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भारतीय रिज़र्व बैंक ने छह बैंकों पर दण्ड लगाया

23 अगस्त 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक ने छह बैंकों पर दण्ड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के बीच अपने ग्राहक को जाने/धन आशोधन पर अपने अनुदेशों का उल्लंघन करने पर निम्नलिखित छह बैंकों पर मौद्रिक दण्ड लगाया है। दण्ड का ब्यौरा इस प्रकार है:

क्र. सं.

बैंक का नाम

दण्ड की राशि ( करोड़ में)

1

इलाहाबाद बैंक

0.50

2

बैंक ऑफ महाराष्ट्र

0.501

3

कार्पोरेशन बैंक

1.50

4

देना बैंक

2.00

5

आईडीबीआई बैंक लिमिटेड.

1.00

6

इंडियन बैंक

1.00

ये दण्ड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47(ए)(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए लगाए गए हैं।

इंडसंड बैंक के मामले में जहां लिखित और मौखिक प्रस्तुतीकरण की ऐसी छान-बीन की गई है और बैंक से स्पष्टीकरण मांगा गया है, बैंक का उत्तर संतोषप्रद पाया गया है तथा गंभीर प्रकृति का कोई उल्लंघन साबित नहीं हुआ है; यह निर्णय लिया गया है कि कोई मौद्रिक दण्ड न लगाते हुए केवल उपयुक्त सतर्कता पत्र जारी किया जाए।

पृष्ठभूमि

यह स्मरण किया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2013 के दौरान इन बैंकों के कार्यालयों में लेखा पुस्तिकाओं, आंतरिक नियंत्रण, अनुपालन प्रणालियों और प्रक्रियाओं की संवीक्षा की थी। इन बैंकों की संवीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कुछ विनियमों और अनुदेशों के उल्लंघन का पता चला जैसेकि,

  • अपने ग्राहक को जाने (केवाईसी) मानदण्डों और धन आशोधन (एएमएल) दिशानिर्देशों जैसे ग्राहक पहचान प्रक्रिया, जोखिम वर्गीकरण, खाताधारकों की जोखिम प्रोफाईल की सावधिक समीक्षा, अपने ग्राहक को जाने का सावधिक अद्यतन के कतिपय पहलुओं का पालन नहीं किया जाना।

  • अचानक आने वाले ग्राहकों के लिए तृतीय पक्ष उत्पादों की बिक्री सहित केवाईसी मानदण्डों का पालन नहीं करना, कुछ नकदी लेनदेन के संबंध में नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) दर्ज करने में चूक शामिल है।

  • अचानक आने वाले ग्राहकों सहित ग्राहकों के खातों में लेनदेन की निगरानी पर अनुदशों का पालन नहीं करना।

  • उन अनुदेशों का पालन नहीं करना जो सोने के सिक्कों की बिक्री और डिमांड ड्राफ्ट जारी करने आदि के लिए ग्राहकों से 50,000 से अधिक नकदी स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाते हैं।

  • माल प्रेषण आधार पर सोने के आयात पर अनुदेशों का पालन नहीं करना।

  • अनिवासी खातों को अनुमत ऋण पर अनुदेशों का पालन नहीं करना।

छानबीन में धन आशोधन के किसी प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य का पता नहीं चला। तथापि, इस संबंध में कर और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लेनदेन की अंतिम छानबीन द्वारा अंतिम निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

संवीक्षा के निष्कर्षों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने इनमें से प्रत्येक बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसके जवाब में अलग-अलग बैंक ने लिखित जवाब प्रस्तुत किए। प्रत्येक मामले के तथ्यों और अलग-अलग बैंक के जवाब के तथ्यों और व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने, प्रस्तुत सूचना और उपलब्ध कराए गए दस्तावेज़ों पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कुछ उल्लंघन साबित हो गए और मौद्रिक दण्ड लगाना आवश्यक हो गया। रिज़र्व बैंक ने 10 जून 2013 को तीन बैंकों के प्रथम समूह पर दण्ड लगाया।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/383

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