RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79913044

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जून 2014 जारी किया

26 जून 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जून 2014 जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जून 2014 जारी किया जो इसके छमाही प्रकाशन का नौवां अंक है।

वित्‍तीय स्थिरता रिपोर्ट वित्‍तीय स्थिरता के प्रति जोखिमों पर वित्‍तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफसडीसी) उप समिति के सामूहिक आकलन को दर्शाती है। इस रिपोर्ट का उद्देश्‍य वित्‍तीय प्रणाली में संवेदनशीलताओं के बारे में जागरूकता को प्रोत्‍साहित करना, वित्तीय संस्‍थाओं की अनुकूलताओं के बारे में जानकारी देना तथा वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन के संबंधित मुद्दों पर चर्चा को आगे बढ़ाना है।

अद्यतन अंक उस समय जारी किया जा रहा है जब वैश्विक वित्तीय बाजार सुधरती हुई स्थिरता के संकेत दे रहे हैं यद्यपि वृद्धि अभी भी मज़बूत आधार पर नहीं है तथा सहज मौद्रिक नीति कई क्षेत्रों में जारी है। घरेलू मोर्चे पर राजनीतिक स्थिरता की वापसी ने संभावना को महत्‍व दिया है तथा पूंजी बाजार वृद्धि-मुद्रास्‍फीति गतिशीलता और बचत-निवेश संतुलन के समाधान के साथ-साथ नीतियों और कार्यक्रमों के सफल कार्यान्‍वयन के नीतिगत उपायों पर प्रत्‍याशा को दर्शाते हैं।

भारतीय वित्‍तीय प्रणाली स्थिर बनी हुई है यद्यपि बैंकिंग क्षेत्र मुख्‍य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) कुछ बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यद्यपि सितंबर 2013 से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की आस्ति गुणवत्‍ता में कुछ सुधार हुआ है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कुल सकल अगिम के प्रतिशत (जीएनपीए अनुपात) के रूप में सकल अनर्जक अगिमों का स्‍तर उल्‍लेखनीय रूप से अन्‍य बैंक समूहों की तुलना में अधिक है। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्‍वामित्‍व ढांचा और पुन:पूंजीकरण सरकार की नीति और वित्‍तीय स्थिति पर निर्भर है बाजार अनुशासन पर व्‍यापक जोर डालने के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की अभिशासन संरचना की पुन: समीक्षा का मामला बनता है।

व्‍यष्टि तनाव जांच यह दर्शाते हैं कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के प्रणाली स्‍तर पर जोखिम आधारित आस्तियों की तुलना में पूंजी का अनुपात (सीआरएआर) प्रतिकूल समष्टि आर्थिक स्थितियों के अंतर्गत भी विनियामक न्‍यूनतम से काफी ऊपर बना हुआ है।

भारत में प्रतिभूति बाजारों का विनियमन अंतर्राष्‍ट्रीय गतिविधियों के अनुरूप है, यद्यपि भारतीय बाजारों में पारस्‍परिक निधियां और अन्‍य आस्ति प्रबंध गतिविधियां अन्‍य क्षेत्रों में अनुभूत जोखिमों के समान जोखिम धारण नहीं करती हैं। बीमा कंपनियों की ऋण गतिविधि यद्यपि सापेक्षत: लघु और अन्‍य बीमा कंपनियों के लिए लागू निर्धारित एक्‍सपोज़र सीमाओं के भीतर है, उन्‍हें कारगर बनाने और विनियामक अधिनिर्णय की संभावना को समाप्‍त करने के लिए बैंकों की तुलना में एक विवेकशील ढांचे के अंतर्गत उनकी निगरानी किए जाने की ज़रूरत है। कंपनी अभिशासन के संशोधित मानदण्‍डों के साथ-साथ मालगोदाम और संबंधित प्रक्रियाओं से पण्‍यवस्‍तु व्‍युत्‍पन्‍नी बाजार के कार्यकलाप को सुदृढ़ किए जाने की आशा की जाती है। भारत के पेंशन क्षेत्र के संबंध में कई पारिभाषित पेंशन लाभ योजनाओं के मामले में अपर्याप्‍त देयता अभिकलन आने वाले वर्षों में राजकोषीय तनाव का एक संभावित स्रोत बन सकता है।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2510

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?