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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘थोक और दीर्घावधि वित्त बैंकों’ पर चर्चा पत्र जारी किया

7 अप्रैल 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘थोक और दीर्घावधि वित्त बैंकों’ पर चर्चा पत्र जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर ‘थोक और दीर्घावधि वित्त बैंकों’ पर चर्चा पत्र जारी किया। चर्चा पत्र में अलग-अलग प्रकार के बैंक जैसे भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक स्थापित करने के लिए जारी किए गए सैद्धांतिक अनुमोदन के संदर्भ में और अधिक अलग-अलग प्रकार के बैंक, विशेषकर थोक और दीर्घावधि वित्त बैंक स्थापित करने की गुंजाइश को तलाशा गया है।

जैसेकि चर्चा पत्र में परिकल्पना की गई है, थोक और दीर्घावधि वित्त (डब्ल्यूएलटीएफ) बैंक मुख्य रूप से बुनियादी सुविधा क्षेत्र और लघु, मध्यम और कॉर्पोरेट कारोबार पर ध्यान केंद्रित करेंगे। वे आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और बाजार निर्माताओं के रूप में सक्रिय रूप से उनमें व्यवहार करके प्रत्यक्ष रूप से प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की आस्तियां सृजित कर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए चलनिधि भी जुटाएंगे। वे कॉर्पोरेट बॉन्ड, क्रेडिट डेरिवेटिव, वेयरहाउस प्राप्तियों और अंतरण वित्तपोषण (टेक-आउट फाइनैंसिंग) आदि जैसी प्रतिभूतियों में बाजार निर्माताओं के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। ये बैंक ऋणदाता संस्थाओं को पुनर्वित्त उपलब्ध कराएंगी और एग्रीगेटर के रूप में पूंजी बाजारों में उपस्थित रहेंगे। उनका आस्ति पक्ष पर खुदरा क्षेत्र एक्सपोजर नगण्य हो। इन बैंकों के लिए निधि का प्रमुख स्रोत थोक और दीर्घावधि जमाराशियां (बड़े थ्रेशोल्ड से ऊपर) का मिश्रण, प्राथमिक बाजार निर्गमों या निजी नियोजन से जुटाई गई ऋण/इक्विटी पूंजी और बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं के मीयादी उधार हो सकता है।

चूंकि अलग-अलग प्रकार के बैंकों के लिए अनुमत कार्यकलापों का दायरा अधिकांशतः वही है जो सार्वभौमिक बैंकों के लिए अनुमत है, यह समझने की जरूरत है कि विशिष्ट क्षेत्र जिन्हे सेवा प्रदान करने के लिए इनकी परिकल्पना की गई है, उन्हें मौजूदा निवेशकों द्वारा वर्तमान में अल्पसेवा दी गई है तथा क्या ऐसे विशेषीकृत बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने से उन विशिष्ट क्षेत्रों के विकास के लिए निवल सकारात्मक परिणाम होगा और आम जनता की भलाई कर पाएंगे। संक्षेप में, चर्चा के मुद्दे हैं – (i) क्या थोक और दीर्घावधि वित्त बैंकों को लाइसेंस देने की जरूरत है, (ii) क्या इसके लिए समय ठीक है, (iii) वित्तीय प्रणाली पर ऐसे निवेशकों का निवल प्रभाव क्या होगा और (iv) क्या प्रस्तावित विनियामकीय ढांचा उचित है।

चर्चा पत्र पर टिप्पणियां 19 मई 2017 तक भेजी जा सकती हैं :

मुख्य महाप्रबंधक,
12वीं मंजिल, बैंकिंग विनियमन विभाग,
भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई – 400001

अथवा ईमेल की जा सकती हैं।

पृष्ठभूमि

5 अप्रैल 2016 को पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2016-17 में, यह घोषणा की गई थी कि हाल में लाइसेंस प्रदान किए गए भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक जैसे अलग-अलग प्रकार के बैंकों के अतिरिक्त रिज़र्व बैंक अभिरक्षक बैंक और थोक तथा दीर्घावधि वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करने वाले अलग-अलग प्रकार के बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने की संभावना तलाश करेगा। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, यह महसूस किया गया कि इस समय अभिरक्षक बैंकों की शुरुआत करके कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं होगा। इसलिए, ‘थोक और दीर्घावधि वित्त बैंकों’ (डब्ल्यूएलटीएफ) पर चर्चा पत्र तैयार कर चर्चा के लिए जारी किया गया।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/2710

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