रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की
22 मार्च 2005
रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की
डॉ. वाइ. वी. रेड्डी, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक, पिछले सप्ताह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था फाइनांस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआइडीसी) से मिले। उप गवर्नर श्री वी. लीलाधर, श्री ए. वी. सरदेसाई, कार्यपालक निदेशक तथा रिज़र्व बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी बैठक में उपस्थित थे। इस बैठक का उेश्यि यह था कि क्षेत्र के लिए त्रिवर्षीय नज़रिया तैयार किया जाए।
अपनी बात शुरू करते हुए गवर्नर महोदय ने इस बात का उल्लेख किया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां सेवा क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक है और सेवा क्षेत्र अपने आप में अर्थव्यवस्था की वफ्द्धि में सबसे अधिक योगदान करता है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए महत्त्वपूर्ण है कि वे अर्थव्यवस्था के फैले हुए, कम बैंकों वाले, तथा कम सेवा पा रहे क्षेत्रों को ऋण उपलब्धता दिलाने में तथा बढ़ाने में कुशलता दिखलायें। अलबत्ता, यह उत्तरदायित्व भी रिज़र्व बैंक का है कि वह जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करे। गवर्नर महोदय ने स्पष्ट किया कि जमाराशियां स्वीकार करने वाली और जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कंपनियों, जो कि उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं, के सुव्यवस्थित रूप से विनियमन को सुनिश्चित करते हुए रिज़र्व बैंक इस बात का प्रयास कर रहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र को और मज़बूत किया जाए ताकि वह अपने आस्ति आधार के रूप में बढ़ोतरी कर सके। उन्होंने इस बात की ज़रूरत पर बल दिया कि इस संदर्भ में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को और अधिक मज़बूत बनाया जाना चाहिए और कहा कि रिज़र्व बैंक इस पफ्ष्ठभूमि में परामर्शी प्रक्रिया के ज़रिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए भावी रूपरेखा (रोडमैप) तैयार करना चाह रहा है। गवर्नर महोदय ने आगे स्पष्ट किया कि रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह विकल्प दिया है कि यदि वे यह पाते हैं कि विनियामक लागतें उनके लाभों पर भारी पड़ रही हैं, तो वे स्वैच्छिक रूप से सरकारी जमाराशियां स्वीकार करने की गतिविधि से बाहर आ सकती हैं। जो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां स्वैच्छिक रूप से सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार करने के काम से बाहर आना चाहती हैं रिज़र्व बैंक उनके इस प्रयास में मदद करेगा। गवर्नर महोदय ने आश्वासन दिया कि बैंक उन्हें प्रशिक्षण देगा तथा तकनीकी सहायता उपलब्ध करायेगा। गवर्नर महोदय ने उनसे आग्रह किया कि वे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा ऑन लाइन रिपोर्टिंग सहित प्रौद्योगिकीय परिवर्तन अपनाये।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र को विनियमित करने में रिज़र्व बैंक की भूमिका की सराहना की। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 1998 के विनियमनों ने बाज़ार से गैर-गंभीर खिलाडियों को बाहर निकालने में वास्तव में मदद की थी और क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनुशासन लागू किया था। प्रतिनिधियों ने इस बात का विश्वास दिलाया कि उनके पास स्थानीय ज्ञान, ऋण मूल्यांकन की कुशलता, अच्छी तरह से प्रशिक्षित वसूली मशीनरी, उधारकर्ताओं की कड़ी निगरानी तथा प्रत्येक ग्राहक को व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने जैसी भीतरी शक्तियां हैं, जो ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में छोटे और मझौले उद्यमियों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं। इस तरह से उन्होंने सड़क परिवहन तथा आधारभूत व्यवस्थाओं के वित्तपोषण में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है। वे सूक्ष्म वित्त के ज़रिए सबसे निचले स्तर तक भी पहुंच सकते हैं। अतएव, उन्होंने आग्रह किया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंकिंग क्षेत्र के पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए और न कि उसे बैंकिंग क्षेत्र के प्रतिस्पर्धी के रूप में। प्रतिनिधियों ने आगे उल्लेख किया कि जहां तक विनियमों का प्रश्न है वे बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और आवास वित्त कंपनियों के समान ही हैं और उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि बैंकों से निधियां प्राप्त करने जैसे मामलों में आवासीय वित्तीय कंपनियों के समान समझ जाना चाहिए और उन्हें सिडबी अथवा नाबाड़ जैसी वित्तपोषण करने वाली संस्थाओं से सुविधाएं मिलनी चाहिए। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस बात का उल्लेख किया कि बैंक वित्त और साथ ही साथ पुनर्वित्त तक आसान पहुंच से उन्हें जनता से जमाराशियों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह आग्रह भी कि उन्हें बैंकों तथा आवास वित्त कंपनियों को उपलब्ध ऋण वसूली ट्रिब्युनल अधिनियम तथा एसएआरएफएईएसआइ अधिनियम के प्रावधान आदि भी उन्हें उपलब्ध कराये जाने चाहिए ताकि वे अपने आस्तियों की रक्षा कर सकें। विनियमों की संख्या को युक्तिसंगत बनाना, जमा बीमा तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की रेटिंग आदि पर भी चर्चा की गयी। फाइनांस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआइडीसी) और रिज़र्व बैंक के बीच और अधिक परामर्शी बैठकों का अनुरोध करते हुए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपील की कि रिज़र्व बैंक को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की वफ्द्धि के संदर्भ में विकासशील भूमिका निभानी चाहिए।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/989