रिज़र्व बैंक ने अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए निवेश का ढांचा युक्तिसंगत बनाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
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22 जून 2004 को प्रकाशित
रिज़र्व बैंक ने अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए निवेश का ढांचा युक्तिसंगत बनाया
22 जून 2004
रिज़र्व बैंक ने अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए निवेश का ढांचा युक्तिसंगत बनाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के निवेशों को व्यापक चलनिधि और सुरक्षा प्रदान करने के लिए और इस तरह से जमाकर्ताओं को उपलब्ध सुरक्षा का स्तर बढ़ाते हुए ऐसी कंपनियों के लिए निर्धारित निवेश ढांचे को युक्तिसंगत बनाने की घोषणा की। मौजूदा मानदंडों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों का सार नीचे दिया जा रहा है :
- वर्तमान में अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों को (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45आइबी के अंतर्गत निवेशों सहित) जमाकर्ताओं की कुल देयताओं का 80 प्रतिशत रिज़र्व बैंक द्वारा निदेशित तरीके से निवेश करना होता है। निदेशित निवेशों को 80 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से पहली अप्रैल 2005 को और उस तारीख से बढ़ा कर 90 प्रतिशत तथा पहली अप्रैल 2006 को और उस तारीख से 100 प्रतिशत कर दिया जायेगा। तदनुसार, विवेकशील निवेश (वर्तमान में जमाराशियों के 20 प्रतिशत के नीचे अथवा एनओएफ के 10 गुणा) पहली अप्रैल 2005 को और उस तारीख से जमाराशियों के 10 प्रतिशत अथवा एनओएफ के बराबर तक सीमित रहेंगे और पहली अप्रैल 2006 को और उस तारीख से इस तरह का कोई विवेक नहीं रहेगा।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की स्थिर जमाराशियों/जमा प्रमाणपत्रों में निवेश अब तक की तरह जमाराशियों के 10 प्रतिशत से कम के स्तर पर बने रहेंगे अलबत्ता, 22 जून 2004 की रिज़र्व बैंक की अधिसूचना सं.डीएनबीएस.178/सीजीएम (डीएसएन)-2004 की अनुसूची में विनिर्दिष्ट वित्तीय संस्थाओं के जमा प्रमाणपत्र इस श्रेणी के अंतर्गत निवेश के लिए पात्र होंगे बशर्ते इन जमा प्रमाणपत्रों का क्रम निर्धारण एए+ से कम नहीं है।
- कंपनियों को अपने बाज़ार उधार कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में केंद्रीय तथा राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों में जमाराशियों का अतिरिक्त 15 प्रतिशत निवेश करने की ज़रूरत होगी।
- जिन बांडों तथा डिबेंचरों में निवेश किये जा सकते हैं उनका क्रमनिर्धारण एए+ से नीचे नहीं होना चाहिए और वे किसी एक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने चाहिए।
- म्युच्युअल निधियों के यूनिटों में निवेश अब केवल ऋण उन्मुखी योजनाओं तक ही सीमित रहेंगे और इनकी उप सीमा किसी एक म्युच्युअल निधि में 2 प्रतिशत से कम की होगी।
- किसी अकेले अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक को एक्सपोज़र पिछले लेखाकरण वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की सकल जमाराशि देयताओं के एक प्रतिशत तक सीमित होगी और किसी एकल विनिर्दिष्ट वित्तीय संस्था के लिए यह सीमा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी की जमाराशियों के 1 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
- हालांकि निदेशित निवेशों पर नये मानदंड पहली जुलाई 2004 से प्रभावी होंगे, विवेकशील निवेश में कटौती पहली अप्रैल 2005 से शुरू होगी। मौजूदा निवेश, उनकी बिक्री/अवधि समाप्ति तक रखे जा सकते हैं लेकिन उन्हें नवीवफ्त करने/रोल ओवर करने की अनुमति नहीं होगी।
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2003-2004/1486
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