आरटीजीएस प्रणाली ने काम करना शुरू किया
26 मार्च 2004
आरटीजीएस प्रणाली ने काम करना शुरू किया
रीयल टाइम ग्रॉस सैटलमेंट प्रणाली ने आज प्रात: 9.00 बजे काम करना शुरू कर दिया। पिलहाल इसके ज़रिये अन्तर बैंक लेनदेन किये जा रहे हैं और ग्राहकों से जुड़े अंतरण समय आने पर शुरू किये जायेंगे।
लगभग दो सप्ताह के बाद, अन्य बैंक/प्राथमिक व्यापारी क्रमिक रूप से सिस्टम से जुड़ जायेंगे। पात्र सहभागी अपनी पूर्ण तकनीकी और अन्य तैयारियों के अनुसार एक सप्ताह के अंतराल के बाद सिस्टम से जुड़ेंगे। यह आशा की जा रही है कि सभी संभावित आरटीजीएस सहभागी लगभग तीन माह की अवधि में सिस्टम से जुड़ जायेंगे।
आपको याद होगा कि भुगतान प्रणाली सुधारों के एक हिस्से के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान प्रणालियों में जोखिम कम करने, खास तौर पर समायोजन तथा सिस्टम से जुड़े जोखिम कम करने के लिए कई उपाय किये थे, इन शुरूआतों में सबसे प्रमुख वास्तविक समय मोड में ऑनलाइन रूप में लेनदेन-से लेनदेन (अर्थात् सकल) आधार पर अन्तर-बैंक लेनदेनों के समायोजन के लिए रीयल टाइम ग्रॉस सैटलमेंट प्रणाली आरटीजीएस प्रणाली थी। आरटीजीएस प्रणाली का ट्रायल रन चार बैंकों की सहभागिता के साथ लगभग दो महीने तक चलाया गया। इस अवधि के दौरान, अत्यधिक सतर्कता के एक उपाय के रूप में आरटीजीएस सिस्टम, नीतियों, प्रक्रियाविधियों, सुरक्षा तथा अन्य पहलुओं पर विशेषज्ञों के एक बाहरी दल द्वारा समीक्षा की गयी थी।
आरटीजीएस पर और अधिक जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के होमपेज़ पर रीयल टाइम ग्रॉस सैटलमेंट सिस्टम लिंक पर उपलब्ध है।
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2003-2004/1132
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