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रिज़र्व बैंक ने वाणिज्यिक पत्रों पर एनबीएफसी

रिज़र्व बैंक ने वाणिज्यिक पत्रों पर एनबीएफसी
विनियम संशोधित किये

27 जून 2001

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों पर यथा लागू कुछेक विनियमों तथा अन्य उपायों के युक्तिकरण की घोषणा की है। किये गये परिवर्तन इस प्रकार हैं :

  1. सार्वजनिक जमाराशियों पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी
  2. निदेशों के वर्तमान प्रावधान वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) पर भी लागू होते हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक पत्र जारी करना औद्योगिक निर्यात और ऋण विभाग द्वारा 10 अक्तूबर 2000 को जारी परिपत्र आइईसीडी.3/08.15.01/2000-01 के माध्यम से जारी दिशा-निर्देशों से संचालित होंगे और इस विलेख के ज़रिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा धनराशियां जुटाने की सुविधा के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त दिशा-निर्देशों के अनुसरण में वाणिज्यिक पत्र जारी करने के द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्राप्त राशियां सार्वजनिक जमाराशियों के दायरे से अलग रखी जायें।

  3. पुनःअर्जित आस्तियों के लिए लेखाकरण की क्रियाविधि
  4. स्पष्ट की गयी है और यथोचित दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।

  5. बकाया सार्वजनिक जमाराशि देयताओं की शुद्ध राशि की
  6. गणना के लिए कंपनियों द्वारा एक समान प्रॅक्टिस अपनाना सुनिश्चित करने के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां वास्तव में कटौती किये गये तथा सरकार को प्रेषित किये गये स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) के संबंध में निकाली गयी राशि की तरह ही जमाराशि देयताओं पर नकदी आस्तियां बनाये रख सकते हैं।

  7. अपने शेयर धारकों के प्रति कंपनियों के प्रबंध तंत्र की
  8. जवाबदेही में सुधार लाने की दृष्टि से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के सांविधिक लेखा-परीक्षकों को सूचित किया गया है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम/दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर उनकी टिप्पणियाँ कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 227(2) के अंतर्गत कंपनी के शेयर धारकों को उनके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों का हिस्सा भी होनी चाहिए। इस तरह के उल्लंघन रिज़र्व बैंक को सीधे भी सूचित किये जाने चाहिए।

  9. यह पाया गया है कि कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों
  10. ने, जिन्होंने सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार की थीं और अपने पास रखी थीं, अब संपूर्ण सार्वजनिक जमाराशियाँ वापिस चुका दी है अथवा आवश्यक राशियाँ एस्क्रो खातों में रख दी हैं और इस तरह सार्वजनिक जमाराशि न लेने वाली कंपनियाँ बन गयी हैं। वे यह मानकर कि चूंकि वे अब कोई सार्वजनिक जमाराशियाँ नहीं रख रही हैं इसलिए उन्हें इस तरह की विवरणियाँ प्रस्तुत करने की ज़रूरत नहीं है, बैंक को आवधिक विवरणियाँ प्रस्तुत नहीं कर रही है। यह स्पष्ट किया जाता है कि सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार करने प्राधिकरण के साथ पंजीकरण प्रमाणपत्र वाली कंपनियाँ भले ही अब सार्वजनिक जमाराशियाँ धारण न कर रही हों, उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे दिशा-निर्देशों के अनुसार नकदी आस्तियों पर तिमाही विवरणी, विवेकशील मानदंडों पर छमाही विवरणी, जमाराशियों पर वार्षिक विवरणी आदि प्रस्तुत करती रहेंगी। अलबत्ता, कुछ परिचालनगत स्वतंत्रता देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ या तो आवधिक विवरणियाँ प्रस्तुत करें अथवा सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार न करनेवाली कंपनी के रूप में परिवर्तन के लिए आवेदन करें।

  11. रिज़र्व बैंक ने दिशा-निर्देशों में आवश्यक आशोधन भी
  12. किये हैं ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी अर्थात् डफ एंड फेल्प्स क्रेडिट रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (डीसीआर इंडिया) का नाम बदलकर फिच रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करने, कलकत्ता नगर का नाम कोलकाता होने तथा पटना, भोपाल तथा कानपुर के क्षेत्रीय कार्यालयों के क्षेत्राधिकार में विस्तार ताकि क्रमशः झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा उत्तरांचल के नये सृजित राज्यों को शामिल किया जा सके, को दर्शाया जा सके।

  13. भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह भी सूचित किया है कि पहले

रिज़र्व बैंक के लखनऊ कार्यालय में स्थित गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय रिज़र्व बैंक के कानपुर कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है।

सूरज प्रकाश
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2000-01/1733

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