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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में चिंताजनक आस्तियों को पुनर्जीवित करने की रूपरेखा जारी की गई

30 जनवरी 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में चिंताजनक आस्तियों को
पुनर्जीवित करने की रूपरेखा जारी की गई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर अर्थव्यवस्था में चिंताजनक आस्तियों को पुनर्जीवित करने की रूपरेखा जारी की। यह रूपरेखा एक सुधारात्मक कार्य योजना रेखांकित करती है जो समस्या वाले मामलों की प्रारंभ में ही पहचान करने, व्यवहार्य माने जाने वाले खातों की समय पर पुनर्संरचना करने और अव्यवहार्य खातों की वसूली या बिक्री के लिए बैंकों द्वारा शीघ्र कदम उठाने के लिए प्रोत्साहन देगी। इस रूपरेखा की मुख्य विशेषताएं हैं:

(i) समाधान के लिए योजना पर सहमति बनाने हेतु समयबद्धता के साथ ऋणदाता समिति का प्रारंभिक गठन।

(ii) योजना पर सामूहिक रूप से और तेजी से सहमति के लिए ऋणदाताओं के लिए प्रोत्साहनः चिंताजनक आस्तियों का बेहतर विनियामक समाधान यदि समाधान योजना बनाई जा रही है, त्वरित प्रावधानीकरण यदि कोई सहमति नहीं बनती है।

(iii) वर्तमान पुनर्संरचना प्रक्रिया में सुधारः अधिदेशित अधिक महत्व वाली पुनर्संरचना का स्वतंत्र मूल्यांकन जिसमें व्यवहार्य योजनाओं और प्रवर्तकों तथा उधारदाताओं के बीच हानियों (तथा भविष्य की संभाव्य वृद्धिगत हानियों) की सही साझेदारी पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

(iv) उन उधारकर्ताओं के लिए भविष्य का उधार अधिक मंहगा जो समाधान में ऋणदाताओं का सहयोग नहीं करते हैं।

(v) आस्तियों की बिक्री के लिए अधिक उदार विनियामक समाधान उपलब्ध कराया गया:

  1. ऋणदाता हानि का विस्तार दो वर्षों के लिए कर सकते हैं बशर्ते कि हानि पूरी तरह से प्रकट की गई हो।

  2. अंतरण वित्तपोषण/पुनर्वित्त लंबी अवधि के लिए संभव और इसे पुनर्संरचना नहीं माना जाएगा।

  3. ‘चिंताजनक कंपनियों’ के अधिग्रहण के लिए विशेष संस्थाओं हेतु लिवरेज खरीद की अनुमति होगी।

  4. आस्ति पुनर्संरचना कंपनियों की बेहतर कार्यपद्धति के लिए उपायों पर विचार किया गया।

  5. क्षेत्र-विशेष कंपनियों/निजी इक्विटी फर्मों को चिंताजनक आस्ति बाजार में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

पृष्ठभूमि

भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने से कई कंपनियां/परियोजनाएं दबाव में हैं। परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अनर्जक आस्तियों और पुनर्संरचित खातों की वृद्धि हुई है। वित्तीय रूप से चिंताजनक आस्तियां न केवल आर्थिक संभावना की तुलना में कम उत्पादन करती हैं बल्कि उनके मूल्य में भी तेजी से गिरावट आती है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंकिंग प्रणाली शुरूआत में ही वित्तीय चिंता की पहचान करे, इसे दूर करने के लिए कदम उठाए और ऋणदाताओं तथा निवेशकों के लिए उचित वसूली सुनिश्चित करे। वास्तविक और वित्तीय पुनर्संरचना के सुदृढ़ीकरण तथा ऋण की वसूली द्वारा कंपनी चिंता और वित्तीय संस्थाओं की चिंता का निपटान करने में प्रणाली की योग्यता में सुधार करने का भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा पांच स्‍तम्‍भों में से एक स्तम्भ के रूप में उत्ल्‍लेख किया गया है जिस पर अगली कुछ तिमाहियों में वित्तीय प्रणाली में सुधार करने के लिए रिज़र्व बैंक के विकासात्मक उपायों का निर्माण होगा। तदनुसार, 1 जनवरी 2014 तक टिप्पणियां भेजने के लिए 17 दिसंबर 2013 को ‘वित्तीय चिंता की प्रारंभ में पहचान, समाधान के लिए शीघ्र कदम और ऋणदाताओं के लिए उचित वसूलीःअर्थव्यवस्था में चिंताजनक आस्तियों को पुनर्जीवित करने की रूपरेखा’ पर चर्चा पत्र जारी किया गया। वर्तमान रूपरेखा में उस पेपर पर सार्वजनिक टिप्पणियां शामिल हैं और यह उन विशेष प्रस्तावों को रेखांकित करती है जिनका रिज़र्व बैंक कार्यान्वयन करेगा।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1533

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