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भारतीय रिज़र्व बैंक ने नए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को लाइसेंस देने पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की

12 सितंबर 2011

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को
लाइसेंस देने पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर नए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को लाइसेंस देने पर विशेषज्ञ समिति (अध्‍यक्ष: श्री वाइ.एच.मालेगाम) की रिपोर्ट जारी की। कृपया इस रिपोर्ट पर सुझाव और अभिमत 31 दिसंबर 2011 तक प्रभारी मुख्‍य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, गारमेंट हाऊस, पहली मंजि़ल, डॉ.एनी.बेसंट रोड, वरली, मुंबई-400018 (फैक्‍स सं.022-24974030) को भेजें अथवा पर इ-मेल करें।

इस विशेषज्ञ समिति की अनुशंसाएं इस प्रकार हैं:

• शहरी सहकारी बैंक एक उपयोगी भूमिका निभाती हैं तथा बैंक रहित जिलों और 5 लाख से कम आबादी वाले केंद्रों में शहरी सहकारी बैंकों की व्‍यापक उपस्थिति की अधिक जरूरत है। यह आवश्‍यक है कि वे राज्‍य और जिले जो बैंक रहित हैं अथवा अपर्याप्‍त रूप से बैंक सुविधायुक्‍त हैं में बैंक और शाखाएं खोलने के लिए नए आवेदकों को प्रोत्‍साहित किया जाए। यह समान रूप से आवश्‍यक है कि वैसे जिलों और आबादी वाले केंद्रों जहॉं पर्याप्‍त रूप से पहले से ही बैंक हैं वहॉं शाखाएं खोलने के लिए नए आवेदकों को तरजीह न दी जाए।

• लाभ, पूँजी पर्याप्‍तता, अनर्जक आस्ति अनुपात आदि जैसे कतिपय वित्तीय मानदण्‍डों को पूरा करने वाली विद्यमान सुव्‍यवस्थित सहकारी ऋण समितियों को खासकर बैंक सुविधा रहित अथवा अपर्याप्‍त बैंक सुविधायुक्‍त केंद्रों में शहरी सहकारी बैंकों के रूप में लाइसेंस स्‍वीकृत करने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्रवेश बिंदु पूँजी निर्धारण

नए शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्रस्‍तावित प्रवेश बिंदु मानदण्‍ड निम्‍नप्रकार हैं :

क्रम सं.

विवरण

न्‍यूनतम पूँजी

(ए)      

केवल एक ही राज्‍य में परिचालित शहरी सहकारी बैंक

50 लाख

(i)

उत्‍तरपूर्वी क्षेत्र

(ii)

दूसरे राज्‍यों में भी लेकिन बैंक रहित जिलों तक सीमित

(iii)

दूसरे राज्‍यों में भी लेकिन बैंक सुविधायुक्‍त जिलों के 'सी' और 'डी' श्रेणी की आबादी वाले केंद्रों तक सीमित

(बी)

'सी' और 'डी' श्रेणी की आबादी वाले केंद्रों में 50 प्रतिशत अथवा अधिक शाखाओं वाले केवल एक राज्‍य में परिचालनरत शहरी सहकारी बैंक

100 लाख

(सी)

केवल एक राज्‍य में परिचालनरत शहरी सहकारी बैंक लेकिन जिनमें 'सी' और 'डी' श्रेणी की आबादी वाले केंद्रों में शाखाओं की अपेक्षा नहीं है।

300 लाख

(डी)

वैसे शहरी सहकारी बैंक जो पॉंच वर्ष के सफल परिचालन के बाद एक से अधिक राज्‍यों में परिचालन के लिए इच्‍छुक हैं।

500 लाख

टिप्‍पणी : (1) शहरी सहकारी बैंकों में परिवर्तित किए जाने के लिए इच्‍छुक विद्यमान सहकारी ऋण समितियों के संबंध में अपेक्षित न्‍यूनतम पूँजी उपर्युक्‍त निर्धारित मानदण्‍डों के अनुसार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रति शाखा हेड रूम पूँजी निर्धारण, जो भी अधिक हो के अनुसार अपेक्षित होगी।

(2) बैंक रहित जिले का मतलब है किसी विद्यमान शहरी सहकारी बैंक के बिना कोई जिला।

नए शहरी सहकारी बैंकों की सांगठनिक संरचना

  • किसी बैंक के रूप में इसके कार्यशील होने से सहकारी समिति के रूप में शहरी सहकारी बैंक का स्‍वामित्‍व अलग होना चाहिए। नई सांगठनिक संरचना में निदेशक बोर्ड के अतिरिक्‍त एक प्रबंधन बोर्ड शामिल रहेगा।

  • निदेशक बोर्ड (बीओडी) का निर्वाचन संबंधित सहकारी समिति अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार होगा और यह आरसीएस/सीआरसीएस द्वारा विनियमित और नियंत्रित होगा।

  • निदेशक बोर्ड एक प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) की स्‍थापना करेगा जिसमें व्‍यवसायिक कौशल वाले व्‍यक्ति शामिल होंगे जिसे एक मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी जिसका दायित्‍व बैंक का प्रबंधन होगा की सहायता से बैंक के मामलों के नियंत्रण और निर्देश का दायित्‍व सौंपा जाएगा।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक को शहरी सहकारी बैंक और इसके प्रबंधन बोर्ड और मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी के कार्यों के नियंत्रण और विनियमन का ठीक उसी तरह पूरा अधिकार होगा जिस तरह वह किसी वाणिज्यिक बैंक के मामले में निदेशक बोर्ड और मुख्‍य कार्यपालक के कार्यों को नियंत्रित और विनियमित करता है।

  • लाइसेंस की यह शर्त होगी कि प्रत्‍येक नए शहरी सहकारी बैंक के लिए यह अपेक्षित होगा कि उसके पास निदेशक बोर्ड द्वारा नियुक्‍त एक प्रबंधन बोर्ड तथा प्रबंधन बोर्ड द्वारा नियुक्‍त एक मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी हो। जबकि निदेशक बोर्ड रणनीति की व्‍यापक सीमाओं के निर्धारण के लिए उत्‍तरदायी होगा, प्रबंधन बोर्ड को निदेशक बोर्ड द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर शहरी सहकारी बैंक के रोज़मर्रा के परिचालनों को निदेशित करने और नियंत्रित करने का अधिदेश प्राप्‍त होगा। प्रबंधन बोर्ड के कम-से-कम 51 प्रतिशत सदस्‍यों के पास विशेष ज्ञान अथवा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 10ए(2) में निर्दिष्‍ट मामलों में व्‍यवहारिक अनुभव होना चाहिए।

  • निदेशक बोर्ड के सदस्‍य प्रबंधन बोर्ड के सदस्‍य हो सकते हैं बशर्तें वे निर्दिष्‍ट शर्तों को पूरा करते हों। प्रबंधन बोर्ड के सदस्‍यों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्‍ट सीमा के अधीन निदेशक बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार सिटिंग शुल्‍क का भुगतान किया जा सकता है। प्रबंधन बोर्ड को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्‍ट किए जाने वाले  कंपनी अभिशासन के कोड का पालन करना होगा।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुमोदित लेखा परीक्षकों के एक पैनल से तथा चार वर्षों की आवर्ती अवधि के अधीन प्रबंधन बोर्ड द्वारा नियुक्‍त एक सनदी लेखाकार द्वारा लेखा परीक्षा की जाएगी।

समावेशक संगठन

  • दो अलग-अलग समावेशक संगठन, उदाहरणार्थ राष्‍ट्रीय स्‍तर का एक संगठन जो भुगतान और निपटान और अन्‍य सेवाएं जो सामान्‍यत: केंद्रीय बैंकों द्वारा उपलब्‍ध कराई जाती हैं के साथ-साथ अपने सदस्‍यों को चलनिधि सहायता भी उपलब्‍ध कराता है; और एक अथवा अधिक संगठन जो प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और अन्‍य सेवाएं उपलब्‍ध कराते हैं जिसकी जरूरत शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र को होती है।

  • राष्‍ट्रीय स्‍तर के समावेशक संगठन अधिमानत: बहुराज्‍य शहरी सहकारी बैंक के रूप में अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के अलावा सभी शहरी सहकारी बैंकों के लिए सीमित और अधिदेशित सदस्‍यता के साथ होने चाहिए।

  • सदस्‍य श्‍हरी सहकारी बैंकों से यह अपेक्षित होगा कि वे समावेशक संगठकों के साथ जमाराशियों के स्‍वरूप में अपना प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखें।

  • समावेशक संगठन अपनी निधियों का निवेश केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के पास शेष के स्‍वरूप में, वाणिज्यिक बैंकों के पास जमाराशियों अथवा सांविधिक चलनिधि अनुपात प्रतिभूतियों के रूप में करें, किसी अन्‍य स्‍वरूप में नहीं।

  • समावेशक संगठन उसी तरीके से और उसी ब्‍याज दर पर शहरी सहकारी बैंकों को रिपो और प्रत्‍यावर्तनीय रिपो सुविधाएं प्रदान करें जैसाकि भारतीय रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को प्रदान करता है। बदले में उन्‍हें भारतीय रिज़र्व बैंक से रिपो और प्रत्‍यावर्तनीय रिपो सुविधाएं प्राप्‍त होनी चाहिए।

  • शहरी सहकारी बैंक अपनी सांविधिक चलनिधि अनुपात धारिता के आधिक्‍य की सीमा तक रिपो सुविधाओं का उपभोग कर सकते हैं।

  • जब तक कि शहरी सहकारी बैंकों को सीधे भुगतान और निपटान सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं कराई जाती हैं समावेशक संगठन शहरी सहकारी बैंकों को एक शुल्‍क लेकर इन सेवाओं को उपलब्‍ध कराने के लिए एक गेट-वे के रूप में कार्य करते रहेंगे। बदले में समावेशक संगठन भुगतान और निपटान प्रणाली का एक सदस्‍य होंगे।

  • एक शहरी सहकारी बैंक होने के कारण समावेशक संगठन के पास एक प्रबंधन बोर्ड होगा और यह भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन, पर्यवेक्षण और निरीक्षण के अधीन होगा।

वार्षिक नीति वक्‍तव्‍य 2010-11 में यह घोषणा की गई थी कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत [सहकारी समितियों पर यथालागू (एएसीएस)] नए शहरी सहकारी बैंकों को परिचालनरत बैंकिंग लाइसेंसों की स्‍वीकृति के परामर्श का अध्‍ययन करने के लिए सभी स्‍टेकधारकों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया जाए। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री वाइ.एच.मालेगाम की अध्‍यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।

समिति को निम्‍नलिखित विचारार्थ विषय सौंपे गए थे:

  1. पिछले दशक के दौरान और विशेषत: वर्ष 2004 में विज़न दस्‍तावेज़ अंगीकार करने के बाद से शहरी सहकारी बैंकों की भूमिका और कार्यनिष्‍पादक की समीक्षा करना;

  2. शहरी सहकारी बैंकों के लिए विद्यमान विधिक ढॉंचे के संदर्भ में नए शहरी सहकारी बैंकों के संगठन के लिए जरूरत, आर्थिक नीति में वित्तीय समावेशन पर ज़ोर और बैंकिंग क्षेत्र में नए वाणिज्यिक बैंकों की प्रस्‍तावित प्रविष्टि की समीक्षा करना;

  3. नए शहरी सहकारी बैंकों के गठन पर विद्यमान विनियामक नीति की समीक्षा करना और नए शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्रवेश बिंदु मानदण्‍ड निर्धारित करना;

  4. यह जॉंच करना कि क्‍या परिवर्तन मार्ग के माध्‍यम से वित्तीय रूप से मज़बूत और सुव्‍यवस्थित सहकारी ऋण समितियों तक ही लाइसेंस प्रदान करने को सीमित किया जा सकता है;

  5. मज़बूत शहरी सहकारी बैंकों के विकास खासकर सहकारी सिद्धांतों के अनुरूप पूँजी प्राप्‍त करने के मामले में सुविधा प्रदान करने के लिए विधिक और विनियामक संरचना के संबंध में अनुशंसाएं करना;

  6. शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए किसी समावेशक संगठन की संभावना की जॉंच करना; और

  7. शहरी सहकारी बैंकों को लाइसेंस देने हेतु प्रासंगिक अन्‍य मुद्दों की जॉंच करना और समुचित अनुशंसाएं करना।

आर. आर. सिन्‍हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/398

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