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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आयात आंकड़ा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (आडीपीएमएस) पर कार्यसमूह की रिपोर्ट जारी की

21 अप्रैल 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आयात आंकड़ा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (आडीपीएमएस)
पर कार्यसमूह की रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर आयात आंकड़ा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (अध्यक्षः श्री ए.के. पांडे, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, एफईडी, आरबीआई) पर कार्यसमूह की रिपोर्ट उपलब्ध कराई है। चालू आयात संबंधी अनुवर्ती कार्रवाई और निगरानी प्रक्रियाओं में अंतराल की जांच करने के लिए यह कार्यसमूह अक्टूबर 2015 में गठित किया गया था जिसमें केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) राजस्व विभाग (डीओआर), विदेशी व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी), विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (एमओसीआई), भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापारी संघ (एफईडीएआई) और चयनित सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रतिनिधि शामिल थे। 11 मार्च 2016 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कार्यसमूह ने सिफारिश की है कि मौजूदा आंकड़ा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) के सदृश एक मजबूत और प्रभावी आईटी आधारित आयात निगरानी प्रणाली शुरू की जाए।

कार्यसमूह ने आईटी आधारित समाधान की सिफारिश की है जिससे कि अंतरालों को प्रभावी ढ़ंग से भरा जा सके और आयात लेनदेन करते समय किसी प्रकार की बोझिल प्रक्रियाओं को जोड़े बिना मौजूदा प्रणालियों और प्रक्रियाओं में कमजोरी को दूर किया जा सके। प्रस्तावित आईडीपीएमएस की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:

  • सीमा-शुल्क और एसईजेड से आयात लेनदेनों पर प्राथमिक आंकड़े पहले आरबीआई सुरक्षित सर्वर में जाएंगे जहां पर एडी कोड के आधार पर इन्हें लेनदेन को आगे बढ़ाने के लिए संबंधित बैंकों के साथ साझा किया जाएगा।

  • आईडीपीएमएस आयात प्रक्रिया में शामिल सभी एजेंसियों अर्थात सीमा-शुल्क, एसईजेड और एडी बैंकों को एक इंटरफेस उपलब्ध कराएगी।

  • बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से आयात लेनदेनों का पता लगाने के लिए सीमा-शुल्क और एसईजेड अलग-अलग बैंकों के एडी कोड को प्रदर्शित करने के लिए प्रविष्टि पत्र के फार्मेट को संशोधित करेंगे।

  • उपर्युक्‍त किसी भी एजेंसी द्वारा किए जाने वाले प्रत्‍येक आयात संबंधी लेनदेन के लिए सहवर्ती सिस्‍टम अद्यतन ज़रूरी होगा।

  • आयात संबंधी किसी भी लेनदेन की अद्यतन स्थिति सभी उपयोगकर्ता एजेंसियों को पार्टीवार या प्रविष्टि पत्रवार या अग्रिम प्रेषणवार तत्‍काल आधार पर दिखाई देगी।

  • जब भी विनिर्दिष्‍ट समय सीमाओं को पार कर दिया जाता है तो ऐसे मामलों को सिस्‍टम तत्‍काल रूप से पहचान करके एलर्ट संदेश जेनरेट करेगा।

  • बैंकों को संबंधित लेनदेनों की प्रभावी ढंग से निगरानी ग्राहकवार, राशिवार आदि कर पाएंगे, जिससे अनुवर्ती कार्रवाई का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।

  • सिस्‍टम का कवरेज निम्‍नलिखित दोनों संदर्भों में सार्वभौमिक होगा : (क) आयात संबंधी लेनदेनों का मूल्‍य – आयात के प्रत्‍येक लेनदेन पर नज़र रखी जाएगी, तथा (ख) आयात संबंधी लेनदेन का प्रकार – चाहे लेनदेन की शुरुआत आपूर्तिकर्ता को किए गए अग्रिम प्रेषण हो या शिपिंग के आगमन के प्रमाणस्‍वरूप सीमा-शुल्‍क द्वारा सिस्‍टम में प्रविष्टि पत्र के माध्‍यम से हो, जिसके लिए निर्धारित अवधि के भीतर भुगतान किया जाना ज़रूरी है।

भारतीय रिज़र्व बैंक सीमाशुल्‍क और अन्‍य स्‍टेकहोल्‍डरों के संयुक्‍त तत्‍वावधान में सूचित आईटी आधारित प्रसंस्‍करण व निगरानी प्रणाली पर कार्य करना शुरू किया है तथा नई प्रणाली के कार्यान्‍वयन की तारीख अलग से अधिसूचित की जाएगी।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2468

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