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रिज़र्व बैंक ने जून 2019 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की

27 जून 2019

रिज़र्व बैंक ने जून 2019 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का 19 वां अंक जारी किया। एफएसआर वित्तीय स्थिरता के जोखिम के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता के लचीलेपन पर, वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है। रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

प्रणालीगत जोखिमों का समग्र मूल्यांकन

भारत की वित्तीय प्रणाली बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन में सुधार की पृष्ठभूमि में स्थिर है, भले ही वैश्विक आर्थिक और भूराजनीतिक वातावरण में उभरती हुई प्रवृत्तियां चुनौतियों का सामना कर रही है।

वैश्विक और घरेलू मैक्रो-वित्तीय जोखिम

  • वैश्विक आर्थिक गतिविधि 2018 की दूसरी छमाही से महत्वपूर्ण विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है जिससे 2019 में 3.3 प्रतिशत की कम वैश्विक वृद्धि का पूर्वानुमान किया गया है। प्रतिकूल भूराजनीतिक घटनाक्रम और व्यापार तनाव धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रुप से व्यापार और उपभोक्ता विश्वास पर टोल ले रहे हैं।

  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) के केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीति के रुख को उदार बना दिया है । जब प्रतिक्रिया के रूप में शुरू में परिसंपत्ति की कीमतों और वैश्विक पूंजी प्रवाह में सुधार हुआ, ऐसा दिखाई देता है कि बाजार 'फेड पुट' के निहितार्थों से गहरे रूप से प्रभावित रहें और तेज समायोजन के जोखिम के साथ किसी भी महत्वपूर्ण पुनर्मूल्यांकन के लिए उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए फिर से रेटिंग की आवश्यकता है।

  • घरेलू अर्थव्यवस्था ने हाल ही में निजी खपत के रूप में एक नरम पैच को छुआ, जीडीपी का प्रमुख कारक कमजोर हो गया। इसके साथ-साथ नई निवेश पाइप लाइन और चालू खाते घाटे में कमी से राजकोषीय मोर्चे पर दबाव बढ़ा है।

  • वैश्विक वित्तीय बाजारों से स्पिलओवर के बारे में सतर्कता बरतते हुए निजी निवेश मांग को पुनर्जीवित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है ।

वित्तीय संस्थान: निष्पदन और जोखिम

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के साथ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की ऋण वृद्धि दोहरे अंकों के आसपास दर्ज की गई। पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के बाद एससीबी की पूंजी पर्याप्तता में सुधार हुआ।

  • बैंकिंग बहियों में पहले से ही पहचान की गई गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बड़े हिस्से के साथ, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) चक्र ने अपना आवर्तन पूर्ण कर लिया ।

  • बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन को बढ़ाते हुए, सभी एससीबी का प्रोविजन कवरेज अनुपात (पीसीआर) सितंबर 2018 में 52.4 प्रतिशत और मार्च 2018 में 48.3 प्रतिशत के मुकाबले तेजी से बढ़कर मार्च 2019 में 60.6 प्रतिशत हो गया।

  • क्रेडिट जोखिम के लिए बृहत-स्ट्रेस टेस्ट यह दर्शाते हैं कि बेसलाइन परिदृश्य के तहत, एससीबी का सकल गैर-लाभकारी संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च 2019 में 9.3 प्रतिशत से घटकर मार्च 2020 में 9.0 प्रतिशत हो सकता है।

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के क्षेत्र में हाल के विकास ने क्षेत्र को उन्नत बाजार अनुशासन के तहत लाया है क्योंकि बेहतर निष्पादन करने वाली कंपनियों ने एएलएम के साथ धन जुटाना जारी रखा है, और/ अथवा परिसंपत्ति गुणवत्ता चिंताएं उच्च उधार लागत के अधीन हैं।

  • वित्तीय नेटवर्क संरचना के विश्लेषण से पता चलता है कि बैंकों की अज्ञात विफलता के कारण बैंकिंग प्रणाली के लिए संयुक्त शोधन क्षमता-चलनिधि संक्रामक हानि मार्च 2018 (एफ़एसआर जून 2018) की तुलना में मार्च 2019 में बेहतर पूंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली के कारण कम है। विशेष प्रकृति वाले (आईडीओसिंक्रेटिक) एचएफसी / एनबीएफसी की विफलता के कारण बैंकिंग प्रणाली के लिए शोधन क्षमता संक्रामक नुकसान बताते हैं कि इनमें से सबसे बड़े की विफलता से उत्पन्न नुकसान की तुलना बड़े बैंकों के साथ की जा सकती है, जो बड़े एफएफसी / एनबीएफसी पर अधिक निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

वित्तीय क्षेत्र: विनियमन और विकास

  • बैंकों के लिए पर्यवेक्षी तंत्र को अंतिम रूप देने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में भारतीय वित्तीय क्षेत्र के भीतर बढ़ती विविधता, जटिलताओं और परस्पर संबंधों के संदर्भ में पर्यवेक्षण की संरचना की समीक्षा की है।

  • पूर्ववर्ती दबावग्रस्त आस्ति समाधान फ्रेमवर्क का विस्तार करते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा 7 जून 2019 को जारी की गई दबावग्रस्त आस्ति संबंधी संशोधित विवेकपूर्ण फ्रेमवर्क, समाधान योजना (आरपी) को जल्दी अपनाने के लिए प्रोत्साहन भी देता है।

  • बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिपक्षी सकेन्द्रण जोखिम को दूर करने के लिए, रिज़र्व बैंक ने संशोधित बृहद एक्सपोज़र फ्रेमवर्क (एलईएफ) की शुरुआत की, जो 01 अप्रैल, 2019 से प्रभावी है।

  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) द्वारा किए गए प्रकटन की गुणवत्ता को और बढ़ाने और रेटिंग फ्रेमवर्क को मजबूत करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सीआरए द्वारा संवर्धित प्रकटीकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

  • बाजार परिस्थितियों के आधार पर फंड के प्रदर्शन में सुधार के लिए पेंशन फंड को लचीलापन प्रदान करने हेतु, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफ़आरडीए) ने निवेश दिशानिर्देशों में संशोधन किया।

  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान में लगातार प्रगति दिखा रहा है।

योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/3066

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