2 दिसंबर 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में प्रति-चक्रीय पूंजी बफर संरचना के कार्यान्वयन पर प्रारूप रिपोर्ट जारी की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारत में प्रति-चक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन पर आंतरिक कार्य समूह (अध्यक्षःश्री बी. महापात्रा) की प्रारूप रिपोर्ट जारी की है । इस रिपोर्ट पर टिप्पणियां कृपया 31 दिसंबर 2013 तक प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, मुंबई-400 001 को ईमेल करें या भेजें। आंतरिक कार्य समूह ने दो मुख्य मुद्दों को ध्यान में रखते हुए कार्यान्वयन संरचना पर चर्चा की है। पहला, भारतीय अर्थवव्यवस्था में जो संरचनागत परिवर्तन हो रहे हैं, उन पर प्रति-चक्रीय पूंजी बफर लागू करने हेतु सूचकों को समायोजित करने पर विचार किया जाना चाहिए; दूसरा, एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था होने पर इसके द्वारा अभी तक अधिकतम संभाव्य वृद्धि हासिल नहीं की गई है और इस प्रकार प्रति-चक्रीय पूंजी बफर लागू करने में इस संभावना को दबाना नहीं चाहिए। आंतरिक समूह की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार हैं:
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जबकि सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के लिए ऋण का प्रति-चक्रीय पूंजी बफर निर्णय के लिए अनुभवजन्य विश्लेषण हेतु उपयोग किया जाएगा, तथापि इसे भारत में बैंकों के लिए प्रति-चक्रीय पूंजी बफर संरचना में केवल संदर्भ बिंदु नहीं बनाया जाए और सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के लिए ऋण का उपयोग भारत में प्रति-चक्रीय पूंजी बफर निर्णयों के लिए सकल अनर्जक आस्तियों (जीएनपीए) की वृद्धि जैसे अन्य सूचकों के साथ किया जा सकता है।
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सीसीसीबी निर्णय की पूर्व घोषणा 4 तिमाहियों के अग्रणी समय के साथ की जाए।
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बफर के सक्रिय रहने पर प्रति-चक्रीय पूंजी बफर की न्यून आधार सीमा (या एल) को सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के लिए ऋण के 3 प्रतिशत बिंदुओं तक निर्धारित किया जा सकता है, बशर्ते कि जीएनपीए के साथ इसका संबंध उल्लेखनीय हो और ऊपरी सीमा (या एच) को सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के लिए ऋण के 15 प्रतिशत बिंदुओं तक रखा जाए।
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प्रति-चक्रीय पूंजी बफर 3 प्रतिशत बिंदुओं और 15 प्रतिशत बिंदुओं के बीच अंतराल स्थिति के आधार पर बैंक की जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के 0 से 2.5 प्रतिशत तक रैखिक बढ़ेगा। तथापि, यदि अंतराल 15 प्रतिशत बिंदुओं से अधिक बढ़ जाता है तो बफर जोखिम भारित आस्तियों का 2.5 प्रतिशत रहेगा। यदि अंतराल 3 प्रतिशत बिंदुओं से कम रहता है तो प्रति-चक्रीय पूंजी बफर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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संपूरक सूचकों में तीन वर्षों की गतिमान अवधि के लिए वृद्धिशील नकदी जमा अनुपात (सकल घरेलू उत्पाद अनुपात अंतराल और जीएनपीए वृद्धि के लिए इसके पारस्परिक संबंध के साथ), औद्योगिक दृष्टिकोण (आईओ) आकलन सूचकांक (जीएनपीए वृद्धि के लिए इसके पारस्परिक संबंध के साथ) और ब्याज कवरेज अनुपात (सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के लिए ऋण हेतु इसके पारस्परिक संबंध के साथ) शामिल हैं। नियत अवधि में आवास मूल्य सूचकांक/रेजीडेक्स और ऋण स्थिति सर्वेक्षण जैसे सूचकांक प्रति-चक्रीय पूंजी बफर निर्णय के लिए संपूरक सूचकों का एक भाग हैं।
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भारतीय रिज़र्व बैंक बफर को सक्रिय करते या समायोजित करते समय सूचकों के उपयोग के मामले में विवेक का उपयोग कर सकता है।
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भारत में प्रति-चक्रीय पूंजी बफर संरचना को क्षेत्रकीय दृष्टिकोण के साथ परिचालित किया जाए जिसका उपयोग भारत में लंबे समय से सफलतापूर्वक किया गया है।
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प्रति-चक्रीय पूंजी बफर को सक्रिय करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले समरूप सूचकों का उपयोग प्रति-चक्रीय पूंजी बफर जारी होने वाले चरण का निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रति-चक्रीय पूंजी बफर जारी करने के चरण के परिचालन हेतु कठोर नियम आधारित दृष्टिकोण की बजाय निर्णय और विवेक के उपयोग के मामले में लचीलापन प्रदान किया जाए। इसके अतिरिक्त, संपूर्ण प्रति-चक्रीय पूंजी बफर को एक ही समय पर शीघ्रता से जारी किया जाए।
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भारत में परिचालनरत सभी बैंकों के लिए भारत में प्रति-चक्रीय पूंजी बफर को एकल और समेकित आधार पर कायम किया जाएगा।
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प्रति-चक्रीय पूंजी बफर निर्णयों के लिए प्रयुक्त सूचक और आधार सीमाएं निरंतर अनुसंधान और अपनी उपयोगिता के लिए अनुभवजन्य परीक्षण के अधीन हैं तथा प्रति-चक्रीय पूंजी बफर निर्णयों में सहायता के लिए नए सूचक खोजे जाएं।
पृष्ठभूमि यह स्मरण किया जाए कि वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद केन्द्रीय बैंक गवर्नरों के समूह और पर्यवेक्षण प्रमुखों (जीएचओएस) ने 7 सितंबर 2009 की अपनी प्रेस प्रकाशनी के तहत प्रति-चक्रीय पूंजी बफर संरचना शुरू करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। इसके बाद जुलाई 2010 में बासल समिति ने “प्रति-चक्रीय पूंजी बफर का परिचालन करने वाले राष्ट्रीय प्राधिकारियों के लिए मार्गदर्शन” शीर्षक वाला प्रति-चक्रीय पूंजी बफर पर परामर्शी दस्तावेज जारी किया था। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने भारत में बैंकों के लिए प्रति-चक्रीय पूंजी बफर संरचना का निर्माण करने के लिए श्री बी. महापात्रा, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) का गठन किया। इसके अतिरिक्त, मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2013-14 की दूसरी तिमाही समीक्षा में यह कहा गया था कि आंतरिक कार्य समूह की प्रारूप रिपोर्ट 30 नवंबर 2013 तक भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर जारी कर दी जाएगी। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1110 |