तकनीकी समायोजन के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक दर बढ़ाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
तकनीकी समायोजन के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक दर बढ़ाया
13 फरवरी 2012 तकनीकी समायोजन के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक दर बढ़ाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक दर को सीमांत स्थायी सुविधा दर (एमएसएफ) के समरूप बनाते हुए इसमें तत्काल प्रभाव से परिवर्तन करने का निर्णय लिया है जो बदले में चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर से सहबद्ध है। तद्नुसार, आज कारोबार की समाप्ति से बैंक दर 9.50 प्रतिशत होगी। मौद्रिक नीति रूझान में परिवर्तन की अपेक्षा इसे सीमांत स्थायी सुविधा दर के अनुरूप बैंक दर को एकबारगी तकनीकी समायोजन के रूप में देखा और समझा जा सकता है। अब से जब कभी सीमांत स्थायी सुविधा दर का समायोजन होगा, रिज़र्व बैंक इस पर विचार करेगा और बैंक दर को संशोधित सीमांत स्थायी सुविधा दर के समरूप बनाएगा। प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं में कमी पर सभी दण्डात्मक ब्याज दरें जो विशिष्ट रूप से बैंक दर से जुड़ी हैं, संशोधित मानी जाएंगी। पृष्ठभूमि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 49 में यह अपेक्षित है कि रिज़र्व बैंक उस मानक दर को सार्वजनिक (समय-समय पर) करेगा जिस पर हुंडियों अथवा इस अधिनियम के अंतर्गत खरीद के लिए पात्र अन्य वाणिज्यिक पत्रों की खरीद अथवा पुनर्भुनाई के लिए इसे तैयार किया गया है। चूँकि रिज़र्व बैंक द्वारा भुनाई/पुनर्भुनाई का उपयोग बन्द है, बैंक दर सक्रिय नहीं रही है। बट्टा दर होते हुए बैंक दर तकनीकी रूप से नीति रिपो दर से अधिक होनी चाहिए। तथापि, अप्रैल 2003 से ही बैंक दर में कोई परिवर्तन नहीं करते हुए इसे 6 प्रतिशत रखा गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि मौद्रिक नीति के संकेत चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर और रिपो दर (3 मई 2011 तक) तथा मौद्रिक नीति की संशोधित परिचालन प्रक्रिया के अंतर्गत नीति रिपो दर (3 मई 2011 के बाद) में परिवर्तन के माध्यम से दिए गए थे। इसके अतिरिक्त संशोधित परिचालन प्रक्रिया के अंतर्गत नीति रिपो दर से अधिक 100 आधार अंकों पर स्थापित सीमांत स्थायी सुविधा लागू की गई है जिसने कमोबेश बैंक दर के प्रयोजन में सहायता की है। जबकि नीति रिपो दर और सीमांत स्थायी सुविधा दर परिचालन में हैं, बैंक दर 6.0 प्रतिशत बनी रही है। बैंक दर बैंकों की प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं (प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात और सांविधिक चलनिधि अनुपात) को पूरा करने में कमियों के लिए प्रभारित दण्डात्मक दर के रूप में कार्य करती है। बैंक दर का उपयोग सूचीकरण प्रयोजनों के लिए अन्य कई संगठनों द्वारा संदर्भ के रूप में भी किया जाता है। रिज़र्व बैंक ने उन विभिन्न संगठनों/स्टेकधारकों से परामर्श किया है जो एक संदर्भ दर के रूप में बैंक दर पर निर्भर करते हैं। प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर यह निश्चित किया गया कि बैंक दर को सामान्यतः सीमांत स्थायी सुविधा दर के समरूप रहना चाहिए। तद्नुसार, यह निर्णय लिया गया है कि आज (13 फरवरी 2012) को कारोबार की समाप्ति से बैंक दर में 350 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जाए अर्थात् इसे 6.00 प्रतिशत प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 9.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष किया जाए। जैसाकि ऊपर निर्दिष्ट है, इसे मौद्रिक नीति रूझान में परिवर्तन की अपेक्षा सीमांत स्थायी सुविधा दर के अनुरूप बैंक दर को एकबारगी तकनीकी समायोजन के रूप में देखा और समझा जा सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1298 |