in को या फैक्स सं.022-22665330 को 15 दिसंबर 2005 से पूर्व भेजे जा सकते हैं।
विनय प्रकाश श्रीवास्तव
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/659