RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79805465

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की : दिसंबर 2012

28 दिसंबर 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की : दिसंबर 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का छठा अंक वैश्विक समष्टि-आर्थिक अस्थिरता और अनिश्चितता के वातावरण में जारी किया जा रहा है। वैश्विक प्रतिवात की मार और घरेलू नीति अनिश्चितताओं के साथ भारत में आर्थिक वृद्धि में हाल की तिमाहियों में सुधार हुआ है। तथापि, यदि गरीबी कम करने की गति बढ़ानी है, रोज़गार का सृजन करना है और जनसांख्यिकीय लाभांश को बढ़ाना है तो विकास को बढ़ाना आवश्यक है। रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता को जोखिम पर वित्तीय स्थिरता और विकास समिति (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक आकलन को दर्शाया गया है।

मुख्य-मुख्य बातें

1. यूरोपीय राजकोषीय ऋण संकट और आने वाला अमरीकी राजकोषीय प्रपात।

(पैरा 1.2-1.6; अध्याय: I)

2. घरेलू वृद्धि को जोखिम घरेलू बचत में गिरावट, निरंतर जारी उच्च मुद्रास्फीति, विनियामक और वातावरण के मामले जैसी ढांचागत बाधाओं से उभरती वृद्धि को जोखिम हैं। इसके कारण निवेश मांग में कमी आयी और उपभोक्ता खर्च में कमी आयी जिससे वृद्धि में गिरावट हुई।

(पैरा 1.17-1.21; अध्याय: I)

3. बाह्य क्षेत्र असंतुलन चिंता का विषय बना हुआ है। बढ़ते स्वर्ण आयातों ने चालू खाता घाटा को बदतर बाना दिया है। घरेलू बचत गिर रही है। साथ ही, परिवार बचत का कम हिस्सा वित्तीय उत्पादों में लगाया जा रहा है।

(पैरा 1.25-1.27 और बॉक्स 1.1; अध्याय: I)

4. वित्तीय बाज़ार अधिकतर स्थिर बना रहा किंतु विनिमय दर में घट-बढ़ कुछ समकक्ष और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उच्च रही। कंपनी बाण्ड निर्गम पर वित्तीय क्षेत्र का प्रभुत्व रहा जिससे प्रभावी मध्यस्थहीनता में कमी आयी

(पैरा 1.24 और 1.31; अध्याय: I)

5. कंपनी क्षेत्र की कर्ज़ चुकाने की क्षमता 2009-10 से कम हो रही है। ऊर्जा जैसे प्रमुख मूलभूत सुविधा क्षेत्रों को बेहतर एक्सपोज़र के साथ कुछ औद्योगिक समूहों ने हाल के वर्षों में लिवरेजिंग में उच्च वृद्धि देखी।

(पैरा 1.36-1.39; अध्याय: I)

6. बैंकरों, सलाहकारों, शिक्षाविदों इत्यादि के बीच अक्टूबर 2012 में आयोजित रिज़र्व बैंक के अद्यतन प्रणालीगत जोखिम सर्वेक्षण से व वैश्विक वृद्धि में गिरावट और राजकोषीय जोखिम / संक्रमण तथा बढ़ता राजकोषीय घाटा, वृद्धि दृष्टिकोण और बैंक आस्ति गुणवत्ता में गिरावट जैसे कई घरेलू घटकों जैसे उभरती वैश्विक जोखिम के बारे में चिंता दर्शाई गयी है। तथापि प्रतिसूचना देने वालों की घरेलू वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के बारे में विश्वसनीयता बनी रही।

(पैरा 1.40-1.42; अध्याय: I)

7. समीक्षा अवधि के दौरान बैंकों के बीच आपदा के दौरान निर्भरता अधिकतर अपरिवर्तित बनी हुई है।

(पैरा 2.3-2.7; अध्याय: II)

8. जबकि हाल की अवधि में प्रणाली में पैटर्न में अंतर-संबंध में अथवा संक्रमण जोखिम में कोई प्रमुख परिवर्तन नहीं है वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के इस अंक में पहली बार भारतीय बैंकिंग प्रणाली में चलनिधि संक्रमण के प्रभाव का आकलन करने का प्रयास किया गया है।

(पैरा 2.19-2.23; अध्याय: II)

9. बैंकिंग प्रणाली की आस्ति गुणवत्ता समीक्षा अवधि के दौरान पुनर्संरचना के बेहतर सहारे के लिए तनाव में रही। तथापि, बैंकिंग क्षेत्र ऋण, बाज़ार और चलनिधि जोखिम की ओर लचीला बना रहा और अपनी सुगम पूँजी स्थिति को दखते हुए समष्टि आर्थिक आघातों को सहने की क्षमता थी।

(पैरा 2.32-2.37 और 2.40-2.49; अध्याय: II)

10. वैश्विक वित्तीय संकट के कारण शुरू किए गए विनियामक सुधार देशभर में लागू होने के विभिन्न चरणा में है। कुछ सुधारों का उभरती बाज़ारों पर अभिप्रेत परिणाम हो सकते हैं।

(पैरा 3.1-3.4; अध्याय: II)

11. जैसे ही बैंक बासेल III में अंतरित होंगे उनके सामने हाल की आस्ति गुणवत्ता में गिरावट और उच्चतर प्रावधानों की आवश्यकता में विनियामक परिवर्तन की चुनौती होगी।

(पैरा 3.6, अध्याय III)

12. विभिन्न बाज़ार खण्ड़ो में केंद्रीय प्रतिपक्ष की मार्जिन गति की सक्रियता के कारण होनेवाली संभाव्य जोखिम पर निगरानी रखने की आवश्यकता होगी। कुछ उत्पादों /बाज़ारों के मूल्य संबंधी सूचना में मानकीकरण, अपर्याप्त चलनिधि और अस्पष्टता की समस्याओं को देखते हुए सभी ओटीसी डेरिवेटिव्ज़ लेनदेनों को केंद्रीय समाशोधन में अंतरित करने की चुनौती है।

(पैरा 3.37-3.40 अध्याय III)

13. वित्तीय समावेशन, वित्तीय साक्षरता और उपभोक्ता सुरक्षा वित्तीय स्थिरता के जोड़ने वाले धागे माने गए हैं। वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के इस अंक में पहली बार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के विभिन्न विनियामक उपायों पर चर्चा की गयी है।

(पैरा3.62-3.77; अध्याय: III)

आर. आर. सिन्‍हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1082

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?