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भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 बैंकों पर दण्ड लगाया

15 जुलाई 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 बैंकों पर दण्ड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के बीच अपने ग्राहक को जाने/धन आशोधन पर अपने अनुदेशों के उल्लंघन करने पर निम्नलिखित 22 बैंकों पर मौद्रिक दण्ड लगाया है। ब्यौरा निम्नानुसार है:

मौद्रिक दण्ड

क्र. सं.

बैंक का नाम

दण्ड की राशि
(  करोड़ में)

1

आंध्रा बैंक

2.50

2

बैंक ऑफ बड़ौदा

3.00

3

बैंक ऑफ इंडिया

3.00

4

केनरा बैंक

3.001

5

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया

3.00

6

ड्यूश बैंक ए.जी.

1.00

7

डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक लिमिटेड

1.00

8

धनलक्ष्मी बैंक लिमिटेड

2.00

9

इंडियन ओवरसीज़ बैंक

3.002

10

आईएनजी वैश्य बैंक लिमिटेड

1.50

11

जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड

2.501

12

कोटक महिन्द्रा बैंक लिमिटेड

1.501

13

ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स

2.00

14

पंजाब एण्ड सिंध बैंक

2.50

15

पंजाब नेशनल बैंक

2.50

16

भारतीय स्टेट बैंक

3.00

17

दि फेडरल बैंक लिमिटेड

3.00

18

दि लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड

2.50

19

दि रत्नाकर बैंक लिमिटेड

0.50

20

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया

2.50

21

विजया बैंक

2.00

22

येस बैंक लिमिटेड

2.00

नीचे दर्शाई गई 7 अन्य बैंकों के संबंध में जहां ऐसी संविक्षा की गई है और बैंकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, बैंकों की लिखित या मौखिक प्रस्तुती संतोषजनक पायी गई अथवा गंभीर प्रकृति का उल्लंघन नहीं हुआ है। इसलिए उन पर मौद्रिक दण्ड नहीं लगाने और केवल उचित चेतावनी पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है।

सावधानी पत्र

क्र. सं.

बैंक का नाम

1

बर्क्लेज बैंक पीएलसी

2

बीएनपी पारीबास

3

सीटीबैंक एन.ए.

4

रायल बैंक ऑफ स्कॉटलैण्ड

5

स्टेंडर्ड चारर्टर्ड बैंक

6

स्टेट बैंक ऑफ पटियाला

7

दि बैंक ऑफ टोकियो मित्सुबिशी यूएफजे लिमिटेड

अप्रैल और मई 2013 के दौरान ऐसी ही संवीक्षा सात अन्य बैंकों में की गई। उन बैंकों के मामले में अनुवर्ती कार्रवाई प्रक्रिया अपने समापन के विभिन्न स्तरों में हैं।

ये दण्ड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47(ए)(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए लगाए गए हैं।

पृष्ठभूमि

यह स्मरण किया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2013 के दौरान इन बैंकों के कार्यालयों में लेखा पुस्तिकाओं, आंतरिक नियंत्रण, अनुपालन प्रणालियों और प्रक्रियाओं की संवीक्षा की थी। इन बैंकों की संवीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कुछ विनियमों और अनुदेशों के उल्लंघन का पता चला जैसे,

  • अपने ग्राहक को जाने (केवाईसी) मानदण्डों और धन आशोधन (एएमएल) दिशानिर्देशों के कुछ पहलुओं का पालन नहीं करना जैसे ग्राहक पहचान प्रक्रिया, जोखिम श्रेणीकरण, धाताधारकों के जोखिम प्रोफाइल की आवधिक समीक्षा, आवधिक केवाईसी अद्यतन।

  • वॉक-इन ग्राहकों के लिए केवाईसी का पालन नहीं करना जिसमें तृतीय पक्षकार उत्पादों की बिक्र, कुछ नकदी लेनदेन, 50,000 से अधिक की नकदी के सोने के सिक्कों की बिक्री के संबंध में नकदी लेनदेन रिपोर्ट नहीं भरना शामिल है।

  • ग्राहकों के खातों में होने वाले लेनदेन की निगरानी पर अनुदशों का पालन नहीं करना।

  • निष्क्रिय/असक्रिय के रूप में खातों के वर्गीकरण और असक्रिय खातों में लेनदेन की निगरानी में चूक पर अनुदेशों का पालन नहीं करना।

  • उन अनुदेशों का पालन नहीं करना जो सोने के सिक्कों की बिक्री और डिमांड ड्राफ्ट जारी करने आदि के लिए ग्राहकों से 50,000 से अधिक नकदी स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाते हैं।

  • उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत विप्रेषण की उच्च सीमा, अनिवासी सामान्य (एनआरओ) खातों से निधियों के प्रत्यावर्तन के लिए उच्च सीमा पर अनुदेशों का पालन नहीं करना।

  • माल प्रेषण आधार पर सोने के आयात पर अनुदेशों का पालन नहीं करना।

छानबीन में धन आशोधन के किसी प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य का पता नहीं चला। तथापि, इस संबंध में कर और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लेनदेन की अंतिम छानबीन द्वारा अंतिम निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

संवीक्षा के निष्कर्षों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने इनमें से प्रत्येक बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसके जवाब में अलग-अलग बैंक ने लिखित जवाब प्रस्तुत किए। प्रत्येक मामले के तथ्यों और अलग-अलग बैंक के जवाब के तथ्यों और व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने, प्रस्तुत सूचना और उपलब्ध कराए गए दस्तावेज़ों पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कुछ उल्लंघन साबित हो गए और मौद्रिक दण्ड लगाना आवश्यक हो गया। रिज़र्व बैंक ने 10 जून 2013 को तीन बैंकों के प्रथम समूह पर दण्ड लगाया।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/95

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