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भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट: जून 2013 जारी किया

27 जून 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट: जून 2013 जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक की वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का अद्यतन अंक जो इस श्रृंखला का सातवां अंक है को उस समय जारी किया जा रहा है जब अमरीका की गैर-पारंपरिक नीतियों के औचित्‍य, सामयिकता और उससे बाहर निकलने के संभावित कदम पर चर्चा तेज हो रही है तथा इसके परिणामस्‍वरूप संपूर्ण विश्‍व के वित्‍तीय बाजारों में हलचल महसूस की जा रही है।

वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट(एफएसआर) का लक्ष्‍य वित्‍तीय प्रणाली में संवेदनशीलता के बारे में जागरूकता सृजित करना, वित्‍तीय संस्‍थाओं के तनाव को लचीला बनाने के बारे में जानकारी देना, और वित्‍तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा को प्रोत्‍साहित करना है।

यह रिपोर्ट वित्‍तीय स्थिरता की जोखिमों पर वित्‍तीय स्थिरता और विकास परिषद(एफएसडीसी) की उप समिति के सामूहिक आकलन को दर्शाती है।

मुख्‍य-मुख्‍य बातें :

  1. वैश्विक वृद्धि मंद बनी हुई है और कई स्‍तरों पर सुधार हो रहा है। उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं में नीति कार्रवाईयों ने उससे जुड़ी घटनाओं के जोखिमों को कम किया है। फेडरल रिज़र्व द्वारा इस वर्ष शुरु किए गए अपने बॉण्‍ड खरीद कार्यक्रम में धीरे-धीरे कमी लाने से खासकर उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में विदेशी मुद्रा, बॉण्‍ड और इक्विटी बाजारों में भारी पैमाने पर बिकवाली हुई है। (पैरा 1.1-1.4; अध्‍याय: I)

  2. वह जोखिम जो वैश्विक प्रणाली मेंपिछले पांच वर्षों के दौरान चलनिधि आधिक्‍य से निर्मित हुआ है वह अब कम हो रहा है। खासकर उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में बाजारों को आगे जाकर उच्‍च अस्थिरता और अनिश्चितता के दौर के लिए तैयार रहने की जरूरत है। (पैरा 1.5-1.10; अध्‍याय: I)

  3. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में सामना की जा रही समष्टि आर्थिक जोखिमें पिछले छह महीनों के दौरान मुख्‍य रूप से घरेलू वृद्धि, बाह्य क्षेत्र कंपनी क्षेत्र कार्यनिष्‍पादन के आयामों पर बढ़ी हैं। चालू खाता घाटा और अबाधित वित्‍तीय सहायता समष्टि आर्थिक स्थिरता के परिप्रेक्ष्‍य में प्रमुख चुनौती बनकर उभरी है। मुद्रास्‍फीति में हाल की गिरावट और उल्‍लेखनीय राजकोषीय समेकन ने कुछ राहत उपलब्‍ध कराई है। (पैरा 1.11-1.20; अध्‍याय: I)

  4. भारतीय कंपनी क्षेत्र का कार्यनिष्‍पादन मंद हुआ है और उभरते हुए परिदृश्‍य में बढ़े हुए बाहरी उधार तथा कंपनियों के बचाव-रहित विदेशी मुद्रा निवेश उनकी संवेदनशीलता को और बढ़ा सकते हैं। (पैरा 1.33 – 1.34; अध्‍याय: I)

  5. बैंकिंग क्षेत्र की जोखिमों में दिसंबर 2012 के अंतिम वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट(एफएसआर) के प्रकाशन के बाद न्‍यूनतम वृद्धि हुई है। कड़ी चलनिधि और गिरती हुई आस्ति गुणवत्‍ता इस अवधि के दौरान बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता में गिरावट के प्रमुख कारक हैं यद्यपि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की आस्ति गुणवत्‍ता में मार्च 2013 की तिमाही में हल्‍का सुधार दर्ज किया गया है। (पैरा 2.1, 2.32; अध्‍याय: II)

  6. भारतीय वित्‍तीय प्रणाली का नेटवर्क दर्शाता है कि आस्ति प्रबंध कंपनियों, बीमा कंपनियों और गैर- बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों(एनबीएफसी) का बैंकिंग प्रणाली से भारी मात्रा में जुड़ाव है।(पैरा 2.7-2.15; अध्‍याय: II

  7. वित्‍तीय वर्ष की पिछली तिमाही के दौरान ऋण, जमा और आस्ति गुणवत्‍ता के मानदंडों पर बैंकों के कार्यनिष्‍पादन में ' मौ‍समिकता' की उल्‍लेखनीय मात्रा देखी गई है।(पैरा 2.18-2.20 और 2.34; अध्‍याय: II))

  8. उच्‍चतर लीवरेज वाले बैंकों में न्‍यूनतर जोखिम-भार-आस्ति घनत्‍व पाया गया।वैश्विक स्‍तर पर यह प्रवृत्ति तब देखी गई जब बैंक बासेलII के अंतर्गत आंतरिक क्रम निर्धारण आधारित(आइआरबी) दृष्टिकोण की ओर बढ़ने लगे। (पैरा 2.29: अध्‍याय: II और पैरा 3.4 – 3.7; अध्‍याय: III)

  9. तनाव जांच परिणामयह उल्‍लेख करते हैं कियदि वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थिति बनी रहती है तो वाणिज्यिक बैंकों की ऋण गुणवत्‍ता में और गिरावट हो सकती है। तथापि, बैंकों के पूंजी पर्याप्‍तता मोर्चे पर सहज स्थिति के लिए लचीलापन आवश्‍यक है। (पैरा 2.46-2.57, अध्‍याय: II)

  10. जीवन बीमा में नए कारोबारी प्रीमियम का एक प्रमुख भाग बढ़ते मूल्‍य आकार के साथ एकल प्रीमियम है। (पैरा 2.77-2.78, अध्‍याय: II)

  11. वर्तमान में कार्यान्‍वयन वाली कई पारिभाषित लाभ पेंशन योजनाओं के साथ-साथ नई घोषित(अधिकांशत: सरकारी क्षेत्र में) के संबंध मेंदेयता गणना की कमजोरियां कई वर्षों में राजकोषीय तनाव का संभावित स्रोत बन सकती हैं जब विशेष रूप से बढ़ती हुई जीवन प्रत्‍याशा में भारी भुगतान होंगे। (पैरा 2.80-2.82, अध्‍याय II)

  12. सुधारों का क्रियान्‍वयन करते समय नियमित दृष्टिकोण में उभरती हुई असंगति और कुछ प्रमुख अधिकार क्षेत्रों में घरेलू-पक्षपात अंर्राष्‍ट्रीय के साथ-साथ घरेलू वित्‍तीय बाजारों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। भारत में सुधारों के विशिष्‍ट क्षेत्रों के कार्यान्‍वयन पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए अंतर-विनियामक एजेंसी कार्यान्‍वयन समूहों का गइन्‍ किया गया है। (पैरा 3.1-3.3; अध्‍याय: III)

  13. वित्‍तीय क्षेत्र विनियामकों ने वित्‍तीय संघों के रूप में पहचाने गए वित्‍तीय समूहों के समेकित पर्यवेक्षण और निगरानी के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं। उन्‍नत सीमापारीय बैंकिंग पर्यवेक्षण और सहयोग के लिए दो बड़े भारतीय बैंकों हेतु स्‍थापित समुद्रपारीय पर्यवेक्षी निकायों और पर्यवेक्षी महाविद्यालयों के साथ द्वि-पक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं।(पैरा 3.30 -3-32;अध्‍याय: III)

  14. कुछ बैंकों में वित्‍तीय उत्‍पादों मुख्‍यत: बीमा उत्‍पादों और अन्‍य संपत्ति प्रबंध सेवाओं की गलत बिक्री के उदाहरणों ने उपभोक्‍ता संरक्षण व्‍यवस्‍थाओं को मजबूत बनाने और अपने ग्राहक को जानें/काला धन आशोधन दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता को रेखांकित किया है।(पैरा 3.47 – 3.58; अध्‍याय: III)

  15. भारत कलनात्‍मक कारोबार की प्रथा को नियंत्रित करने हेतु एक ढांचे के कार्यान्‍वयन में पूर्वसक्रिय रहा है तथा मिथ्‍या कारोबार से उत्‍पन्‍न जोखिमों का समाधान करने के उपाय किए गए हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कलनात्‍मक और उच्‍चतर तीव्रता कारोबार से उत्‍पन्‍न जोखिमों की जांच कर रहा है और उन सहभागियों को क्रम व्‍यवस्‍थापन में व्‍यापक समानता और निष्‍पक्षता उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य रखता है जो सम-स्‍थानिक सेवाओं का उपयोग नहीं करते हैं।(पैरा 3.68 – 3.71; अध्‍याय: III)

  16. अप्रैल-मई 2013 के दौरान आयोजित अद्यतन प्रणालीगत जोखिम सर्वेक्षण यह स्‍पष्‍ट करता है कि वैश्विक जोखिम और घरेलू समष्टि आर्थिक जोखिम भारतीय वित्‍तीय प्रणाली की स्थिरता को प्रभावित करने वाले दो महत्‍वपूर्ण कारकों के रूप में पहचाने गए हैं।(वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट का अनुलग्‍नक 1)

अल्‍पना किल्‍लावाला
मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/2190

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