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भारतीय रिज़र्व बैंक ने शेयरों के जारी करने और एफडीआई की रिपोर्टिंग के लिए समय-सीमा में परिवर्तन का प्रस्ताव किया है; शेयरधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित है

4 फरवरी 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने शेयरों के जारी करने और एफडीआई की रिपोर्टिंग के लिए समय-सीमा में
परिवर्तन का प्रस्ताव किया है; शेयरधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित है

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों को संरेखित करने के लिए शेयरों के जारी करने हेतु समय सीमा के संबंध में कुछ बदलावों का प्रस्ताव किया है, जिसके लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के साथ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त होने के 180 दिनों के भीतर शेयर जारी करने के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त करने वाली एक विदेशी निवेश कंपनी की आवश्यकता होती है और विदेशी निवेश की प्राप्ति और शेयरों के जारी करने के संबंध में रिज़र्व बैंक के साथ रिपोर्ट दाखिल करने के संबंध में और आगे अनुपालन प्रक्रिया सरल बनाने के लिए, निम्नलिखित प्रस्ताव किया है:

क्रम सं. अनुसूची 1 के अनुच्छेद प्रस्तावित संशोधन
1 8 शेयर जारी करने की समय सीमा: एफसी-जीपीआर दाखिल करने के समय, निवेशी कंपनी को प्रैक्टिस करने वाले कंपनी सचिव / सनदी लेखाकार से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 42 के प्रावधानों का अनुपालन किया गया है।
2 9(1) (ए) और 9(1) (बी) रिपोर्टिंग की समय सीमा: निर्धारित अवधि से परे रिपोर्टिंग में देरी (रिपोर्ट एआरएफ के मामले में धनराशि प्राप्त होने से 30 दिन और रिपोर्ट एफसी-जीपीआर के मामले में शेयरों के जारी होने से 30 दिन) के लिए निवेश की कुल राशि का एक प्रतिशत का जुर्माना लगाया जाएगा जो कि पहले छह माह के लिए न्यूनतम पांच हजार रुपये और अधिकतम पांच लाख रुपये प्रति माह अथवा उसके भाग और उसके बाद उस दर के दोगुने के अधीन होगा जो भारतीय रिजर्व बैंक में निर्दिष्ट खाते में ऑनलाइन भुगतान करना होगा।

कोई भी कंपनी जो विदेशी निवेश प्राप्त कर रही है और जुर्माना का भुगतान किए बिना, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, विलंब से आवश्यक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रही है, वह कमपाउडिंग सहित फेमा, 1999 और उसमें उल्लिखित नियमों / विनियमों में उल्लिखित दंडात्मक प्रावधानों के लिए उत्तरदायी होगा ।

फेमा, 1999 के तहत अन्य अनिवार्य रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के लिए एक समान दंड संरचना शुरू करने का भी प्रस्ताव है।

क्षेत्र के हितधारकों और विशेषज्ञों सहित जनता से अनुरोध है कि वे प्रस्तावित परिवर्तनों पर अपने विचार और टिप्पणियां पेश करें। टिप्पणियों को विलंबतम 22 फरवरी, 2016 तक ईमेल द्वारा भेजा जा सकता है।

पृष्ठभूमि

विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का स्थानांतरण या जारी करना) विनियम, 2000 (फेमा 20) की अनुसूची 1, विदेशी निवेश की प्राप्ति के 180 दिनों के भीतर शेयरों के निर्गम के लिए एफडीआई प्राप्त करने वाली एक निवेशी कंपनी के लिए समयसीमा निर्धारित करता है और विदेशी निवेश की प्राप्ति और शेयरों को जारी करने के संबंध में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट दाखिल करने की आवश्यकता होती है।

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 42 के अनुसार, एक भारतीय कंपनी को शेयर आवेदन धन प्राप्ति की तिथि से 60 दिनों के भीतर शेयर जारी करने की आवश्यकता होती है। यह प्रावधान विदेशी निवेशकों से शेयर आवेदन राशि प्राप्त करने वाली कंपनी पर भी लागू है। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत विशिष्ट और एक्सप्रेस प्रावधानों के मद्देनजर यह महसूस किया गया था कि फेमा प्रावधानों में इन उद्देश्यों के लिए अलग और विभिन्न समय सीमा होने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इसके अलावा, फेमा 20 निधियों के अंतर्वाह/शेयरों के जारी होने की रिपोर्टिंग के लिए भी प्रदान करता है, जिसके लिए विवरणात्मक दिशानिर्देश फेमा 20 की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 9 (1) (ए) और 9 (1) (बी) में दिए गए हैं। यह देखा गया है कि कई कंपनियां इन प्रावधानों का पालन करने में विफल रहती हैं और यह FEMA, 1999 का उल्लंघन बन जाता है जिसके लिए कंपाउंडिंग की आवश्यकता होती है। चूँकि कंपाउंडिंग एक विस्तृत प्रक्रिया है, जो उल्लंघनकर्ता के साथ-साथ रिज़र्व बैंक पर भी बोझ डालती है, इसलिए यह महसूस किया गया था कि अनुपालन की आसानी में सुधार करने के उद्देश्य से, रिपोर्टिंग अनुशासन के साथ समझौता किए बिना रिपोर्टिंग में देरी से निपटने के लिए एक सारांश ढांचा तैयार किया जा सकता है।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/1841

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