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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीमार लघु और मध्यम उद्यमों के पुनर्वास पर कार्यकारी दल की रिपोर्ट जारी की

24 अप्रैल 2008

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीमार लघु और मध्यम उद्यमों के
पुनर्वास पर कार्यकारी दल की रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर बीमार लघु और मध्यम उद्यमों के पुनर्वास पर कार्यकारी दल की रिपोर्ट व्यापक प्रचार-प्रसार और अभिमतों के लिए रखी। रिपोर्ट पर आप अपने अभिमत पर भेज सकते है।

श्री के.सी.चक्रबर्ती, पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक एक कार्यकारी दल का गठन किया गया। उक्त कार्यकारी दल लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए ऋण प्रवाह में सुधार हेतु उपाय तथा वैकल्पिक मार्ग जैसे ईक्विटी में सहभागिता, उद्यमों के वित्तपोषण आदि के माध्यम से अतिरिक्त पूँजी लाने की व्यवहार्यता की जाँच करके बीमार लघु उद्यम/लघु और मध्यम उद्यमों के पुनर्वास/उपचार के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए उपायों का सुझाव देगा। कार्यकारी दल ने स्टेकधारकों, नामत: औद्योगिक संगठनों, बैंकों और सरकारी एजेंसियों के साथ लंबी चर्चा की। कार्यकारी दल ने 19 अप्रैल 2008 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

कार्यकारी दल ने लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रवाह बढ़ाने तथा बीमार लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों के पुनर्वास/उपचार के त्वरीत कार्यान्वयन के लिए बैंकों, नाबार्ड, सीडबी, भारतीय रिज़र्व बैंक और राज्य सरकार द्वारा किए जानेवाले आवश्यक प्रयास के लिए विभिन्न सुझाव/उपाय/कार्रवाई प्रस्तुत की है।

मुख्य-मुख्य बातें :

    • पुनर्वास के समय उचित पुर्नरचना पैकेज के लिए प्रोत्साहन के रूप में कारोबार का पुर्नगठन, आधुनीकीकरण, विस्तारण, विविधीकरण और प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए आवश्यक सहायता जो भी उधारदाता को जरूरी लगे उसे भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पुनर्वास पैकेज़ों के लिए भी सहायक योजनाएं जैसे अन्य क्षेत्रों में (ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा) इकाइयों के मामले में ऋण समर्थित पूँजी आर्थिक सहायता योजना, खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग मार्जिन राशि योजना (ग्रामीण क्षेत्रों में इकाइयों के लिए) प्रदान की जानी चाहिए।
    • राज्य सरकार को चाहिए कि वे बीमार अति लघु और लघु उद्यमों (एमएसइ) को राहत और रियायत उपलब्ध कराने के लिए एक ही स्थान पर सब कुछ अवधारणा को लागू करना चाहिए।
    • बैंकों को पुनर्वास के उपाय करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पुनर्वास पैकेज के रूप में ली गई किसी अतिरिक्त राशि की चुकौती को अन्य ऋण की तुलना में नकद प्रवाह तथा सुरक्षा की दृष्टि से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
    • वाणिज्यिक उत्पादन के बाद कम-से-कम छह महीने के ब्याज को परियोजना लागत के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। मूलधन की चुकौती के लिए लगभग 2 वर्ष का उचित अधिस्थगन भी दिया जाना चाहिए ताकि उत्पादन शुरू करने के समय होनेवाली शुरूआती बीमारी से बचा जा सके और इकाईयों को शुरूआत में बाज़ार में अपने आप को स्थापित करने में मदद मिल सके।
    • मध्यम उद्यमों को औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के दायरे से बाहर निकालना चाहिए और बैंकों को स्वयं अपने पुनर्वास की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए क्योंकि मध्यम उद्यमों का केवल एक छोटा अंश की रूग्ण औद्योगिक कंपनी (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1985 (एसआइसीए) के अंतर्गत आते है और उनका पुनर्वास औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निमाण बोर्ड के पर्यवेक्षण के अंतर्गत किया जाता है।
    • कार्यकारी दल के कुछ अन्य सुझाव लोक अदालतों की सीमा को 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक बढ़ाना, ऋण वसूली न्यायाधिकरण/विधिक कार्रवाई को मज़बूत बनाने के लिए उपाय, वसूली की प्रक्रिया में तेजी लाने हेतु लघु और मध्यम उद्यमों के लिए न्यूनतम सीमा, अति लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमइ) ऋणों के लिए विशेष रूप से आस्ति पुर्नगठन कंपनियाँ आदि है।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/1375

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