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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) पर कार्यदल की रिपोर्ट को आम जनता के अभिमत के लिए अपनी वेबसाइट पर डाला

20 अक्टूबर 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) पर कार्यदल
की रिपोर्ट को आम जनता के अभिमत के लिए अपनी वेबसाइट पर डाला

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) पर कार्यदल की रिपोर्ट को डाल दिया है। इस रिपोर्ट पर अभिमत प्रभारी परामर्शदाता, मौद्रिक नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को 17 नबंबर 2009 तक इ-मेल (यहाँ क्लिक करें) से भेजे जाएँ।

बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) पर कार्यदल (अध्यक्ष: श्री दीपक मोहंती) का गठन बेंचमार्क मूल उधार दर प्रणाली की समीक्षा करने तथा ऋण मूल्य-निर्धारण को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए वर्ष 2009-2010 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुपालन में किया गया था। इस कार्यदल की मुख्य अनुशंसाएँ हैं: -

  • बहुत समय तक जिस तरीके से बेंचमार्क मूल उधार दर प्रणाली विकसित हुई है इस पर कई चिंताएँ प्रकट की गई हैं।इनका संबंध उप-बेंचमार्क मूल उधार दर की भारी मात्रा, पारदर्शिता का अभाव, बेंचमार्क मूल उधार दरों की अवनतिशील प्रवृत्ति और ऋण में सभी प्रकार की आर्थिक सहायता से है। कार्यदल का विचार था कि जब तक प्रणाली को संशोधित और/अथवा किसी अन्य प्रणाली से बदला नहीं जाता है, बाजार में बड़े पैमाने पर उप-बेंचमार्क मूल उधार दर की दरों पर ऋण देने की प्रवृत्ति पारदर्शिता पर सवाल उठने के साथ जारी रहेगी। कार्यदल ने यह उल्लेख भी किया है कि प्रतिस्पर्धी दबावों के कारण बैंक उन दरों पर अपने संविभाग के एक हिस्से को ऋण के रूप में दे रहे हैं जिसका कोई बहुत अधिक वाणिज्यिक मतलब नहीं है।

  • विभिन्न संभावित विकल्पों, उद्योग संघों से स्टेकधारकों और आम जनता तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहारों की सावधानी से जाँच करने के बाद कार्यदल ने निष्कर्ष दिया कि बेंचमार्क मूल उधार पर प्रणाली को हटाकर आधार दर की एक प्रणाली लागू करने में गुणवत्ता है।

  • प्रस्तावित आधार दर में वे सभी लागत तत्व शामिल होंगे जिनकी स्पष्ट रूप से पहचान की जा सके तथा जो सम्पूर्ण उधारकर्ताओं में सामान्य रूप से प्रचलित हैं। आधार दर के संघटकों में (i) एक वर्षीय परिपक्वता वाली (चालू खाता और बचत खाता जमाराशियों के लिए समायोजित) खुदरा जमाराशियों (15 लाख रूपये से कम की जमाराशियों) पर कार्ड ब्याज दर; (ii) आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) के संबंध में नकारात्मक निरंतरता के लिए समायोजन; (iii) बैंकों के लिए उपरिव्यय लागत जिसमें उपरिव्यय लागत तत्वों का एक न्यूनतम सेट शामिल रहेगा; और (iv) निवल संपत्ति पर औसत प्रतिलाभ शामिल हैं।

  • उधारकर्ताओंं को प्रभारित वास्तविक उधार दर आधार दर, के साथ उधारकर्ता- विशिष्ट प्रभार होगी जिसमें उत्पाद-विशिष्ट परिचालन लागतें, ऋण जोखिम प्रीमियम और समयावधि प्रीमियम में शामिल होगी।

  • उधार दरों को रिज़र्व बैंक की नीति दरों का प्रतिनिधि बनाने के लिए कार्यदल ने अनुशंसा की है कि बैंक अपने बोर्डों के अनुमोदन से किसी कैलेण्डर तिमाही में कम-से-कम एक बार अपने आधार दर की समीक्षा और घोषणा कर सकते हैं। वास्तविक न्यूनतम और अधिकतम उधार दरों के साथ-साथ आधार दर को वेबसाइट पर डाला जा सकता है।

  • आधार दर की प्रस्तावित प्रणाली के साथ बैंकों को आधार दर से कम पर उधार देने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि यह केवल न्यूनतम दर का प्रतिनिधित्व करता है जिससे कम दर पर उधार देना बैंकों के लिए व्यवहार्य नहीं होगा। तथापि, कार्यदल ने उन कतिपय स्थितियों की पहचान की है जब आधार दर से कम पर उधार देना बाजार स्थितियों द्वारा आवश्यक हो सकता है। कार्यदल का विचार है कि ऐसे उधार की आवश्यकता अपवाद के रूप में केवल अल्प-कालिक अवधियों के लिए उत्पन्न हो सकती है। तदनुसार, कार्यदल द्वारा अनुशंसित आधार दर एक वर्ष और उससे अधिक की परिपक्वता वाले ऋणों (सभी कार्यशील पूँजी ऋणों सहित) के लिए लागू होगी।

  • बैंक आधार दर का संदर्भ दिए बिना स्थिर अथवा अस्थिर दरों पर एक वर्ष से कम के ऋण दे सकते हैं। तथापि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उप-उधार दर भारी मात्रा में उत्पन्न न हों, कार्यदल अनुशंसा करता है कि किसी वित्तीय वर्ष में प्राथमिकताप्राप्त और गैर-प्राथमिकताप्राप्त दोनों क्षेत्रों में ऐसे उप-आधार दर उधार वित्तीय वर्ष के दौरान वृद्धिशील उधारों के 15 प्रतिशत से अधिक न हों। इनमें से गैर- प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उप-आधार दर उधार 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस प्रकार किसी वित्तीय वर्ष के दौरान समग्र उप-आधार दर उधार उनके वृद्धिशील उधार के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए और बैंक प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को 15 प्रतिशत तक अपना समस्त उप-आधार दर उधार देने के लिए स्वतंत्र होंगे।

  • वर्तमान में बेंचमार्क मूल उधार दर का संदर्भ दिए बिना ऋणों की कम-से-कम दस श्रेणियों का मूल्य-निर्धारण किया जा सकता है। दल अनुशंसा करता है कि ऋणों की ऐसी श्रेणियों को (क) चयनित ऋण नियंत्रण से संबंधित ऋणों (ख) क्रेडिट कार्ड प्राप्तियाँ, (ग) बैंकों के अपने कर्मचारियों को ऋण, और (घ) विभेदक ब्याज दर (डीआरआइ) प्रणाली के अंतर्गत ऋणों पर ब्याज दरों को छोड़कर आधार दर से सहबद्ध किया जा सकता है।

  • कार्यदल सुझाव देता है कि प्रस्तावित प्रणाली सभी नए ऋणों और उन पुराने ऋणों पर लागू होगी जो नवीकरण के लिए प्राप्त होते हैं। तथापि, यदि विद्यमान उधारकर्ता विद्यमान संविदा की समाप्ति के पहले इस नई प्रणाली की ओर आना चाहता है तो ऐसे मामलों में नई/संशोधित दर संरचना पर बैंक और उधारकर्ता द्वारा पारस्परिक रूप से सहमत होना चाहिए।

  • आधार दर अन्य बाह्य बाजार आधारित बेंचमार्क दरों के अलावा अस्थिर दर ऋण उत्पादों के लिए संदर्भ बेंचमार्क दर के रूप मे भी कार्य करेगी।

  • छोटे उधारकर्ताओं को ऋण प्रवाह में वृद्धि के लिए दो लाख रूपए तक के ऋण हेतु लागू उधार दर को अविनियमित किया जाए क्योंकि अनुभव यह बताता है कि उधार दर विनियमन ने छोटे उधारकर्ताओं के लिए ऋण प्रवाह को कम किया है तथा इसने बेंचमार्क मूल उधार दरों को अवनतिशील लचीलापन प्रदान किया है। बैंक स्थिर अथवा अस्थिर दरों पर उधारकर्ताओं को ऋण देने के लिए स्वतंत्र होंगे जिसमें अन्य उधारकर्ताओं की तरह आधार दर और क्षेत्र-विशिष्ट परिचालन लागत, ऋण जोखिम प्रीमियम और अवधि प्रीमियम शामिल होगा।

  • वर्तमान में 270 दिनों तक लदान-पूर्व रुपया निर्यात ऋण और 180 दिनों तक लदानोत्तर रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज दर सीमा को बेंचमार्क मूल उधार दर में 2.5 प्रतिशत बिंदुओं की कमी करते हुए निर्धारित किया गया है। कार्यदल ने अनुशंसा की है कि रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज दर अलग -अलग बैंकों की आधार दर से अधिक नही होनी चाहिए। चूँकि निर्यात ऋण अल्पकालिक प्रकृति के हैं और निर्यातक सामान्यत: थोक उधारकर्ता हैं, निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रोत्साहन निर्यात की अवश्यकता होगी। निर्यात ऋण के मूल्य निर्धारण के नियम में इस परिवर्तन के द्वारा निर्यातक अभी भी न्यूनतर दरों पर रुपया निर्यात ऋण तक पहुँच बनाए हुए है क्योंकि परिकल्पित आधार दर को उल्लेखनीय रूप से बेंचमार्क मूल उधार दरों से कम होने की आशा है।

  • वर्तमान में शिक्षा ऋणों पर ब्याज दरों को बेंचमार्क मूल उधार दर के संदर्भ में उच्चतम सीमा से सहबद्ध किया गया है। 4 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर ब्याज दर की उच्चतम दर को बेंचमार्क मूल उधार दर तक निर्धारित किया गया है। 4 लाख रुपए से अधिक के शिक्षा ऋणों पर ब्याज दरों को बेंचमार्क मूल उधार दर से एक प्रतिशत अधिक निर्धारित किया गया है। मानव संसाधन कौशल विकास में शिक्षा ऋणों द्वारा अदा की गई महत्वपूर्ण भूमिका की दृष्टि से इन ऋणों पर ब्याज दर का लागू रहना जारी रह सकता है। तथापि इस तथ्य की दृष्टि से कि आधार दर को उल्लेखनीय रूप से बेंचमार्क मूल उधार दर से कम रहने की आशा है, कार्यदल अनुशंसा करता है कि सभी शिक्षा ऋणों पर ब्याज दर 5 बड़े बैंकों के औसत आधार दर में 200 आधार बिंदु जोड़ते हुए उससे अधिक नही होना चाहिए। औसत आधार दर पर जानकारी भारतीय बैंक संघ (आइबीए) द्वारा तिमाही आधार पर प्रसारित की जानी चाहिए ताकि बैंक अपने शिक्षा ऋण संविभाग का मूल्य निर्धारण कर सकें।

  • ऋण मूल्य निर्धारण में अधिकतम पारदर्शिता लाने के लिए बैंक रिज़र्व बैंक को ब्याज दरों पर जानकारी उपलब्ध कराना जारी रखें और आधार दर पर जानकारी का प्रसारण जारी रखा जाए। इसके अतिरिक्त बैंक उधारकर्ताओं को प्रभारित वास्तविक न्यूनतम और अधिकतम ब्याज दरों पर जानकारी भी उपलब्ध कराएँ।

  • सभी बैंक निश्चित रूप से बैंकों के ग्राहकों के प्रति निष्पक्ष व्यवहार के लिए भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआइ) कोडों अर्थात ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता का कोड (कोड) और व्यष्टि और लघु उद्यमों (एमएसइ कोड) के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता के कोड का अनुपालन करें। कार्यदल यह अनुशंसा करता है कि रिर्ज़व बैंक बैंकों से यह अपेक्षा करे कि वे अपनी वार्षिक रिपोर्टों में कोडों के प्रति शिकायतों की संख्या और अनुपालन से संबंधित जानकारी का सारांश प्रकाशित करें।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/593

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