6 फरवरी 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में स्वर्ण आयात और स्वर्ण ऋण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संबंधित मुद्दों पर कार्य दल की अंतिम रिपोर्ट जारी किया भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में स्वर्ण आयात और स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) से संबंधित मुद्दों के अध्ययन के लिए कार्य दल की अंतिम रिपोर्ट जारी किया। कार्य दल की मुख्य सिफारिशें: ए. व्यष्टि मुद्दे
i. मांग में कमी के उपाय:
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स्वर्ण आयात में कमी के लिए राजकोषीय उपायों की पुन: समीक्षा की जाए;
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स्वर्ण कारोबार के बेहतर दस्तावेजीकरण तथा स्वर्ण की एक बेहतर कर प्रणाली महत्वपूर्ण है;
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नवोन्मेषी वित्तीय लिखत तैयार करने की ज़रूरत है जो निवेशकों को वास्तविक प्रतिलाभ अर्थात् मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉण्ड उपलब्ध करा सके;
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स्वर्ण के ग्रामीण और शहरी दोनों मांगों को स्वर्ण के अभौतिकीकरण के माध्यम से स्वर्ण समर्थित वित्तीय लिखतों में निवेश में बदलने की ज़रूरत है;
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अर्थव्यवस्था में निष्क्रीय स्वर्ण के छिपे हुए आर्थिक मूल्य को प्रकट करने के लिए नए स्वर्ण समर्थित वित्तीय उत्पादों को लागू करने पर विचार करने की ज़रूरत है;
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स्वर्ण संचय योजना, स्वर्ण सहबद्ध् खाता, आशोधित स्वर्ण जमा और स्वर्ण पेंशन उत्पाद जैसे उत्पादों को लागू करने पर विचार किया जा सकता है;
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प्रस्तावित स्वर्ण समर्थित उत्पाद लागू करने में विनियामक मुद्दों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन महत्वपूर्ण है;
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स्वर्ण आयात के लिए बैंकिंग सेवाओं और वित्त के विभेदक मूल्यनिर्धारण पर विचार किया जाए;
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स्वर्ण बुलियन की खरीद के लिए बैंक वित्त पर रोक लगाई जाए;
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प्रक्रियाओं आदि में स्वर्ण आयात के लिए दी जाने वाली अधिमान कार्रवाई की पुन: समीक्षा की जाए;
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आधार दर निर्धारणों से धातु स्वर्ण को छूट देने का कोई मजबूत मामला नहीं है;
ii. आपूर्ति प्रबंध उपाय:
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भारी घरेलू स्वर्ण कतरनों को प्रत्यावर्तित करने की ज़रूरत है;
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स्वर्ण आयात में नामित एजेंसियों के रूप में बैंक अपनी भूमिका जारी रखें;
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लेकिन आत्यंतिक स्थिति में अपेक्षित होने पर बैंकों द्वारा आयात किए जाने वाले स्वर्ण की मात्रा और मूल्य की सीमा पर विचार किया जाए;
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थोक स्वर्ण आयातकों पर निर्यात देयता लागू करने पर विचार किया जाए;
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स्वर्ण विनिमय कारोबारी निधि (ईटीएफ) के निष्क्रीय स्वर्ण भंडार को उत्पादक उपयोग में लाया जाए;
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उन लिखतों पर जो निष्क्रीय स्वर्ण को अवरूद्ध कर सकते हैं, स्वर्ण बाण्ड लागू करने जैसे कर प्रोत्साहनों को लागू करने पर विचार किया जाए ;
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प्राधिकारी एक स्वर्ण बैंक की स्थापना पर विचार कर सकते हैं। यह संस्था पुनर्वित्त उपलब्ध कराने सहित कई अन्य कार्य शुरु करने के अलावा स्वर्ण के निष्क्रीय भंडारों को खींच सकती है। इस संबंध में भारतीय बुलियन निगम पर एक अवधारणा पेपर संलग्न है;
iii. स्वर्ण के मौद्रीकरण को बढ़ाने के उपाय:
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स्वर्ण के निष्क्रीय भंडारों के मौद्रीकरण के लिए बैंक अपने स्वर्ण जवाहरात ऋण पोर्टफोलियो को बढ़ा सकते हैं;
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व्यक्तियों द्वारा स्वर्ण जवाहरात और स्वर्ण के सिक्कों के बदले अग्रिमों पर कोई रोक अथवा सीमा नहीं रहनी चाहिए;
बी. सांस्थिक और व्यष्टि मुद्दे:
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की आस्तियों, उधार और शाखा नेटवर्क की तेज वृद्धि की निरंतर निगरानी की जरूरत है।;
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बैंकिंग प्रणाली से स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के भारी उधार को कम करने की जरूरत है ताकि धीरे-धीरे औपचारिक वित्तीय प्रणाली के साथ उनकी अंतर-सहबद्धता में कमी की जा सके;
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घटता हुआ पूंजी पर्याप्तता अनुपात- स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की पूंजी में सुधार करने की जरूरत है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों(एनसीडी) के माध्यम से संसाधन संग्रह करने से संबंधित वर्तमान निर्धारणों की समीक्षा करने की जरूरत है;
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“जमा” की परिभाषा से जमानती डिबेंचरों के लिए उपलब्ध छूट की समीक्षा की जाए ;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और अनिगमित निकायों के बीच लेनदेन की निगरानी की जरूरत है;
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वर्तमान स्थिति में स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की लीवरेज चिंता का विषय नहीं है, आगे जाकर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की स्वाधिकृत निधियों में सुधार की जरूरत है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा पालन किए जा रहे परिचालनात्मक व्यवहारों की व्यापक समीक्षा की जरूरत है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा ऋण की शर्तों की पारदर्शी प्रस्तुति सुनिश्चित करना आवश्यक है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा एक ग्राहक शिकायत और शिकायत निवारण प्रणाली का गठन महत्वपूर्ण है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अनुपालित नीलामी प्रक्रियाओं की समीक्षा की जरूरत है;
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नीलामी का स्थान उसी तालुका में होना चाहिए जहॉं उधारकर्ता रहता है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा नीलामी के बाद की अभिरक्षा का पालन किया जाना चाहिए;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा बेहतर प्रकटन मानकों के पालन की जरूरत है;
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निष्पक्ष व्यवहार संहिता के कार्यान्वयन की निगरानी आवश्यक है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अनुपालित मानक दस्तावेजीकरण को सुनिश्चित करने की जरूरत है;
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भारी स्वर्ण ऋण लेनदेन के लिए पैन कार्ड का उपयोग सूचित किया जाए;
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भारी स्वर्ण ऋण लेनदेन के लिए चेक के माध्यम से भुगतान की कोशिश की जाए;
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बैंकों के साथ स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए समान अवसर प्रदान करने से पीछे हटने का अभी तक कोई मामला नहीं है;
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विद्यमान ‘मूल्य अनुपात में ऋण’ की पुन: समीक्षा का मामला बनता है तथापि, ‘मूल्य’ शब्द की एक सुपारिभाषित और मानक अवधारणा आवश्यक है;
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बड़ी स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा शाखाओं की अनियंत्रित वृद्धि को कम करने की जरूरत है;
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स्वर्ण ऋण उधारकर्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए एक लोकपाल की जरूरत है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा ब्याज दर संरचना को विवेकसम्मत बनाने के लिए सूचित किया जाए;
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कुछ स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अनिगमित निकायों के माध्यम से चोरी-छिपे आम जनता से जमा राशियां प्राप्त कर रही हैं जिससे चिंता बढ़ती है;
III. तकनीकी कार्य के प्रमुख निष्कर्ष
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स्वर्ण ऋणों का स्वर्ण आयात पर आकस्मिक प्रभाव पड़ता है जिससे स्वर्ण धारण करने हेतु चलनिधि उद्देश्य की जरूरत उत्पन्न होती है;
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अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण कीमतें तथा विनिमय दरें उल्लेखनीय और सकारात्मक रूप से भारत में स्वर्ण मूल्यों को प्रभावित करती हैं;
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स्वर्ण कीमतों में बढ़ोतरी स्वर्ण ऋण बकाए को बढ़ाने में एक मुख्य कारक प्रतीत होती हैं;
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गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बैंकों द्वारा प्रदान किए गए स्वर्ण ऋणों में वृद्धि उल्लेखनीय रूप से भारत में स्वर्ण की कीमतों को प्रभावित नहीं करती हैं;
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पिछली प्रवृत्तियों को देखते हुए स्वर्ण की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत की तेज और अचानक गिरावट की संभावना नहीं है जिससे स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को वित्तीय चिंता हो सके;
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मूल्य अनुपात के लिए विद्यमान ऋण (एलटीवी) स्वर्ण की कीमतों में 10 प्रतिशत तक गिरावट के मामले में विवेकपूर्ण जोखिम सुरक्षा उपलब्ध कराएगा;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कुल ऋण निवेश और पूंजी पर्याप्तता के प्रतिशत के रूप में अनर्जक आस्तियां वर्तमान में चिंता का विष्सय नहीं हैं;
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बैंकिंग क्षेत्र का उनके अलग-अलग स्वर्ण ऋणों के स्वरूप में विद्यमान निवेश छोटा प्रतीत होता है और वर्तमान में बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता के लिए वे कोई उल्लेखनीय हानि नहीं पहंचा सकते हैं;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां सामाजिक रूप से एक उपयोगी कार्य कर रही हैं जो इन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गतिविधियों के सतर्क विनियमन के लिए एक मजबूत औचित्य उपलब्ध कराता है;
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स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कार्यकलाप पर रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए हाल के विनियामक कसाव मध्यावधि और दीर्घावधि में इस क्षेत्र की मजबूत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए जारी रखा जाए;
रिज़र्व बैंक इस कार्य दल की सिफारिशों की जांच करेगा और इस पर अपनी राय देगा। पृष्ठभूमि स्वर्ण से संबंधित मुद्दों के अध्ययन की प्रेरणा समष्टिआर्थिक मुद्दों नामत: बाह्य क्षेत्र स्थिरता पर स्वर्ण का भारी आयात तथा स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बैंकिंग प्रणाली के बीच मजबूत अंतरसहबद्धता के कारण घरेलू वित्तीय स्थिरता से भी उत्पन्न हुई। स्वर्ण ऋण कारोबार में भारी वृद्धि, अत्यंत कम समय में स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के शाखा नेटवर्क में तेजी से विस्तार, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा बैंक उधारों की मात्रा में उछाल ने कतिपय विनियामक चिंताओं को उत्पन्न किया। तदनुसार, 17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 में कहा गया था कि भारत में स्वर्ण आयात तथा स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संबंधित मुद्दों के अध्ययन के लिए एक कार्यदल का गठन किया जाएगा। बाद में श्री के.यू.बी.राव, परामर्शदाता, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया गया। इस कार्यदल में रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों जैसेकि आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, बाह्य निवेश और परिचालन विभाग तथा वित्तीय स्थिरता इकाई के सदस्य शामिल किए गए थे। इस कार्यदल की प्रारूप रिपोर्ट आम जनता के अभिमत के लिए 2 जनवरी 2013 को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाली गई थी। विशेषज्ञों, स्टेकधारको तथा आम जनता से प्राप्त अभिमत और सुझावों को शामिल किए जाने के बाद कार्यदल ने अपनी अंतिम रिपोर्ट 31 जनवरी 2013 को रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2012-2013/1318 |