भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विनियमों को तर्कसंगत बनाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विनियमों को तर्कसंगत बनाया
1 जनवरी 2002
उद्योग से प्राप्त अनुरोध पर विचार करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के इक्विपमेंट लीज़िग तथा किराया खरीद वित्त कंपनी के रूप में किसी वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए संबंधित प्राधिकारियों के पास पंजीकृत ऑटोमोबाइल, हवाई जहाजों तथा जलयानों के दृष्टिबंधन पर ऋणों को शामिल किया जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक ने सांविधिक लेखा-परीक्षकों के लिए और अधिक व्यापक भूमिका को भी रेखांकित किया है और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की, उनकी लेखा-परीक्षा के दौरान उनके द्वारा पाये जाने वाले उल्लंघन अथवा अनियमितता, यदि कोई हो, को सीधे ही रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करने के बारे में अपने निदेश को दोहराया है। इसने इस प्रयोजन के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को याद दिलाया है कि वे लेखा-परीक्षकों की नियुक्ति के अपने पत्र में रिज़र्व बैंक के प्रति उनके दायित्व के बारे में एक खण्ड शामिल करें।
ये आशोधन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमों में आज घोषित समग्र युक्तिकरण के हिस्से के रूप में हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐसी कंपनियों को, जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्र के लिए आवेदन रद्द कर दिये गये हैं अथवा जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्र निरस्त कर दिये गये हैं, यह भी कहा है कि वे देय तारीखों को अपने जमाकर्ताओं को अदायगियां, यदि कोई हों, करते रहें तथा अपनी वित्तीय आस्तियों को निपटायें अथवा उन्हें गैर-बैंकिंग गैर-वित्तीय कंपनियों में परिवर्तित कर लें। उन्हें यह कार्य रद्द किये जाने/निरस्त किये जाने की तारीख से तीन वर्ष के भीतर करना है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों को लचीलापन देते हुए अब भारतीय रिजर्व बैंक ने उन्हें इस बात की अनुमति दी है कि वे रिज़र्व बैंक के निदेशों के अधीन अपनी अनिवार्य प्रतिभूतियां पदनामित बैंकरों के अलावा भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोड़ (सेबी), स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में पंजीकृत किसी डिपॉजिटरी सहभागी के पास अथवा ग्राहकों के एसजीएल खाते में रख सकते हैं। अलबत्ता, इस प्रयोजन के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों अथवा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों को रिज़र्व बैंक का लिखित अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए विनियमों को तर्कसंगत बनाते हुए रिज़र्व बैंक ने कुछ परिवर्तन भी किये हैं ताकि इन विनियमों को कंपनी आशोधन अधिनियम, 2000 के द्वारा आशोधित कंपनी अधिनियम में प्रावधान किये गये विनियमों के अनुरूप बनाया जा सके।
इन परिवर्तनों के अंतर्गत अवधि समाप्त जमाराशियों की या चुकौती या छोटे जमाकर्ताओं को ब्याज की अदायगी में चूक के मामले में विधि बोड़ को रिपोर्ट करना तथा 5 करोड़ रुपये से अनधिक की चुकता पूंजी या 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक के आस्ति आकार कंपनी वाली कंपनियों के लिए लेखा-परीक्षा समिति के गठन की अपेक्षा आदि है। इसके अलावा, कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी, जो अब तक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी थी लेकिन अब सार्वजनिक जमाराशियों की अपनी धारिता के कारण कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गयी है, को सूचित किया गया है कि वे पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में अपने नये नाम को प्रदर्शित करने के लिए अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र में परिवर्तन कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करे।
विनियमों को निम्नलिखित रूप में तर्कसंगत बनाये जाने की घोषणा की गयी है -
(i) भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐसी कंपनियों को, जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्र के लिए आवेदन रद्द कर दिये गये हैं अथवा जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्र निरस्त कर दिये गये हैं, यह निदेश दिया है है कि वे देय तारीखों को अपने जमाकर्ताओं को चुकौतियां, यदि कोई हों, करते रहें तथा अपनी वित्तीय आस्तियों को निपटायें अथवा उन्हें गैर-बैंकिंग गैर-वित्तीय कंपनियों में परिवर्तित करें। उन्हें यह कार्य रद्द किये जाने/निरस्त किये जाने की तारीख से तीन वर्ष के भीतर करना है।
(ii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया गया है कि जब भी अवधि समाप्ति वाले जमाराशियों की चुकौती में अथवा छोटे जमाकर्ताओं को ब्याज चुकाने में चूक हो, ऐसी स्थिति में वे कंपनी आशोधन अधिनियम 2000 द्वारा यथा आशोधित कंपनी अधिनियम की धारा 58 एए के अधीन चूक की तारीख के 60 दिनों के भीतर कंपनी विधि बोड़ को रिपोर्ट करें।
(iii) यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियम कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हैं, 5 करोड़ रुपये से अनधिक चुकता पूंजी वाली अथवा 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक के आस्ति आकार वाली कंपनियों के लिए लेखा-परीक्षा समिति के गठन की अपेक्षा निर्धारित की गयी है। इनकी शक्तियां, कार्य तथा दायित्व वही होंगे जो कंपनी अधिनियम की धारा 292 ए में निर्धारित लेखा-परीक्षा समिति के होते हैं।
(iv) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, जो अब तक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी थीं लेकिन अब सार्वजनिक जमाराशियों की अपनी धारिता के कारण कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गयी हैं, को सूचित किया गया है कि वे पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में अपने नये नाम को प्रदर्शित करने के लिए अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र में परिवर्तन कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करें।
(v) भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों द्वारा अनिवार्य प्रतिभूतियों की सुरक्षित अभिरक्षा वाणिज्य बैंकों को सौंपी जानी है। इन्हें वे भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोड़ (सेबी), स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में पंजीकृत डिपॉजिटरी सहभागी के पास अथवा ग्राहकों के एसजीएल खाते में, रिज़र्व बैंक के लिखित अनुमोदन के साथ रख सकते हैं।
(vi) उद्योग से प्राप्त अनुरोध पर विचार करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के इक्विपमेंट लीज़िंग तथा किराया खरीद वित्त कंपनी के रूप में वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए सड़क परिवहन प्राधिकरण के पास पंजीकृत तथा मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत जिनका चार्ज मान्य है, ऐसे सभी प्रकार के वाहनों, नागर विमानन महानिदेशक के पास पंजीकृत हवाई जहाजों तथा नौवहन महानिदेशक के पास पंजीकृत जलयानों के दृष्टिबंधन पर ऋणों को अन्य उपस्कर लीज़िंग तथा किराया खरीद आस्तियों के साथ शामिल किया जाये।
(vii) इन्स्टिट्यूट ऑफ चार्टड़ एकाउंटेंट ऑफ इंडिया के एएस-13 के आलोक में निवेशों के मूल्यांकन के मामले की फिर से जांच करते हुए कंपनियों को यह सूचित किया गया है कि वे निवेश नीति तैयार करें, निवेश करते समय प्रत्येक निवेश को चालू अथवा दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत करें, ब्लॉक मूल्यांकन का लाभ उठाये बिना बही-मूल्य अथवा बाज़ार मूल्य के न्यूनतम पर अंतर-वर्ग अंतरण करें। इसके अलावा इस तरह के अंतरण केवल छमाही की शुरूआत में ही करने की अनुमति होगी न कि तदर्थ आधार पर।
(viii) भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक बार फिर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को याद दिलाया है कि वे लेखा-परीक्षकों की नियुक्ति के अपने पत्र में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की लेखा-परीक्षा के दौरान उनके द्वारा पाये जानेवाले उल्लंघन अथवा अनियमितता, यदि कोई हो, के बारे में सीधे ही रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करने के बारे में उनके दायित्वों के बारे में एक खण्ड शामिल करें।
(ix) रिज़र्व बैंक ने इस बात को दोहराया है कि प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जिसे, निर्धारित न्यूनतम पूंजी अनुपात बनाये रखने की आवश्यकता है, को इस तरह का अनुपात न केवल रिपोर्ट करने की तारीखों को बनाये रखना है बल्कि इसे निरंतर आधार पर बनाये रखने की ज़रुरत है।
अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/755